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बिहार में ओवैसी और मांझी साथ-साथ, क्या यह नए समीकरण का आगाज है?

ओवैसी की पार्टी बिहार में अपनी जड़ें जमाने में लगी है. हाल में हुए विधानसभा उपचुनाव में उसे किशनगंज से सफलता भी मिली है. लेकिन ओवैसी लगातार बिहार में अपने संगठन को मजबूत करने में लगे हैं.

जीतन राम मांझी और असदुद्दीन ओवैसी जीतन राम मांझी और असदुद्दीन ओवैसी
सुजीत झा
  • पटना,
  • 26 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 9:57 PM IST

  • बिहार में बन सकता दलित-मुस्लिम का नया समीकरण
  • एनडीए ही नहीं महागठबंधन को भी हो सकता है नुकसान

बिहार के विधानसभा चुनाव में एक नया समीकरण उभर रहा है. माना जा रहा था कि बिहार 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला होगा. लेकिन इस सब के बीच एक नया समीकरण आकार लेने में लगा हुआ है. यह समीकरण बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के बीच बन रहा है. इसका पहला टेस्ट 29 दिसंबर को किशनगंज में दोनों की सांझा रैली से होगा. ये दोनों नेता सीएए और एनआरसी के विरोध में एक रैली को किशनगंज में संबोधित करेंगे.

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हालांकि दोनों से साथ विधानसभा चुनाव मैदान में आने के बारे में पूछने पर हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम ने कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव में कौन किसके साथ जाएगा, यह आने वाला समय बताएगा. जब यह पूछा गया कि क्या ओवैसी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे? उन्होंने कहा कि ओवैसी हमारे साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे या हम ओवैसी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे, यह आने वाला वक्त बताएगा.

मांझी बोले- फिलहाल हम एनआरसी और सीएए के खिलाफ

गया में मीडिया से बात करते हुए मांझी ने कहा कि हम फिलहाल एनआरसी और सीएए के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा कि हर हाल में सीएए और एनआरसी राष्ट्र हित में नहीं है. यह पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है. राजनैतिक लाभ लेने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने एनआरसी और सीएए का राजनीतिक हथकंडा अपनाया है, जिसे हम हर हाल में कामयाब नहीं होने देंगे. राष्ट्र हित में हम एनआरसी लागू नहीं होने तक विरोध करते रहेंगे.

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29 को किशनगंज पहुंचेंगे ओवैसी

उन्होंने आगे कहा कि हमारा देश सांप्रदायिक सौहार्द का देश है. यहां विभिन्नता में एकता देश की मिसाल है. हम अपने देश के अखंडता को किसी भी हाल में सांप्रदायिक पार्टियों की बलिवेदी पर नहीं चढ़ने देंगे. एआईएमआईएम विधायक कमरूल होदा ने बताया कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी 29 दिसंबर को किशनगंज आएंगे. सभा में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम राम मांझी भी शामिल होंगे.

इस बार अकेले चुनाव लड़ेगी ओवैसी की पार्टी

ओवैसी की पार्टी बिहार में अपनी जड़ें जमाने में लगी है. हाल में हुए विधानसभा उपचुनाव में उसे किशनगंज से सफलता भी मिली है. लेकिन ओवैसी लगातार बिहार में अपने संगठन को मजबूत करने में लगे हैं. इसलिए इस बार के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने बिहार के सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा पहले ही कर दी है.

दलित-मुस्लिम का बन सकता है नया समीकरण

अगर जीतन राम मांझी के साथ ओवैसी का गठबंधन होता है तो दलित और मुस्लिम का एक नया समीकरण हो सकता है. वैसे ज्यादातर मुस्लिम आरजेडी के विचारधारा से प्रभावित रहते हैं लेकिन ओवैसी के मजबूत होने से निश्चित तौर पर आरजेडी को झटका लग सकता है.

एनडीए के साथ-साथ महागठबंधन को भी हो सकता है नुकसान

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आपको याद दिला दें कि कांग्रेस के जमाने में मुस्लिम और दलित का समीकरण प्रभावी रहा है. लेकिन हाल के वर्षों में ऐसा कोई समीकरण सामने नहीं आया था. अब अगर यह गठबंधन हो गया तो महागठबंधन के साथ-साथ एनडीए को भी नुकसान पहुंच सकता है.

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