
गांधी जयंती यानी 2 अक्टूबर का दिन बिहार के लिए ऐतिहासिक होगा. बिहार में बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ सशक्त अभियान चलेगा. इस बार गांधी जयंती के अवसर पर बिहार दो समाजिक परिवर्तन का गवाह बनेगा तो दूसरी तरफ बिहार में अब तक का सबसे और देश के कुछ चुनिंदा सभाकारों में शुमार बापू सभागार का शुभारंभ भी होगा.
बापू सभागार से शुरू होगी मुहिम
पटना के गांधी मैदान से सटे सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर में स्थित बापू सभागार की क्षमता 5 हजार लोगों की बैठने की है. अब तक बिहार में श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल और इसी सेंटर में स्थित ज्ञान भवन भी बड़ा सभागार है. लेकिन बापू सभागार बिहार का सबसे बड़ा सभागार होगा. देश के दो चार चुनिंदा सभागार में से एक बापू सभागार का उद्घाटन बापू के संदेश के ऊपर उनकी जयंती पर किया जा रहा है. बापू सभागार अत्याधुनिक व्यवस्था से लैस है. इस सभागार में साउंड और लाइटिंग की जबरदस्त व्यवस्था है. इस सभागार की बनावट चीनी स्थापत्य कला से प्रभावित लगती है.
बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ शपथ
इस सभागार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार की जनता को दहेज प्रथा और बाल विवाह की प्रथा को खत्म करने का संकल्प दिलाएंगे. पूरे बिहार मे इस अवसर पर लोग शपथ लेंगे कि वो न दहेज लेंगे और ना देंगे. साथ ही बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ भी जंग छेड़ेंगे. माना जा रहा है कि इस कार्यक्रम में बिहार के करोड़ो लोग शामिल होंगे. पटना के जिलाधिकारी संजय अग्रवाल ने दावा किया है कि इस कार्यक्रम में 5 लाख लोग शामिल होंगे. मुख्य कार्यक्रम बापू सभागार में होगा जबकि जिलास्तर, ब्लॉक स्तर और पंचायत स्तर पर भी इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.
शराबबंदी के खिलाफ चलाई थी मुहिम
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में शराबबंदी लागू करके पहले ही समाजिक परिवर्तन का आगाज कर चुके हैं. 1 अप्रैल 2016 से बिहार में शराबबंदी लागू है. 21 जनवरी 2017 को करीब चार करोड़ लोगों ने पूरे बिहार में शराबबंदी के पक्ष में मानव श्रृंखला बनाई थी. दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ इस मुहिम को भी सफलता मिले इसके लिए राज्य सरकार और सभी जिले के प्रशासन जोर-शोर से लगे हुए हैं. जिस प्रकार शराबबंदी को लेकर महिलाओं में जबरदस्त उत्साह देखा गया था, माना जा रहा है कि ये दोनों सामाजिक परिवर्तन भी महिलाओं को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल होंगे.