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Agenda Aaj Tak 2022: देश की तीनों सेनाओं में हो सकती हैं एक जैसी रैंक! नेवी चीफ ने दिया बड़े बदलावों का संकेत

भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने कहा कि तीनों सेनाओं के रैंक्स एक जैसे होने चाहिए. एक नाम के साथ. कॉमन ट्राई सर्विस रैंक. इसके लिए पुराने नियमों को बदलने की जरुरत है. साथ ही कहा कि साल 2047 तक भारतीय नौसेना पूरा तरह से आत्मनिर्भर हो जाएगी. हम किसी भी दुश्मन को कभी भी करारा जवाब दे सकते हैं.

भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने कहा कि हम किसी भी दुश्मन से नहीं डरते. भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने कहा कि हम किसी भी दुश्मन से नहीं डरते.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:57 PM IST

भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने कहा कि हम कुछ रैंक्स खत्म करना चाहते हैं. ये भी चाहते हैं कि तीनों सेनाओं के रैंक्स एक जैसे हों. इस पर सोच-विचार हो रहा है. देखिए हमारे यहां कई रैंक ऐसे हैं, जो अच्छे नहीं लगते. उन्हें बदलने की जरुरत है. जैसे पिटी ऑफिसर. सीनियर पिटी ऑफिसर. इन्हें कुछ अच्छा नाम देने की जरुरत है. पुराने नियमों को बदलने की जरुरत है. हमारा विचार है कि एक कॉमन ट्राई सर्विस रैंक होनी चाहिए. 

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नौसेना प्रमुख ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य है कि हम गुलामी की मानसिकता से बाहर निकले. इसलिए INS Vikrant की कमीशनिंग के दिन नौसेना का नया ध्वज लाए. नेवी डे के दिन नया प्रेसिडेंट कलर और क्रस्ट लाए हैं. हम एक टीम बना कर यह जांच रहे हैं कि क्या-क्या ऐसी प्रैक्टिसेस हैं जो पुराने टाइम के है. जो अभी रेलेवेंट नहीं हैं. नौसेनाएं कई सदियों में इवॉल्व हुई हैं. हम कई काम उस समय के अब तक प्रैक्टिस कर रहे हैं. ऐसे कार्यों की लिस्ट बनाई जा रही है. क्योंकि अब उनकी कोई वैल्यू नहीं हैं. पुराने नियमों को बदलने की जरुरत है. 

भारत के लिए समुद्र में सबसे बड़ा खतरा क्या है? इस बात पर भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने बताया कि हमारी एक मैरीटाइम हिस्ट्री है. हमारे तीनों तरफ सागर है. ऐतिहासिक तौर पर हम किसी न किसी पर डिपेंड होते आए हैं. मौर्या, गुप्ता और चोला साम्राज्य ये बात हाइलाइट करता है. तीनों साम्राज्यों में व्यवसाय, संस्कृति आगे बढ़ी.  चोला साम्राज्य के समय मैरीटाइम ट्रेड ग्रो किया. सभी ताकतवर देश मैरीटाइम पावर हैं. नौसैनिक शक्ति और समुद्री व्यापार जरूरी है. 90 फीसदी ट्रेड समुद्री रास्ते से करते हैं. मैरीटाइम ट्रांसपोर्टेशन सबसे एफिशिंएट है. समुद्री रास्ते से ट्रांसपोर्ट आसान है. 

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नेवी और व्यापारिक मुद्दे को लेकर हमेशा रहती है चर्चा

ये चर्चा का विषय है कि ट्रेड फॉलो फ्लैग या फ्लैग फॉलो ट्रेड. जब आपके पास कोई ट्रेड नहीं है तब नेवी की जरुरत क्या है. 5 ट्रिलियन इकोनॉमी बनने में भारतीय नौसेना पूरी मदद करेगी. तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगर सेनाएं स्वदेशी हथियार और उपकरण खरीदें तो उसी हम बड़ा योगदान देंगे. 2047 में हम आजादी का 100 साल मनाएंगे. नौसेना को ये वादा किया है कि तब देश डेवलप कंट्री कहलाएगा. उस समय नौसेना पूरी तरह आत्मनिर्भर हो जाएगी. एडमिरल ने कहा कि तब तक हमारे शिप्स, सबमरीन, एयरक्राफ्ट, नेटवर्क, स्विचेस सब देश में बनेंगे. नौसेना काफी पहले से स्वदेशी के रास्ते पर चल रही है. 1961 में INS Ajay पहला स्वदेशी पेट्रोल बोट बनाया गया था. उसके बाद से लगातार बनाते जा रहे हैं. क्षमता बढ़ रही है. इसे आगे बढ़ाएंगे. 

नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने कहा कि हम अपने आसपास के समुद्र पर रखते हैं पूरी नजर. 

नौसेना में कहां कितना स्वदेशीपन?

एडमिरल आर. हरि कुमार ने कहा कि जब हम कॉम्बैट प्लेटफॉर्म को देखते है. फ्लोट, मूव और फाइट. फ्लोट हल और ढांचा. स्टील उसमें लगता है. इसमें 95 फीसदी सफलता हासिल कर चुके हैं. INS Vikrant में देश का स्टील लगा था. मूव कंपोनेंट शाफ्टिंग प्रोपेलर और इंजन. इसमें 60-65 फीसदी अचीवमेंट है. ये भी चार-पांच साल में हम अचीव कर लेंगे. फाइट कंपोनेंट में हम 50-55 फीसदी है. ब्रह्मोस बना रहे हैं. कई हथियार बना रहे हैं. लेकिन कोशिश जारी है. कई टेक्नोलॉजी बदलेंगे. 

