Advertisement

आपातकाल में होती थी जबरदस्ती, बदलवा दिया था शोले का क्लाइमेक्स

हिंदी सिनेमा की आइकॉनिक फिल्म शोले पर भी इमरजेंसी की मार पड़ी थी. जानें पूरा मामला..

फिल्म शोले की तस्वीर फिल्म शोले की तस्वीर
हंसा कोरंगा
  • नई दिल्ली,
  • 26 जून 2018,
  • अपडेटेड 12:58 PM IST

साल 1975 में लगाई गई इमरजेंसी का फिल्म जगत पर गहर असर पड़ा था. ये असर इतना प्रभावी था कि कई निर्माताओं, कलाकारों को भारी नुकसान झेलना पड़ा. फिल्मों की सेंसरशिप में दखलअंदाजी की जाने लगी, फिल्म के प्रिंट स्क्रीन तक जला दिए गए थे. हिंदी सिनेमा की आइकॉनिक फिल्म शोले पर भी इमरजेंसी की मार पड़ी थी. जानें पूरा मामला..

Advertisement

15 अगस्त को रिलीज हुई थी शोले, पहले रिव्यू में अमिताभ बच्चन का नाम तक नहीं था

फिल्म के डायरेक्टर रमेश सिप्पी ने कई मौकों पर इसका खुलासा किया है कि कैसे आपातकाल ने उनकी फिल्म को प्रभावित किया. उन्होंने कहा था, ''फिल्म का क्लाइमैक्स जैसा दिखाया गया वैसा नहीं था. सेंसर ने फिल्म के क्लाइमैक्स पर आपत्ति जताई थी. असली क्लाइमैक्स सीन में ठाकुर अपने नुकीले जूतों से गब्बर को मार देता है. इस सीन को सेंसर ने कानून का हवाला देकर बदलने को कहा था. इसके बाद 26 दिनों में क्लाइमेक्स को दोबारा से शूट किया गया. जिसमें गब्बर को कानून के हवाले किया गया.''

आपातकाल: रिलीज से पहले देखी जाती थी फिल्में, जलवा दिए थे प्रिंट

बता दें, सुपरहिट फिल्म शोले 15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई थी. अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, संजीव कुमार, जया बच्चन और हेमा मालिनी की स्टारकास्ट से सजी फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी. शोले का नाम हिंदी सिनेमा की बेहतरीन फिल्मों में लिया जाता है. इसका निर्देशन रमेश सिप्पी ने किया था. शोले को 2013 में 3D में रिलीज किया गया था.

Advertisement

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement