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पूर्व डीजीपी द्वारा नक्सल हिंसा और मुख्यधारा में वापसी पर बनाई गई फिल्म ‘प्रत्यावर्तन’ रिलीज

झारखंड पुलिस के पूर्व डीजीपी राजीव कुमार की नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए बनाई गई फिल्म ‘प्रत्यावर्तन’ रांची सहित कई जिलों में रिलीज.

फिल्म ‘प्रत्यावर्तन’ फिल्म ‘प्रत्यावर्तन’
पूजा बजाज/धरमबीर सिन्हा
  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 7:30 PM IST

नक्सलियों के आतंक के खिलाफ बंदूक के बाद अब सिनेमा को हथियार के तौर पर आजमाने की कोशि‍श है. दरअसल नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए बनी फिल्म ‘प्रत्यावर्तन’ रांची सहित कई जिलों में एक साथ शुक्रवार को रिलीज हो गई है.

यह फिल्म नक्सल हिंसा, प्यार और मुख्यधारा में वापसी के ताने-बाने पर बुनी ग है. इसे झारखंड के कुल 18 सिनेमाघरों में देखा जा सकता है. इस फिल्म के लेखक झारखंड पुलिस के पूर्व डीजीपी राजीव कुमार हैं. राज्य के डीजीपी रह चुके राजीव कुमार की लेखन और नाटकों में काफी रूचि है. वह कई भी नाटक लिख चुके हैं और इनका लिखा नाटक 'एक नयी सुबह' काफी चर्चित भी रहा है. लगभग 82 लाख की लागत से बनी इस फिल्म को बंगाल के नीमू भौमिक ने निर्देशित किया है. वहीं फिल्म के हीरो इशान और हीरोइन मौसमी भट्टाचार्य ने फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई है. नक्सल लीडर की भूमिका सैकत चटर्जी ने निभाई है. इस फिल्म में राज्य के आठ आईपीएस अधिकारियों ने भी अभिनय किया है. जानकारी के मुताबिक इस फिल्म को नक्सल इलाकों में खास तौर पर दिखाया जाएगा.

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नक्सल पर फिल्म बनाने का आइडिया कैसे आया
इस फिल्म को बनाने के आइडिया के बारे में बात करें तो इस फिल्म के कॉन्सेप्ट ने उस समय आकार लिया था, जब झारखंड पुलिस के पूर्व डीजीपी राजीव कुमार पलामू जिले के एसपी हुआ करते थे. उस समय नक्सल हिंसा झारखंड में भयावह आकार ले चुका था. इसी दौरान नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने की दिशा में सिनेमा का सहारा लेने की बात सोची गई. इसे लेकर फिल्मकार प्रकाश झा से भी संपर्क किया गया था लेकिन कई कारणों से बात आगे नही बढ़ी. आखिरकार फिल्म की शुरुआत साल 2013 में हुई और इस फिल्म को बनने में कई साल लग गए. और साल 2015 में इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने यू प्रमाण पत्र दिया.

क्या है फि‍ल्म की कहानी
फिल्म की कहानी मुख्यधारा से भटके सूरज नाम के लड़के की है, जो कुछ कारणों से नक्सली संगठन में चला जाता है. संगठन में वह जिस दस्ते में है, उसका प्रमुख जोनल कमांडर चंदन नाम के शख्स हैं. उसके और सूरज के विचार मेल नहीं खाते. संगठन में काम करते हुए सूरज को रेप की शिकार युवती सुरतिया से प्यार हो जाता है और वह उससे शादी कर लेता है. लेकिन शादी के दूसरे ही दिन पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेती है और इसके बाद शुरू होती है सूरज को मुख्यधारा में लाने की कहानी. इस फिल्म में नक्सलियों से जुड़ने वाले युवाओं के लिए भी खास संदेश हैं. फिल्म में दिखाया गया है कि हिंसा से किसी का भला नहीं हो सकता. नक्सल नेता सिर्फ अपना स्वार्थ देखते हैं. वे रंगदारी वसूलने के लिए अपराध कर रहे हैं. कौन है राजीव कुमार

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