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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव: आदिल हुसैन बोले- डार्क एक्टर को नि‍गेटिव रोल ही दिए जाते हैं

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट 2017 में आदिल हुसैन और मेयांग चांग ने रेसिज्म पर बात की.

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महेन्द्र गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 24 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 6:08 PM IST

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट 2017 के आठवें सत्र में एक्टर आदिल हुसैन, राइटर मित्रा फुकन और सिंगर मेयांग चांग ने रेसिज्म पर बात की. व्हाट मी, चिंकी? बैटलिंग रेसिज्म विद अ स्माइल नाम के इस सेशन को राजदीप सरदेसाई ने होस्ट किया.

आदिल हुसैन ने कहा, ये सही है कि नॉर्थ ईस्ट को बाकी राज्यों से अलग समझा जाता है. उहदारण के लिए राजकुमार राव न्यूटन के लिए एशिया पेसिफिक स्क्रीन अवॉर्ड से नवाजे गए तो सब जगह खबर दिखी, लेकिन नॉर्थ ईस्ट से आने वाले हावबाम पबन कुमार की फिल्म लेडी ऑफ द लेक को कल्चरल डाइवरसिटी कैटेगरी में स्पेशल मेंशन अवॉर्ड दिया गया, इस खबर ने कहीं जगह नहीं बनाई.

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असम के निचले इलाके से आने वाले आदिल ने आगे कहा- मेरे साथ ऐसी बातें नहीं हुईं. दरअसल, मेरा चेहरा भारत के दूसरे इलाकों में रहने वाले लोगों के जैसा ही है. इस लिहाज से मैं काफी भाग्यशाली हूं. आदिल ने बताया कि भारत के अलग-अलग हिस्सों में मिलने वाले लोगों ने मुझसे अपनी भाषा में बातें की. क्योंकि दिखने में मैं उनके जैसे था. स्टीरियोटाइप पर आदिल ने कहा- भारतीय दर्शकों ने भिन्नता स्वीकार कर ली है. हालांकि एक डार्क एक्टर को अक्सर निगेटिव किरदार ही मिलते हैं.

चिंकी और नस्लवाद का सामना करने के सवाल पर सिंगर मियांग चांग ने कहा- मेरे चेहरे की वजह से लोग मुझसे पूछते हैं कि तुम कहां से हो? उन्होंने कहा, रेसिज्म से निपटने का सबसे अच्छा तरीका ये है कि उसका जवाब मुस्कान से दिया जाए. कहा- भारत के दूसरे राज्यों की तुलना में पूर्वोत्तर के लोगों की स्वीकार्यता कम है. लेकिन अब तक बहुत बदलाव हुए हैं.

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मेयांग चांग ने आगे कहा, मुझसे बचपन से मेरी त्वचा और लुक को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं. मैं हर किसी से कहता हूं कि मैं आपकी ही तरह हूं. मैं हिन्दी बोलता हूं. मेरे स्कूल में एक-दो स्टूडेंट ही नॉर्थ ईस्ट से थे. बाद में मुझे अहसास हुआ कि मैं बाकी लोगों से बहुत अलग दिखता हूं.

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