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नीतीश सरकार का यूटर्न, पहले विरोध फिर अचानक केंद्र की इस योजना को लागू करने की घोषणा

बिहार सरकार के सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को वर्तमान सत्र से ही लागू किया जाएगा. सहकारिता मंत्री ने यह भी साफ किया कि बिहार सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को वर्तमान प्रारूप में लागू करेगी.

नीतीश कुमार नीतीश कुमार
अमित कुमार दुबे/सुजीत झा
  • पटना,
  • 10 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 11:17 PM IST

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू नहीं करने की घोषणा करने वाली बिहार सरकार ने यू-टर्न ले लिया है. अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग प्रीमियर दर को लेकर राज्य और केन्द्र सरकार फसल बीमा योजना को लागू करने को लेकर आमने-सामने थी. अचानक बिहार सरकार के सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को वर्तमान सत्र से ही लागू किया जाएगा. सहकारिता मंत्री ने यह भी साफ किया कि बिहार सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को वर्तमान प्रारूप में लागू करेगी.

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कुछ पहलुओं पर बिहार सरकार को आपत्ति
पटना में पत्रकारों से बात करते हुए सहकारिता मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के जिन प्रावधानों पर बिहार सरकार को आपत्ति है उस प्रावधानों को दरकिनार करते हुए इस योजना को लागू कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि जिन प्रावधान पर बिहार सरकार को आपत्ति है, उसका समाधान अगली फसल बीमा योजना लागू करने से पहले करने की कोशिश की जाएगी.

किसानों को समस्याओं पर किया जाएगा विचार
फसल बीमा योजना को लेकर किसानों से आवेदन लेने की तिथि 15 अगस्त तक ही निर्धारित है. ऐसे में बिहार के किसानों को होने वाली परेशानियों पर भी सहाकरिता मंत्री ने सफाई दी और कहा कि अधिकारियों की तत्परता से इस समस्या का समाधान कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि वर्तमान सत्र में फसल बीमा योजना को लागू करने के बाद सरकार इस बात का अध्ययन करेगी कि किसानों को इससे कितना फायदा होगा. इस बात का अध्ययन करने के बाद ही बिहार सरकार अगली बार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू करने पर विचार करेगी.

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गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में इस योजना के लागू करने पर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज की थी. ऐसे में जब इस योजना में राज्य और केन्द्र को बराबरी का अंशदान राशि देना है तो फिर योजना का नाम प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ही क्यों? सरकार को आपत्ति इस बात पर भी थी कि सभी राज्यों में बीमा के प्रीमियर दर में एकरुपता होनी चाहिए और इस योजना का 90 फीसदी खर्च केन्द्र को वहन करना चाहिए.

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