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कैसे तनुश्री दत्ता का बयान बन गया अभियान? उखड़ गए मंत्रीजी के पांव

#MeToo में नाम सामने आने के बाद केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने इस्तीफा दे दिया है. कई महिलाओं ने उनपर यौन शोषण के गंभीर आरोप मढ़े.

तनुश्री दत्ता (इंस्टाग्राम) तनुश्री दत्ता (इंस्टाग्राम)
अनुज कुमार शुक्ला
  • नई दिल्ली,
  • 17 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 11:31 PM IST

नरेंद्र मोदी सरकार के 4 साल से ज्यादा लंबे कार्यकाल में पहली बार किसी मंत्री को जनभावनाओं का शिकार होना पड़ा. जिस तूफ़ान में मोदी के मंत्री का पांव उखड़ गया, क्या आपको मालूम है कि वो गुबार बॉलीवुड की उस एक्ट्रेस के बयान के बाद उठा था, जो अब फिल्मों में सक्रिय नहीं हैं और लोग उन्हें लगभग भुला चुके थे. जी हां, हम बात कर रहे हैं तनुश्री की जो पर्दे से दूर होते हुए भी आजकल कई बड़े स‍िने कलाकारों से भी ज्यादा चर्चा में हैं.

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पिछले महीने के आख़िरी हफ्ते में तनुश्री ने 10 साल पुराने मामले को लेकर एक इंटरव्यू दिया. आरोप लगाया, "नाना पाटेकर जबरन करीब आना चाहते थे, वे शूटिंग के दौरान गाने का हिस्‍सा नहीं थे, बावजूद उन्‍होंने मेरे साथ इंटीमेट होने की कोशिश की." तनुश्री ने नाना पर राजनीतिक कार्यकर्ताओं की मदद से हमले तक करवाने का आरोप लगाया. शुरू-शुरू में तनुश्री के आरोपों को लोगों ने ज्यादा तवज्जो नहीं दी. लेकिन मुख्यधारा की मीडिया के साथ सोशल मीडिया ने पूरे मामले को जोर शोर से उठाया. और देखते ही देखते तनुश्री की चिंगारी ने आंदोलन का रूप ले लिया.

तनुश्री की आवाज ने जैसे सदियों से दबी कुचली औरतों को हौसले से भर दिया. फिर क्या था? महिलाएं सामने आती रहीं, उनकी दर्दनाक आपबीती लोग सुनते रहे और बॉलीवुड में तमाम चेहरे स्याह होते गए. ये एक मुहिम की तरह उभरा जो बॉलीवुड से बाहर तमाम क्षेत्रों तक पहुंचा. राजनीति भी इससे अछूती नहीं रही.

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तमाम महिलाओं ने माना कि सालों बाद तनुश्री दत्ता ने उन्हें अपनी दर्दनाक दास्तां साझा करने के लिए प्रेरित किया. आलोक नाथ पर रेप और मारपीट करने वाली राइटर-प्रोड्यूसर विनता नंदा ने माना भी कि तनुश्री से उन्हें साहस मिला.

कुर्सी तक आंच

केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर पर संगीन आरोप लगे. एक दो नहीं कई महिलाओं ने उनपर कार्यस्थल पर ओहदे के दुरूपयोग और यौन शोषण के गंभीर आरोप मढ़े. कांग्रेस के भी नेता पर आरोप लगे. इस्तीफ़ा देना पड़ा.

शुरू-शुरू में अकबर को लेकर सरकार और पार्टी बचाव की मुद्रा में थी, अकबर को भी लगा कि 97 वकीलों की भारी भरकम फ़ौज से वो बच निकलेंगे. लेकिन उनके मानहानि केस के बाद पीड़ित महिलाओं ने भी ताल ठोककर कहा कि हम भी लड़ने को तैयार हैं. अपनी, पार्टी और सरकार की खूब किरकिरी कराने के बाद अकबर ने आखिरकार बुधवार को अपने पद से इस्तीफ़ा दे ही दिया.

