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बिहार पर कांग्रेस का सतर्क दांव, 'नीतीश प्रेम' जताने वाले नेताओं को चुप रहने की नसीहत

सूत्रों के मुताबिक, बिहार के लिए कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने नीतीश कुमार के पक्ष में बोलने वाले पार्टी नेताओं को मुंह बंद रखने की नसीहत दी है. राज्य से कांग्रेस के कुछ नेताओं की ओर से नीतीश के पक्ष में बोले जाने पर आरजेडी ने आपत्ति जाहिर की थी. इसके बाद कांग्रेस ने अपने नेताओं को बयानबाजी नहीं करने का निर्देश दिया.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
कुमार विक्रांत
  • नई दिल्ली,
  • 02 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 9:43 PM IST

बिहार में 'महागठबंधन' को लेकर महामंथन के दौर जारी हैं. इस गठजोड़ के दो सूरमा तय हैं- राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस. महागठबंधन को लेकर कांग्रेस लालू प्रसाद और जीतन राम मांझी के साथ है, वहीं पार्टी के कुछ नेता इशारों-इशारों में नीतीश कुमार को साथ लेने की वकालत कर रहे हैं.

कांग्रेस नेताओं का ये 'नीतीश प्रेम' लालू के दोनों लालों यानि तेजस्वी और तेज प्रताप को रास नहीं आ रहा. इसे भांपते हुए कांग्रेस फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है.

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सूत्रों के मुताबिक, बिहार के लिए कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने नीतीश कुमार के पक्ष में बोलने वाले पार्टी नेताओं को मुंह बंद रखने की नसीहत दी है. राज्य से कांग्रेस के कुछ नेताओं की ओर से नीतीश के पक्ष में बोले जाने पर आरजेडी ने आपत्ति जाहिर की थी. इसके बाद कांग्रेस ने अपने नेताओं को बयानबाजी नहीं करने का निर्देश दिया.

बीजेपी से नीतीश के अलग होने पर ही बढ़ेगी बात:  सूत्र

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक नीतीश बीजेपी के साथ खुद को सहज नहीं महसूस कर रहे हैं, लेकिन जहां तक महागठबंधन में उन्हें साथ लेने का सवाल है तो इस पर विचार सिर्फ उनके बीजेपी से नाता तोड़ने की सूरत में ही किया जा सकता है. ये भी तय है कि कांग्रेस नीतीश की कीमत पर अपने वफादार सहयोगी आरजेडी को नाराज नहीं कर सकती.

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दरअसल, नीतीश ने जिस तरह पहले बीजेपी से नाता तोड़कर आरजेडी और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर बिहार का पिछला विधानसभा चुनाव जीता और फिर कार्यकाल के बीच में ही पलटी मारते हुए बीजेपी से दोबारा हाथ मिला लिया, इस सारे घटनाक्रम ने नीतीश की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगाया है. वहीं दूसरी तरफ लालू कांग्रेस के मुश्किल समय में मजबूती के साथ खड़े रहे हैं.

आरजेडी से रिश्ते ठीक करने को नीतीश खुद करें पहल

सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार की तरफ से आने वाले संकेतों पर कांग्रेस ने साफ किया कि नीतीश को पहले आरजेडी से बात करके अपने रिश्ते ठीक करने की पहल करनी होगी, कांग्रेस उसी के बाद इस दिशा में कोई कदम उठाएगी.

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक नीतीश को फासिस्टवादी बीजेपी से सबसे पहले खुद को अलग करना होगा. बिहार के लिए कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल का कहना है, 'नीतीश आज बीजेपी के साथ हैं, इसलिए उन पर 'नो कमेंट' ही कांग्रेस की लाइन है. लेकिन नीतीश क्यों महागठबंधन छोड़ बीजेपी के साथ गए, ये आने वाला वक़्त बताएगा. आखिरकार बीजेपी नेतृत्व की ब्लैकमेल और दबाव की राजनीति सब जानते हैं, नीतीश किस वजह से गए, ये भविष्य ही बताएगा. हां, मैं इतना बोल सकता हूं कि एनडीए के बाकी सहयोगी दलों की तर्ज पर नीतीश भी बीजेपी से बहुत दुखी हैं.'

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कांग्रेस को मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में जीत की आस

कुल मिलाकर कांग्रेस आज के नीतीश को मजबूर और कमजोर मानती है, इसलिए भविष्य में महागठबंधन में वो साथ आते हैं तो इससे उसको ऐतराज नहीं है. हालांकि पार्टी ये भी मानती है कि नीतीश को लेकर आरजेडी को जो नाराजगी है, उसे दूर करना भी नीतीश की ही जिम्मेदारी है.

सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस इस साल के आखिर में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों पर नजरें गढ़ाए है. अगर इन राज्यों में कांग्रेस को चुनाव में कामयाबी मिलती है तो फिर उसके लिए हनक के साथ सियासत करने का आधार तय होगा.

नीतीश केंद्र की राजनीति में, बिहार में तेजस्वी के तिलक का फॉर्मूला?

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, अगर सब कुछ ठीक दिशा में चला तो कांग्रेस नीतीश को 2019 के बाद केंद्र की राजनीति में आकर बिहार में तेजस्वी का तिलक करने का फॉर्मूला दे सकती है. आखिर कांग्रेस बिहार में मोदी को पटखनी देने के लिए बड़े से बड़ा महागठबंधन बनाने को तैयार है, वो भी उस बिहार में जहां वो खुद जूनियर पार्टनर है. फिलहाल अभी ये सब दूर की कौड़ी है.

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