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मिर्जापुर: क्राइम सेक्स वायलेंस का कॉकटेल, दर्शकों के सामने खुलना कितना सही?

मिर्जापुर अभिनय के लिहाज से शानदार वेब सीरीज है. इसमें कई एक्टर्स का काम सरप्राइजिंग है. अमेजन प्राइम ने इस वेब सीरीज को हाल ही में रिलीज किया है.

मिर्जापुर पोस्टर मिर्जापुर पोस्टर
ऋचा मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 22 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 10:45 AM IST

नेटफ्लिक्स और अमेजन जैसे माध्यम पर दुनियाभर के ऑडियंस क्राइम जोनर वाले कंटेंट को काफी पसंद कर रहे हैं. भारत में भी वेब सीरीज का जमकर बोलबाला है. इस माध्यम ने भारतीय क्रिएटर्स के लिए सफलता के नए दरवाजे खोल दिए हैं. क्राइम और दूसरी अलग-अलग कहानियों पर हाल ही में कई सीरीज आ चुकी हैं. इस कड़ी में अमेजन की सीरीज "मिर्जापुर" भी बहस तलब है.

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कुछ भारतीय वेब सीरीज को काफी सराहा भी गया. खासकर नेटफ्लिक्स की सैक्रेड गेम्स, ज‍िसने दुनियाभर के ऑडियंस को प्रभावित किया.

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वेब सीरीज पॉपुलर क्यों ?

दरअसल, सेंसर न होने की वजह से इस माध्यम में कहानियों को कहने का स्पेस मिल रहा है. इस वजह से तमाम चीजें जो अब तक फिल्मों में सेंसर्ड हो जाया करती थीं, उन्हें यहां आसानी से सिनेमेटिक लिबर्टी के साथ दिखाया जा रहा है. मौलिकता में चीजों को हूबहू दिखाने-देखने का यह अंदाज भारतीय दर्शकों के लिए बिलकुल नया है.

सेंसर नियमों की वजह से ऐसा फिल्मों और टीवी में संभव नहीं है. गौर करें तो भारतीय वेब सीरीज में क्राइम, सेक्स और वायलेंस का कॉकटेल खूब बिकता दिख रहा है. सैक्रेड गेम्स, ब्रीद, लस्ट स्टोरीज, इनसाइड एज, लव लस्ट एंड कन्फ्यूजन जैसी तमाम सीरीज में इस कॉकटेल को भुनाकर दर्शकों को प्रभावित करने की कोशिश हुई. इन्हें खूब देखा जा रहा है. पर सच्चाई यह भी है कि ऐसे कंटेंट को लेकर तमाम विवाद भी हुए और लोगों ने इस पर पाबंदी लगाने तक की मांग भी की है.

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सैक्रेड गेंम्स के बाद "मिर्जापुर" में इस कॉकटेल को जमकर भुनाने की कोशिश हुई है. मिर्जापुर में वायलेंस के अनसेंसर्ड दृश्य बेहद खौफनाक हैं. अतडियों का बाहर निकल आना, गोली से भेजे को उड़ाना, सड़क पर खून बहना और स्क्रीन पर मांस के लोथड़े को बिखरते देखना, बहुत डरावना है, लेकिन बिलकुल अलग तरह का रोमांचक अनुभव भी.

ठीक इसी तरह अनसेंसर्ड सेक्सुअल सीन्स को लेकर भी वेब सीरीज में स्वच्छंदता देखने को मिल रही है. ये दूसरी बात है कि तमाम कहानियों में इनका दिखाया जाना कितना जरूरी और अर्थपूर्ण है? मिर्जापुर में भी सेक्स और वायलेंस को लेकर ऐसे बहुत सारे सीन हैं जिन पर विवाद हो सकता है. वेब सीरीज में हत्याओं के तरीके खौफनाक हैं. कई बार क्रूरता दिखाने के लिए ऐसे दृश्यों का इस्तेमाल बेमतलब नजर आता है. जैसे कालीन भैया के सुपुत्र, मुन्ना त्रिपाठी का बार-बार राधिया को रौंदना. गजगामिनी का मास्टरबेशन वाला सीन. इन्हें दिखाया जाना कितना सही है?

जबकि कालीन भैया की दूसरी पत्नी बीना त्रिपाठी को ब्लैकमेल कर पैरों से लाचार ससुर जिस तरह से "बलात्कार" करता है, वह सीरीज का बेहद अद्भुत सीन है. इसमें तमाम चीजें न दिखाकर भी बहुत कुछ कह दिया गया है.

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हदें याद रखनी होंगी?

अभी वेब सीरीज पर सेंसरशिप को लेकर भारत में फिल्मकारों के पास बहुत सारी छूट हैं. उन्हें इस छूट की मर्यादा और हद को निर्धारित करना पड़ेगा. क्योंकि सैक्रेड गेम्स और लस्ट स्टोरीज के बाद जिस तरह से एक धड़ा इसकी निगरानी के लिए एक सिस्टम बनाने की मांग कर रहा है, वहां सेंसरशिप से मौलिक रचनात्मकता प्रभावित होगी.

बेमतलब की हिंसा और यौन दृश्यों को दिखाने की अंधी रेस से बचने का रास्ता निकालना जरूरी है. सेक्स और वायलेंस के सीन फिल्माते वक्त यह ध्यान रखना ज्यादा जरूरी है कि ऐसे सीन कहानी के मूड के हिसाब अर्थपूर्ण बने रहे. मौलिकता के नाम पर भेड़चाल हुई तो ये माध्यम भी संकटग्रस्त हो जाएगा.

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