#MeToo मुहिम बन चुका है और सामान्य लोग भी अब खुलकर अपने सालों पुराने दर्द को साझा कर अपराधियों/आरोपियों के संत चेहरों को बेनकाब कर रहे हैं. बात कर रहे हैं. जिस चीज पर लोग भागते थे, सुबक कर रोते थे, तनुश्री ने उन्हें साहस दे दिया.

बंट गया बॉलीवुड

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वैसे आज से कुछ साल पहले बॉलीवुड से शुरू हुई इस तरह की किसी मुहिम के इतने असरदार होने की कल्पना तक नहीं की जा सकती थी. क्यों? इसलिए कि बॉलीवुड में कास्टिंग काउच के बहाने हमेशा ही यौन शोषण या उत्पीड़न की कड़वी कहानियां सामने आती रही हैं. लेकिन अब से पहले तक वो लोगों के लिए मनोरंजन का विषय था. अखबारों के रंगीन पेज तीन पर उन्हें महज दो कॉलम की गॉसिप्स में समेट दिया जाता था. लोग चर्चाएं तो करते. पर वो इस बात से अलग सोचने को तैयार ही नहीं थे कि महिलाएं जो ग्लैमर इंडस्ट्री या दूसरी जगहों में काम करती हैं अपनी प्रतिभा की वजह से ही हैं न कि अपने सौंदर्य या शरीर की वजह से हैं.

जहां एक ओर बॉलीवुड की कुछ हस्तियां मीटू को नकारती नजर आईं वहीं बड़ी तादाद में सिने हस्तियां पक्ष में उतरीं और तनुश्री और अन्य महिलाओं की ताकत बनीं. कैलाश खेर, पीयूष मिश्रा, रजत कपूर जैसे सितारों ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी. नंदिता दास किरण राव और जोया अख्तर के नेतृत्व में 10 से ज्यादा महिला निर्देशकों ने तय किया कि उत्पीड़न के आरोपियों के साथ काम नहीं करेंगी. ऋतिक रोशन की "सुपर 30" में विकास बहल का नाम निर्देशक के रूप में हटा दिया गया. साजिद खान और नाना पाटेकर को हाउसफुल 4 से बाहर कर दिया गया. अक्षय और कुछ बड़े कलाकारों ने कभी भी दोषियों के साथ काम नहीं करने की बातें कहीं. CINTAA और IFTDA जैसी तमाम संस्थाएं भी जिम्मेदारी तय करने के लिए आगे आईं. पहली बार बॉलीवुड में ऐसा कुछ हुआ जो बड़ी बात है.

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महसूस करिए #MeToo

स्वागत करिए और जमशेदपुर से आने वाली तनुश्री दत्ता का नाम मत भूलिए. याद रखिए. ऐसा पहली बार है जब बॉलीवुड से शुरू हुई उसकी एक पहल ने मुहिम का रंग ले लिया. आरोपी जवाब नहीं दे पा रहे हैं.

कई सार्वजनिक रूप से माफी मांग चुके हैं. संस्थाएं जवाबदारी तय करने के लिए खड़ी हुई हैं. अब कहानियां सिर्फ पेज तीन की गॉसिप्स भर नहीं हैं. सरकार हिली. विपक्ष भी हिला और आखिरकार रसूखदार केंद्रीय राज्यमंत्री एमजे अकबर का पांव उखड़ते आपने देखा ही.

तनुश्री की पहल जो मुहिम बन गई. मुहिम जो शांत रही. सड़क पर उतरे बिना ही अब तक सैकड़ों लोगों को बेनकाब कर चुकी हैं. एक कामयाब मुहिम की अगुआ तनुश्री को बधाई. देखना यह है कि बेनकाब होते कितने चेहरे अपने अंजाम तक पहुंचते हैं. एमजे तो बस शुरुआत हैं.

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