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नंबर से ज्यादा जरुरत है टैक्टिक की

हिंद-प्रशांत महासागर की सुरक्षा के लिए 130 वॉरशिप्स हैं. 175-200 का सपना कब पूरा होगा. इस पर एडमिरल ने कहा कि हमें नंबर्स से ज्यादा कनविंस नहीं होना चाहिए. हमारे पास कई शिप्स हैं जो कई मामलों में ज्यादा ताकतवर है. ज्यादा बेहतर है. नंबर्स चाहिए लेकिन 2035-78 तक 170-175 शिप्स तक पहुंच जाएंगे. विक्रांत को कमीशन किया है. इसकी कमीशनिंग के साथ हम चुने हुए देशों में शामिल हो गए जो एयरक्राफ्ट करियर बनाने की क्षमता रखते हैं. 

विक्रांत जैसा एयरक्राफ्ट करियर और बनेगा

नौसेना प्रमुख ने कहा कि एयरक्राफ्ट करियर बनाने से कई इंडस्ट्री जुड़ी हुई है. हम और बड़ा एयरक्राफ्ट करियर बनाने का सोच रहे थे लेकिन अब ख्याल आया है कि IAC-1 का रिपीट ऑर्डर बनाए. जो ज्यादा आधुनिक हो और खतरनाक हो. क्योंकि ये काम अब हम जल्दी कर पाएंगे. ज्याद बेहतर कर पाएंगे. हम इसका प्रस्ताव कुछ महीने में सरकार के पास लेकर जाएंगे. 

एयरक्राफ्ट करियर या सबमरीन क्या जरूरी?

एयरक्राफ्ट करियर चाहिए या सबमरीन ये विवाद तो चलता आ रहा है. चलता रहेगा. हमारी नौसेना एक संतुलित फोर्स है. सी कंट्रोल के लिए एयरक्राफ्ट करियर चाहिए. सी डिनायल के लिए सबमरीन चाहिए. संतुलन के लिए दोनों जरूरी है. संतुलित नौसेना के लिए एयरक्राफ्ट करियर, परमाणु पनडुब्बी, अंडर वॉटर ड्रोन्स होगा. इनकी संख्या कितनी होनी चाहिए ये प्लान किया जा रहा है. क्या अरुणाचल से लेकर लद्दाख तक की समस्या का समाधान हिंद महासागर है. नौसेना का काम है डिटरेंस. हम ताकत डेवलप कर रहे हैं. कैपेबिलिटी डेवलपमेंट करते हैं. इंडियन ओशन रीजन में क्लोज वॉच रखते हैं. ट्रैकिंग करते हैं. मिशन डिप्लॉयमेंट होता है. जरुरत होगी तो सबसे पहले रेस्पॉन्डर होंगे. 

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हम एक-एक रूपया कैपिबिलिटी में बदलेंगे

अमेरिका के पास 11 करियर हैं. चीन के पास दो करियर हैं. क्या ज्यादा एयरक्राफ्ट करियर होना फायदेमंद है या नहीं. नौसेना प्रमुख या कोई भी चीफ चाहता है कि उसके पास हमेशा सारे रिसोर्सेस होने चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं हो सकता. क्योंकि हमारा देश विकसित हो रहा है. जितना हमारा बजट है उसे तरीके से इस्तेमाल करें. हर एक रुपया सही तरीके से कैपेबिलिटी में बदले. हम इंडियन ओशन में सेंट्रली लोकेटेड हैं. हमारे प्रधानमंत्री जी का जो लक्ष्य है सागर. उसमें पहले अक्षर का मतलब ही सिक्योरिटी है. हम ऑयल, कंटेनर ट्रैफिक हो, मर्चेंट नेवी हो... ये सब हमारे ओशन से निकलते हैं. उनकी सुरक्षा का ख्याल रखना जरूरी है. हमारी कोशिश होनी चाहिए कि भारत अन्य देशों के साथ विकसित हों. 

ऐसे करते हैं पड़ोसी देशों से सामंजस्य

नॉन-कन्वेंशनल थ्रेट.... जैसे पाइरेसी. इसलिए भारतीय समुद्री क्षेत्र में 60 नौसेनाएं मौजूद हैं. हमारे पास कितनी भी बड़ी फ्लीट क्यों न हो, हम इस चीज से फतह नहीं कर पाएंगे. इसके लिए जरूरी है कि हम बाकी देशों के साथ मिलकर सुरक्षा बढ़ाएं और काम करें. ट्रेनिंग एक्सचेंज होता है. शिप विजिट होता है. TIDES - ट्रस्ट, इंटरैक्शन, डोमेन अवेयरनेस, इंगेजमेंट, सिक्योरिटी. हम इसके जरिए दूसरे देशों से रिश्ता मजबूत रखते हैं. 

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पश्चिमी और पूर्वी नेवल कमांड का इलाका बहुत बड़ा है. पेट्रोलिंग, निगरानी, ट्रैकिंग आसान नहीं होती. लेकिन खतरों को खत्म करने के लिए हमारी सेना तैनात रहती है. समुद्र में सीमा पता नहीं चलती. आप 12 मील के अंदर भी आ सकते हैं. या जा सकते हैं. इसमें वायु या थल सेना में अलग है. आप दीवार या फेंसिंग नहीं कर सकते. पाइरेसी, अवैध फिशिंग जैसे कई दिक्कत आती हैं. उनसे जूझना होता है. 

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