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मिर्जापुर में सीक्रेट पैकेज है कुलभूषण खरबंदा की एक्टिंग, भारी हैं ये 6 किरदार

मिर्जापुर में पंकज त्रिपाठी, अली फजल, दिव्येंदु शर्मा, विक्रांत मैसी, कुलभूषण खरबंदा, शुभ्रज्योति अहम रोल में हैं. जानते हैं मिर्जापुर के लीड एक्टर्स में किसका काम बेहतरीन है.

मिर्जापुर का पोस्टर मिर्जापुर का पोस्टर
हंसा कोरंगा
  • नई दिल्ली,
  • 22 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 2:19 PM IST

अमेजन प्राइम की वेब सीरीज मिर्जापुर रिलीज के बाद से ही चर्चा में है. इसकी कहानी 6 मुख्य किरदारों के इर्द-गिर्द घूमती है. क्राइम थ्रिलर सीरीज में पंकज त्रिपाठी, अली फजल, दिव्येंदु शर्मा, विक्रांत मैसी, राजेश तैलंग और श्वेता त्रिपाठी जैसे कलाकार मुख्य भूमिकाओं में हैं. दूसरे कई और कलाकारों का काम भी काफी अहम है.

मिर्जापुर अभिनय के लिहाज से शानदार वेब सीरीज है. इसमें कई एक्टर्स का काम सरप्राइजिंग है. अली फजल, दिव्येंदु शर्मा और पंकज त्रिपाठी मुख्य किरदारों के सामने लाचार बूढ़े के किरदार में कुलभूषण खरबंदा और शुभ्रज्योति की एक्टिंग सीक्रेट पैकेज की तरह है. आइए जानते हैं सीरीज में किस कलाकार ने कैसा काम किया है...

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Review 2: अभिनय के लिहाज से कैसी है पंकज त्रिपाठी और अली फजल की मिर्जापुर?

#1. पंकज त्रिपाठी

सीरीज में पंकज त्रिपाठी "कालीन भैया" के किरदार में हैं. इस किरदार में वो जंचे हैं, लेकिन उतने प्रभावी नहीं लगते जितना कि पहले ऐसी भूमिकाओं में दिखे हैं. पंकज त्रिपाठी के लिए यह सोचने का वक्त है. वो कुछ भूमिकाओं खासकर माफिया या पिता के किरदार में टाइप्ड होते जा रहे हैं. लेखक और निर्देशक को मिर्जापुर में पंकज के किरदार पर और काम करना था. पंकज की भी जिम्मेदारी है कि वो अपने पुराने किरदारों से कैसे खुद को अलग करते हैं.

मिर्जापुर में कई जगह वो "बरेली की बर्फी" के पिता वाले किरदार में नजर आते हैं. बस मुस्कुराते नहीं हैं. तो कुछ सीन्स में "गुड़गांव" के माफिया. उन्हें इस खांचे से बाहर निकलना होगा. मिर्जापुर में देखें तो पंकज का किरदार आख़िरी एपिसोड के उस सीन में अदायगी के लिहाज से बहुत ऊंचाई पर नजर आता है, जहां वो पुलिस अफसर मौर्या के साथ संवाद करते हैं.

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#2.  अली फजल

वेब सीरीज में गुड्डू पंडित के रूप में अली फजल का लुक कहानी और किरदार के मुताबिक ही है. गुड्डू, बहुत मासूम और सीधा है, संकोची है, लड़कियों से शर्माता है और उसमें बचपना कूट-कूटकर भरा है. उसके सपने एक औसत बच्चे की तरह हैं. हालांकि ज्यादातर हिस्सों में वह एक ही मूड में नजर आता है, इस वजह से गुड्डू का किरदार एक रंगी हो गया. गुड्डू के व्यक्तित्व के तमाम दूसरे रंग कायदे से गाढ़े नहीं हो पाए. फिर भी अली फजल काम बहुत बढ़िया है. एक तरह से उनके करियर में बेस्ट काम है ये. उन्हें जैसी कहानी और सीन्स मिले उसे पूरी शिद्दत से उन्होंने जिया है.

Review 3: अली फजल, पंकज त्रिपाठी की वेब सीरीज मिर्जापुर में कहां हो गई चूक?

#3.  विक्रांत मैसी

बबलू पंडित के किरदार में विक्रांत मैसी भी जंचे हैं. उनकी आंखों में संकोच, डर और गुस्सा किरदार के मुताबिक ही है. हालांकि कहानी की वजह से उनका किरदार ज्यादा बड़ा नजर नहीं आता. विक्रांत ने पहली बार इस तरह का रोल किया है. इस किरदार के बाद उनकी अलग तरह से डिमांड होगी.   

#4.  दिव्येंदु शर्मा

मुन्ना त्रिपाठी के रूप में दिव्येंदु शर्मा सबसे ज्यादा हैरान करते हैं. अब तक फिल्मों में उनके अभिनय को देखते आए लोगों को मिर्जापुर देखकर ताज्जुब होगा. मुन्ना हद तक क्रूर और व्यभिचारी है जो घर की नौकरानी पर हवस मिटाता है. जैसे वो बिस्तर पर अपने खिलाफ उठ रही हर आवाज को मिर्जापुर में रौंदना चाहता है. वो इतना आततायी है कि जूते पर पेशाब का छींटा पड़ने भर से किसी को भी बेदर्दी से मरवा देता है. यहां तक कि मिर्जापुर का किंग बनने के लिए उसे अपने पिता की जान लेने में भी कोई गुरेज नहीं है. मुन्ना के किरदार ने दिव्येंदु ने सभी रंग दिखाने की कोशिश की है. मिर्जापुर में कंपाउंडर का गला रेतने वाले सीन में उन्हें देखना अद्भुत है.  

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#5. कुलभूषण खरबंदा

मिर्जापुर में अगर किसी का काम सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण था तो वो हैं कुलभूषण खरबंदा.  क्योंकि सीरीज में ज्यादातर उनका किरदार चुप ही रहता है. उनके हावभाव और उनकी आंखें संवाद करती हैं. उनके हिस्से बेहद कम संवाद आए हैं, लेकिन उन्होंने पैरों से लाचार, बेहद जातिवादी पौरुष पर घमंड करने वाले बूढ़े माफिया का किरदार बहुत ही शिद्दत से निभाया है. वो बहू बीना के अनैतिक संबंधों का जिस तरह फायदा उठाते हैं और उसका बलात्कार करते हैं, नौकर राजा को जिस तरीके सजा दिलवाते हैं, उसे देखकर उनके किरदार से घिन होती है. यही कुलभूषण के अभिनय की ऊंचाई है.  

#6. शुभ्रज्योति भारत

रति के रूप में शुभ्रज्योति का किरदार भले ही छोटा है पर अभिनय, स्थानीय संवाद और लुक के मामले में वो सीरीज में सबसे परफेक्ट दिखते हैं. इसीलिए हर सीन में वो काफी जंचे भी हैं. उन्हें देखकर एक पल भी नहीं लगता कि रति, मिर्जापुर या जौनपुर का माफिया नहीं हैं.

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