
साल 2008 में क्रिस्टोफर नोलन की फिल्म दि डार्क नाइट के साथ ही जोकर का किरदार अमर हो गया था. इस फिल्म में हीथ लेजर ने जोकर का कैरेक्टर प्ले किया था और ये किरदार इतना डार्क था कि फिल्म रिलीज़ होने के समय तक हीथ ने अपने कमरे में आत्महत्या कर ली थी. अपनी मौत के बाद हीथ को अपनी बेहतरीन एक्टिंग के लिए ऑस्कर अवॉर्ड मिला था. फैन्स को लगता रहा कि हीथ लेजर से बेहतर जोकर का किरदार निभाना किसी के लिए भी आसान नहीं होगा. साल 2014 में आई फिल्म डेडपूल में जेरेड लेटो ने जोकर के एक नए कलेवर से रूबरू कराया लेकिन दर्शकों की अपेक्षाओं पर वे खरे नहीं उतरे. हालांकि डार्क नाइट की रिलीज के 11 साल बाद वाकीन फिनिक्स ने अपनी हैरतअंगेज परफॉर्मेंस से हीथ लेजर के किरदार को आखिरकार चुनौती दे डाली है और हीथ की तरह ही फीनिक्स भी ऑस्कर के मजबूत दावेदार के तौर पर उभरे हैं.
कहानी
गोथम शहर में ये 80 के दशक का दौर है. एक लोअर मिडिल क्लास शख्स आर्थर फ्लेक अपनी मां के साथ रहता है. उसकी ख्वाहिशें भी थोड़ी अलग है और वो लोगों का मनोरंजन करना चाहता है. लेकिन उसके साथ के लोग अक्सर उसका मजाक उड़ाते हैं. एक स्टैंडअप कॉमेडियन बनने की चाह रखने वाला आर्थर लोगों के साथ हंसना चाहता है लेकिन समाज उस पर हंसता है. वो जिन लोगों पर भरोसा करता है, वो उसे धोखा देते हैं जिसके चलते उसकी मेंटल स्थिति बिगड़ने लगती है. जोकर का एक डायलॉग भी है कि किसी भी सामान्य इंसान को सिर्फ एक दिन लगता है पागलपन की तरफ मुड़ जाने में'. आर्थर भी इस पागलपन की हदें पार करने लगता है और एक सिहरन पैदा करने वाले क्लाइमैक्स के साथ ही ये फिल्म आपको सोचने पर मजबूर कर देती है.
एक्टिंग
ये रोल फीनिक्स के करियर की सबसे बेहतरीन परफॉर्मेंस में शुमार की जा सकती है. इस किरदार के प्रभाव को आप तब महसूस कर सकते हैं जब जोकर द्वारा की जा रही हिंसा को देखकर भी कुछ मौकों पर आप इस किरदार के लिए सहानूभुति ही महसूस करते हैं. जिन लोगों को फीनिक्स की परफॉर्मेंस को देखकर हैरानगी हुई है, उन्हें उनकी पिछली कुछ फिल्मों को देखना चाहिए. साल 2012 में आई फिल्म मास्टर में भी फीनिक्स एक लोनर और क्रेजी इंसान का किरदार बखूबी निभा चुके हैं. अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में भी फीनिक्स की पर्सनैलिटी काफी रहस्यमयी सी है. यही कारण है कि कई फिल्मी पंडित भी ये दावा करते थे कि अगर हीथ लेजर के बाद कोई कलाकार जोकर के कैरेक्टर के साथ न्याय कर सकता है, वो वाक्वीन फिनिक्स ही हैं और उन्होंने ऐसा बखूबी कर के दिखाया भी है. ये उनकी एक्टिंग ही है कि उनके सामान्य से डांस स्टेप्स को देखकर हैरत पैदा होती है. इसके अलावा लेजेंडरी एक्टर रॉबर्ट डि नीरो और आर्थर की मां और साइकोलॉजिस्ट के कैरेक्टर्स भी अपने अपने रोल में सटीक बैठते हैं. उम्र के इस पड़ाव पर भी रॉबर्ट की इतनी एक्टिव परफॉर्मेंस उनके इस क्राफ्ट के प्रति प्रेम को दर्शाती है.
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डायरेक्शन
हैंगओवर फिल्में बनाकर लोकप्रियता हासिल करने वाले टॉड फिलिप्स ने कॉमेडी फिल्मों से अब डार्क साइकोलॉजिकल ड्रामा की लंबी छलांग लगाई है. इस फिल्म के कुछ कुछ हिस्से आपको साल 1974 में आई मार्टिन स्कोरसेसी की टॉप क्लासिक फिल्म टैक्सी ड्राइवर की याद दिलाते नज़र आएंगे जिसमें रॉबर्ट डि नीरो का किरदार आर्मी में समय बिताने के बाद टैक्सी चालक बन चुका है और एकदम अकेला होने के चलते अंत में खतरनाक कदम उठा लेता है. हालांकि इंस्पीरेशन से इतर बात की जाए तो टॉड की फिल्म की स्क्रिप्ट काफी कसी हुई है और वे ज्यादातर सीन्स में लोगों को अकंफर्टेबल करने में और चौंकाने में कामयाब रहे हैं. फिल्म की सिनेमाटोग्राफी खूबसूरत है और कई जगह फिल्म के सीन्स आपको असहज कर सकते हैं लेकिन ये फिल्म के सिनेमाटोग्राफर का कमाल ही है कि स्क्रीन से नजरें हटाने का एक पल के लिए भी मन नहीं करता वही टाइट एडिटिंग के चलते ये फिल्म इस साल की ऑस्कर दावेदारों में काफी आगे खड़ी दिखाई दे रही है.
अमेरिकन आर्मी ने इस फिल्म की रिलीज से पहले एक नोटिस जारी किया था जिसमें कहा गया था कि इस फिल्म की रिलीज पर कुछ सिनेमाघरों में एक खास समुदाय गोलीबारी हो सकती है. ये वही समुदाय है जो जोकर को आदर्श मानता है क्योंकि इन लोगों की तरह ही जोकर ने भी अपनी जिंदगी में बहुत रिजेक्शन झेला है और वे सोसाइटी से काफी हद तक कट से गए हैं.
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ये संभावना इसलिए भी जताई जा रही थी क्योंकि अमेरिका में इस साल अब तक 300 लोगों की लचर गन कानूनों के चलते मौत हो चुकी है. ऐसा ही एक विवाद हाल ही में फिल्म कबीर सिंह के साथ भी देखा जा चुका है.
जाहिर है, जोकर को भी कबीर सिंह की तरह इस पब्लिसिटी का फायदा हो सकता है. लेकिन फिल्म देखने के बाद ये एहसास होता है कि इस फिल्म के सहारे किसी भी क्रेजी साइकोकिलर के साथ संवेदना नहीं जताई जा रही है बल्कि इस बात पर फोकस किया जा रहा है कि लोगों की मेंटल हेल्थ को लेकर बात की जाए और मानसिक समस्याओं को भी उसी तरह मेनस्ट्रीम बनाया जाए जितना फिजिकल समस्याओं को बनाया जाता है.
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