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अखलाक लिंचिंग से जुड़े केस में बीजेपी के पूर्व विधायक संगीत सोम पर 800 रुपये का जुर्माना, जानिए क्या था पूरा मामला

अखलाक लिंचिंग से जुड़े मामले में बीजेपी के पूर्व विधायक संगीत सोम को धारा-144 के उल्लंघन का दोषी पाया गया है. मामले में यूपी की अदालत ने सोम पर 800 रुपये का जुर्माना लगाया. 2015 में अखलाक की मॉब लिंचिंग के बाद संगीत सोम ने एक जनसभा की थी. गौहत्या के शक में अखलाक की हत्या कर दी थी.

अखलाक लिंचिंग के बाद संगीत सोम ने धारा 144 लगे होने के बावजूद जनसभा की थी. (फाइल फोटो) अखलाक लिंचिंग के बाद संगीत सोम ने धारा 144 लगे होने के बावजूद जनसभा की थी. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 10:59 AM IST

बीजेपी के पूर्व विधायक संगीत सोम पर उत्तर प्रदेश की एक अदालत ने 800 रुपये का जुर्माना लगाया है. उन्हें सितंबर 2015 में हुए अखलाक लिंचिंग से जुड़े मामले में दोषी पाया गया है. उन्हें सरकारी आदेश का उल्लंघन करने का दोषी माना गया है.

2015 में गौतमबुद्ध नगर के दादरी इलाके में अखलाक की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. इसके बाद इलाके में धारा-144 लगा दी गई थी. लेकिन संगीत सोम ने यहां पहुंचकर एक जनसभा को संबोधित किया था. 

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सूरजपुर के एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट प्रदीप कुमार कुशवाहा ने संगीत सोम को आईपीसी की धारा 188 के तहत दोषी माना है. अदालत ने संगीत सोम पर 800 रुपये का जुर्माना लगाया है. 

क्या है पूरा मामला?

28 सितंबर 2015 को दादरी इलाके के बिसहड़ा गांव में अखलाक की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. भीड़ ने गौहत्या के शक में अखलाक को बुरी तरह मारा-पीटा था. इससे अखलाक की मौत हो गई थी.

अखलाक की लिंचिंग के बाद बिसहड़ा में धारा 144 लगा दी गई थी. ये धारा लागू होने पर एक जगह पर 4 या उससे ज्यादा लोगों के जुटने पर मनाही होती है, लेकिन संगीत सोम ने बिसहड़ा पहुंचकर एक जनसभा की.

इस दौरान संगीत सोम ने तब की अखिलेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था, 'यूपी सरकार अखलाक के परिवार को विमान में बैठाकर ले गई है. पहले वो मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपियों को जहाज में बैठाकर ले गई थी और अब वैसा ही उन्होंने गाय काटने वालों के साथ किया है.'

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धारा-144 लागू होने के बावजूद संगीत सोम ने गांव के मंदिर के बाहर जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि बीजेपी पूरे देश की जनता के साथ है, न कि किसी एक समुदाय विशेष के साथ. सोम ने इस मामले में एकतरफा जांच का आरोप लगाया था.

क्या है अखलाक कांड?

28 सितंबर 2015 को अफवाह फैली कि मोहम्मद अखलाक और उनके परिवार ने गाय की हत्या की और गोमांस खाया. इसके बाद भीड़ ने अखलाक के घर पर हमला बोल दिया. 

अफवाह फैलने के बाद भीड़ ने अखलाक और उसके बेटे दानिश को घर से घसीटकर बाहर निकाला और जमकर पीटा. आरोप ये भी है कि भीड़ ने ईंट से अखलाक को मारा था. 

इस मारपीट में अखलाक की मौत हो गई थी, जबकि उनके बेटे दानिश बुरी तरह घायल हो गए थे. दानिश की दो बार ब्रेन सर्जरी भी की गई थी. 

अखलाक कांड में अब तक क्या-क्या हुआ?

अखलाक की मॉब लिंचिंग के मामले में कुल 17 लोगों के खिलाफ केस दर्ज है. अभी सभी आरोपी जमानत पर रिहा हैं. एक आरोपी रविन सिसोदिया की हिरासत में मौत हो गई थी.

इस मामले में मुख्य आरोपी विशाल सिंह राणा है, जो स्थानीय बीजेपी नेता संजय राणा का बेटा है. जुलाई 2017 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विशाल सिंह को जमानत दे दी थी.

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इस मामले में पुलिस ने IPC की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या की कोशिश), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियार से दंगा), 149 (गैरकानूनी सभा) और 323 (प्रताड़ना) के तहत केस दर्ज किया था. 

अखलाक की हत्या हुए 7 साल से ज्यादा हो गए हैं. लेकिन इस मामले में अभी तक किसी को सजा नहीं हुई है.

कौन हैं संगीत सोम?

संगीत सोम अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में बने रहते हैं. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बीएसपी से की थी.

2007 के चुनाव में बीएसपी ने उन्हें मेरठ की सरधना सीट से टिकट देने का फैसला लिया था, लेकिन बाद में उनका टिकट काट दिया गया. इससे नाराज होकर संगीत सोम पार्टी छोड़ बीजेपी में आ गए. 2009 में बीजेपी ने उन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट देने से मना कर दिया तो उन्होंने पार्टी को अलविदा कह दिया.

बीजेपी छोड़कर सोम समाजवादी पार्टी में आ गए. सपा ने उन्हें मुजफ्फरगर लोकसभा से टिकट दिया, लेकिन वो हार गए. 2011 में संगीत सोम फिर से बीजेपी में आ गए. 

2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें टिकट दिया. संगीत सोम सरधना से लगातार दो बार विधायक रहे थे. इस साल (2022) के चुनाव में सपा नेता अतुल प्रधान ने उन्हें हरा दिया.

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