Advertisement

बिहार में शराबबंदी कानून के तहत गिरफ्तार लोगों में दलित-पिछड़े सबसे ज्यादा!

एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि शराबबंदी के दौरान गिरफ्तार किए गए लोगों में सबसे ज्यादा एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग के ही हैं. दिलचस्प यह है कि इस तरह के जातिवार आंकड़े खुद सरकार की पहल पर जुटाए गए हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 28 मई 2018,
  • अपडेटेड 1:04 PM IST

बिहार में गत 6 अप्रैल को शराबबंदी के दो साल पूरा होने पर सीएम नीतीश कुमार ने दावा किया था कि इसका सबसे ज्यादा फायदा दलितों और पिछड़ों को मिला है. लेकिन अब चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि इस अभियान के दौरान गिरफ्तार किए गए लोगों में सबसे ज्यादा एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग के ही हैं. दिलचस्प यह है कि इस तरह के जातिवार आंकड़े खुद सरकार की पहल पर जुटाए गए हैं.

Advertisement

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, बिहार के आठ सेंट्रल जेल, 32 जिला जेल और 17 सब जेल से हासिल आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है. आंकड़ों के अनुसार, बिहार की जनसंख्या में अनुसूचित जाति यानी एसएसी वर्ग का हिस्सा महज 16 फीसदी है, लेकिन शराबबंदी के कानून का उल्लंघन करने के मामले में गिरफ्तार लोगों का 27.1 फीसदी हिस्सा एससी वर्ग का है. बिहार की जनसंख्या में अनुसूचित जनजाति या एसटी वर्ग का हिस्सा महज 1.3 फीसदी है, लेकिन गिरफ्तार लोगों में इनका हिस्सा 6.8 फीसदी तक है. इसी प्रकार गिरफ्तार लोगों में ओबीसी का हिस्सा 34.4 फीसदी है, लेकिन बिहार की कुल जनसंख्या में उनका हिस्सा महज 25 फीसदी है.

एक जेल अधिकारी ने अखबार को बताया, 'पिछले दो साल से नए कानून के तहत जेल में बंद 80 फीसदी लोग ऐसे हैं जो नियमित रूप से शराब पीने के आदी रहे हैं.' जेल से छूटे कई लोग और कई सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि सरकार बड़ी मछलियों का कुछ नहीं बिगाड़ पा रही जो 'राज्य भर में शराब माफिया की तरह काम करते हैं.'

Advertisement

गया सर्किल में शराबबंदी के कानून के तहत गिरफ्तार 30 फीसदी लोग अनुसूचित जाति के हैं. मोतिहारी में गिरफ्तार लोगों में 15 फीसदी हिस्सा अनुसूचित जनजातियों का है.

सरकार ने निकलवाए जातिवार आंकड़े!

शराबबंदी के तहत किस वर्ग के कितने लोग गिरफ्तार किए गए हैं, इसका आंकड़ा सरकार की तरफ से ही लिया गया है. बिहार के गृह मंत्रालय के जेल निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने ये आंकड़े जुटाए हैं. एक सेंट्रल जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उन्हें 12 मार्च को 'मुख्यालय' से यह संदेश मिला था कि शराबबंदी के तहत गिरफ्तार सभी कैदियों का वर्ग के मुताबिक-जैसे जनरल, ओबीसी, एससी, एसटी का आंकड़ा जुटाया जाए.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने अखबार से कहा, 'लोगों की जाति और सामाजिक- आर्थ‍िक हिसाब से शराब पीने की आदत को समझने के लिए यह एक तरह का अनाधिकारिक सर्वे है.'

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement