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बिहार: महागठबंधन के कार्यकर्ताओं की फरियाद सुनेंगे नीतीश कुमार

विदित हो कि पूर्व में महागठबंधन के घटक दलों के बीच बेहतर तालमेल के लिए जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्षों ने एक साथ बैठकर इस तरह के दरबार आयोजित करने का सुझाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दिया था. जिस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी सहमति दे दी है.

नीतीश सुनेंगे कार्यकर्ताओं की फरियाद नीतीश सुनेंगे कार्यकर्ताओं की फरियाद
सुजीत झा
  • पटना,
  • 08 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 7:37 PM IST

जनता दरबार के मुख्यमंत्री कार्यक्रम के बंद होने के बाद बिहार में लोक संवाद कार्यक्रम की शुरुआत की गयी. इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री चुनिंदा लोगों से सरकारी कार्यक्रमों के क्रियानव्यन के बारे में लोगों की राय सुनते हैं. अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन में बेहतर तालमेल के लिए भी एक दरबार लगाने जा रहे हैं जिसमें वो महागठबंधन के कार्यकर्ताओं के राय सुनेंगे.

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हर महीने के आखिरी सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन के कार्यकर्ताओं के सामने होंगे और उनकी परेशानियों और उनके दर्द को सुनेंगे. बिहार में चल रही महागठबंधन की सरकार में घटक दलों के बीच आपसी तालमेल को लेकर इस दरबार का आयोजन किया जा रहा है. मुख्यमंत्री के महागठबंधन के कार्यकर्ताओं के दरबार के लिए कार्यकर्ताओं की सूची घटक दलों के द्वारा मुख्यमंत्री सचिवालय को भेजी जाएगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसी सूची के आधार पर कार्यकर्ताओं की फरियाद को सुनेंगे.

जल्द होगी घोषणा
मिल रही जानकारी के अनुसार हर महीने के आखिरी सोमवार को यह दरबार लगाया जाएगा लेकिन इसकी प्रारंभ होने की तिथि तय नहीं की गयी है. महागठबंधन के कार्यकर्ताओं के दरबार में मुख्यमंत्री के अलावा घटक दलों के नेता भी मौजूद रहेंगे. जानकारी के अनुसार जल्द ही महागठबंधन के कार्यकर्ताओं के दरबार में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा कर दी जाएगी.

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विदित हो कि पूर्व में महागठबंधन के घटक दलों के बीच बेहतर तालमेल के लिए जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्षों ने एक साथ बैठकर इस तरह के दरबार आयोजित करने का सुझाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दिया था. जिस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी सहमति दे दी है.

आरजेडी के रघुवंश प्रसाद सिंह और विधायक भाई वीरेन्द्र जैसे नेताओं ने महागठबंधन में बेहतर तालमेल और कार्यकर्ताओं को एक मंच देने के लिए आवाज उठा चुके हैं. घटक दलों के पार्टी अध्यक्षों की राय और नेताओं की मांग को लेकर मुख्यमंत्री ने इस तरह के दरबार में मौजूद रहने पर हामी भरी है.

विदित हो कि बिहार में लोक शिकायत निवारण अधिनियम कानून लागू होने के बाद से जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम को बंद कर दिया गया. इसके बाद लोक संवाद कार्यक्रम की शुरुआत की गयी जिसमें हर महीने के पहले तीन सोमवार को मुख्यमंत्री चुनिंदा लोगों की राय सुनते हैं. लोक संवाद कार्यक्रम की शुरुआत 5 दिसंबर से कर दी गयी है.

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