Advertisement

भारत-पाक में बराबर मशहूर थीं इकबाल बानो, इस शायर को गाकर मिली पहचान

इकबाल बानो ने छोटी सी उम्र में ही संगीत से अपने आप को जोड़ लिया था. उनके वालिद ने भी बिना कोई रोक-टोक के उन्हें संगीत सीखने दिया.

इकबाल बानो इकबाल बानो
हंसा कोरंगा
  • नई दिल्ली,
  • 21 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 12:27 PM IST

गजल गायकी के लिए हिंदुस्तान और पाकिस्तान में बराबर मशहूर इकबाल बानो की आज पुण्यतिथि है. वह गजल और सेमी क्लासिकल गीत गाने के लिए जानी जाती थीं. इकबाल बानो का जन्म 27 अगस्त, 1935 को दिल्ली में हुआ था. बानो ने छोटी सी उम्र में ही संगीत से अपने आप को जोड़ लिया था. उनके वालिद ने भी बिना कोई रोक-टोक के उन्हें संगीत सीखने दिया.

Advertisement

एक बार उनकी एक सहेली के पिता ने बानो के पिता से कहा कि मेरी बेटी तो ठीक गाती है, लेकिन आपकी बेटी में गायकी के खास गुण हैं और एक दिन वो बहुत बड़ी गायिका बनेगी. इस बात ने बानो के पिता का ध्यान अपनी बेटी के गायन की तरफ डाला और उन्होंने बानो की प्रतिभा को समझते हुए उन्हें संगीत की तालीम दिलवाई.

शाहरुख संग नजर आई PAK एक्ट्रेस बोलीं- बॉलीवुड पर नहीं रहा फोकस

बानो ने दिल्ली घराने से ताल्लुक रखने वाले उस्ताद चांद खान से संगीत की तालीम ली. चांद खान जी ने ही उन्हें संगीत के विविध तौर-तरीके की गायकी जैसे की ठुमरी और दादरा से परिचित कराया. चांद खान की ही वजह से उन्हें ऑल इंडिया रेडियो में गाने का मौका मिला.

1950 का दशक आते-आते वो स्टार बन गईं. बानो ने सरफरोश, इंतेकाम, गुमनाम, इश्क-ए-लैला और नागिन जैसी फिल्मों में सुरमयी गीत गाए. बानो ने शायर फैज अहमद फैज की नज्मों और गजलों को अपनी आवाज दी. इन गानों ने उन्हें एक अलग पहचान बनाई और दर्शकों के बीच उनकी डिमांड बढ़ गई.

Advertisement

अपने दोस्त सलमान खान को सजा मिलने से दुखी हैं शोएब अख्तर

साल 1974 को इकबाल बानो को पाकिस्तानी सरकार ने प्राइड ऑफ पाकिस्तान अवॉर्ड से नवाजा. 21 अप्रैल 2009 को लाहौर में इस प्रख्यात गायिका ने अंतिम सांस ली.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement