
हिंदी जगत के महामंच 'एजेंडा आजतक' के छठे संस्करण के दूसरे दिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कई सवालों के जवाब दिए. इस दौरान जेटली से विजय माल्या के प्रत्यर्पण पर सवाल किया गया. इसके जवाब में उन्होंने माना कि भारत से इंग्लैंड फरार हुए कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण का काम मुश्किल है.
केंद्र कर रहा पूरी तैयारी
जेटली के मुताबिक यह इसलिए मुश्किल है क्योंकि इंग्लैंड का कानून कारागार के प्रति दूसरा नजरिया रखता होगा इसलिए वह भारत में जेल की स्थिति का हवाला देते हुए अपराधियों का प्रत्यर्पण नहीं होने देता. हालांकि अरुण जेटली ने कहा कि इंग्लैंड के कानून में पेचीदगी के बावजूद केन्द्र सरकार पूरी तैयारी के साथ प्रत्यर्पण की तैयारी में है.
बैंक के कर्ज डकारने वालों पर भी सख्ती
जेटली के मुताबिक उनकी सरकार माल्या को वापस लाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी. वहीं हाल में केन्द्र सरकार द्वारा दिवालियापन कानून के लिए लाए गए अध्यादेश का मकसद सिर्फ उन लोगों को वापस मेनस्ट्रीम कारोबार में आने से रोकने के लिए है जो बैंक के कर्ज को डकारने के बाद एक बार फिर कौड़ी के दाम अपनी नीलाम होने वाली कंपनी को बेचना चाहते हैं.
ब्याज भरना ही होगा
जेटली ने कहा कि यदि यह दिवालिया कानून नहीं होगा तो विजय माल्या भी एक बार फिर किंगफिशर एयरलाइन को खरीदने के लिए लाइन में लग जाते. उन्हें किंगफिशर कौड़ी के दाम मिल जाती और उनका बैंक से लिया हजारों करोड़ का कर्ज बैंक के सिर मढ़ दिया जाता. लिहाजा, केन्द्र सरकार ने माल्या सरीखे कारोबारियों को रोकने के लिए शर्त रखी है कि यदि कोई वापस अपनी नीलाम होने वाली कंपनी खरीदने को इच्छुक है तो उसे कम से कम पुराने कर्ज में बैंक का ब्याज भरने की पहल करनी होगी.
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