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आजादी के 70 वर्षों बाद इस इलाके ने देखा बिजली का बल्ब

बिहार में ऐसे 212 गांव हैं, जो बेहद दुर्गम क्षेत्र में बसे हुए हैं. इनमें से कुछ इलाके रोहतास और कैमूर जिले में हैं, तो कुछ पश्चिम चंपारण में हैं. इस काम के पहले चरण में अधौरा पहाड़ी के 12 गांवों में पहली बार बिजली की रौशनी देखी गई है. ये इस इलाके में बसे करीब दो हजार लोगों के लिए वरदान से कम नहीं है.

गांव में सोलर बिजली की व्यवस्था गांव में सोलर बिजली की व्यवस्था
सुरभि गुप्ता/सुजीत झा
  • नई दिल्ली,
  • 24 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 3:16 AM IST

ऐसा इलाका जहां के लोगों ने बिजली का बल्ब नहीं देखा था, आजतक लालटेन की रोशनी में जीने वाले लोगों को अचानक बिजली की रौशनी मिलने लगे, तो उनकी खुशी का अंदाजा लगाया जा सकता है. ये दुर्गम इलाका है बिहार के कैमूर जिले का अधौरा पहाड़, जहां आजादी के 70 वर्षों के बाद गांव में बिजली पहुंची है.

दुर्गम गांवों में सोलर बिजली की व्यवस्था

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कैमूर का अधौरा पहाड़ी नक्सल इलाके के लिए कुख्यात रहा है. अधौरा पहाड़ी में बसे गांवों में विकास की किरण अभी तक नहीं पहुंची थी, लेकिन बिहार के घर-घर बिजली कार्यक्रम के तहत दिसबंर 2018 तक सभी घरों में बिजली पहुंचाने की मुहिम के तहत इन दुर्गम गांवों में सोलर बिजली पहुंचाई जा रही है. इन इलाकों में जाने के लिए अभी तक सड़क नहीं है. इतना दुर्गम इलाका है, जहां बिजली के उपकरण पहुंचाने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ी. 18 फीट पर बसे इन गांवों में बिजली पहुंचने में विभाग को काफी मेहनत करनी पड़ी. बिजली कंपनी के सीएमडी प्रत्यय अमृत का कहना है कि इन इलाकों में खंभों से ग्रीड का बिजली पहुंचाना संभव ही नहीं है, इसलिए यहां सोलर बिजली पहुंचाई जा रही है.

दुर्गम क्षेत्र में बसे 212 गांव

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बिहार में ऐसे 212 गांव हैं, जो बेहद दुर्गम क्षेत्र में बसे हुए हैं. इनमें से कुछ इलाके रोहतास और कैमूर जिले में हैं, तो कुछ पश्चिम चंपारण में हैं. इस काम के पहले चरण में अधौरा पहाड़ी के 12 गांवों में पहली बार बिजली की रौशनी देखी गई है. ये इस इलाके में बसे करीब दो हजार लोगों के लिए वरदान है.

बिजली पहुंचाने की दो खास व्यवस्था

अघौरा पहाड़ी जिला मुख्यालय भभुआ से 53 किलोमीटर की दूरी पर है, इन दुर्गम इलाकों में बिजली पहुंचाने के लिए दो तरह की व्यवस्था की गई है. एक व्यवस्था स्टैंड एलोन है यानी हर घर के बाहर स्टैंड और प्लेट लगाकर बिजली दी गई है. दूसरी व्यवस्था सौर ऊर्जा का मिनी ग्रीड स्थापित कर किया गया है. बिजली कंपनी सौर ऊर्जा से चलने वाला खास पंखा भी कनेक्शन के साथ दे रही है.

दिसबंर 2018 तक हर घर बिजली की योजना

212 दुर्गम गांवों के लिए 330 करोड़ के बजट का प्रावधान है. 80 गांवों में तेजी से काम चल रहा है और इन सभी गांवों में दिसबंर 2018 तक बिजली पहुंचा दी जायेगी. बिजली कंपनी के सीएमडी प्रत्यय अमृत ने बताया कि 10 और 11 नवंबर को देशभर के ऊर्जा मंत्रियों का सम्मेलन बिहार के राजगीर में आयोजित किया गया है. इनमें केंद्रीय ऊर्जा मंत्री राजकुमार सिंह भी शामिल होंगे. इन अतिथियों को अघौरा के उन गांवों का भ्रमण कराया जायेगा, जहां सौर ऊर्जा से दुर्गम इलाके में बिजली पहुंचाई गई है. केंद्र सरकार ने भी दिसबंर 2018 तक घर-घर बिजली देने का ऐलान किया है. ऐसे में देश के अन्य दुर्गम इलाकों में भी इस पैटर्न के तहत बिजली पहुंचने का काम हो सकता है. यानी बिहार के इस मेथड का इस्तेमाल देश के अन्य इलाकों में भी हो सकता है.

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