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रेलवे की खुली पोल, 3 घंटे की कोशिश भी नहीं बचा पाई भव्या की जान

मुजफ्फरपुर-सियालदह सवारी गाड़ी के इंजन में बुरी तरह फंसी भव्या को तीन घंटे से अधिक समय के बाद गंभीर रूप से जख्मी हालत में बाहर तो निकाल लिया गया, लेकिन बेगूसराय में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

मंदिर से लौटते वक्त हुई ट्रेन की शिकार मंदिर से लौटते वक्त हुई ट्रेन की शिकार
केशव कुमार/सुजीत झा
  • पटना,
  • 19 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 1:03 PM IST

बिहार के बरौनी रेलवे जंक्शन पर ट्रेन के इंजन में फंसी भव्या उर्फ रुपम की जिंदगी को तीन घंटे के जद्दोजहद के बाद भी बचाया नहीं जा सका. मुजफ्फरपुर-सियालदह सवारी गाड़ी के इंजन में बुरी तरह फंसी भव्या को तीन घंटे से अधिक समय के बाद गंभीर रूप से जख्मी हालत में बाहर तो निकाल लिया गया, लेकिन बेगूसराय में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

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मंदिर से लौटते वक्त हुई ट्रेन की शिकार
बरौनी जंक्शन के रेलवे लाइन के किनारे होकर भव्या घर लौट रही थी. मंदिर से पूजा कर लोटते हुए वो जंक्शन से खुली सवारी गाड़ी की चपेट में आ गई. ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोका, लेकिन तब तक इंजन के अंदर बुरी तरह फंस गई. जैक और दूसरी मशीनों की मदद से इंजन को उठाकर तीन घंटे बाद भव्या को जख्मी हालत में बाहर निकाला गया. काफी मशक्कतों के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका.

राहत-बचाव के काम में खुली रेलवे की पोल
भव्या के लिए चलाए गए राहत और बचाव काम ने बरौनी में रेलवे की हालत की पोल खोलकर रख दी. घटना के तुरंत बाद सैकड़ों लोग और स्टेशन के अधिकारी मौके पर पहुंच गए, लेकिन दुर्घटना राहत के लिए सायरन बजाने में तकरीबन आधे घंटे का समय लग गया. नियम के मुताबिक घटना के तुरंत बाद सायरन बजाया जाना जरूरी है.

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इतना ही नहीं घटनास्थल से महज एक किलोमीटर पर रखे दुर्घटना यान और उसके राहत और बचावकर्मियों को घटनास्थल तक पहुंचने में एक घंटे से अधिक का समय लग गया. इस दौरान इंजन में फंसी भव्या चिल्लाती रही, लेकिन उसे समय पर बाहर नहीं निकाला जा सका.

एक बार तो ऐसा हुआ कि जैक से इंजन को ट्रैक से उठा लिया गया. इंजन के अंदर फंसी भव्या को निकालने का प्रयास किया ही जा रहा था कि धमाके के साथ इंजन जैक से छूटकर नीचे भव्या के शरीर पर ही गिर पड़ा.

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