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UP पर फैसले के बाद क्या बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री खाली करेंगे सरकारी बंगला?

पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने पहल करते हुए कहा है कि जिस तरीके से सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपने सरकारी आवास को खाली करने का फरमान सुनाया है उसी तरीके से इसे बिहार में भी लागू किया जाना चाहिए. राबड़ी देवी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला बिहार में भी लागू हो क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगलों में नहीं रहना चाहिए.

राबड़ी देवी राबड़ी देवी
परमीता शर्मा/रोहित कुमार सिंह
  • पटना,
  • 09 मई 2018,
  • अपडेटेड 4:06 AM IST

जिस तरह उत्तर प्रदेश में सरकार द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए आजीवन सरकारी बंगले की व्यवस्था की गई थी उसी तरह की व्यवस्था बिहार में भी पिछले कई वर्षों से है जिसका फायदा कई पूर्व मुख्यमंत्री उठा रहे हैं. लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, जीतन राम मांझी, जगन्नाथ मिश्रा और सतीश प्रसाद सिंह, यह सभी नाम पूर्व मुख्यमंत्रियों के हैं जो आज के दिन बिहार सरकार द्वारा आजीवन के लिए आवंटित सरकारी बंगलों में रह रहे हैं.

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ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने पहल करते हुए कहा है कि जिस तरीके से सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपने सरकारी आवास को खाली करने का फरमान सुनाया है उसी तरीके से इसे बिहार में भी लागू किया जाना चाहिए. राबड़ी देवी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला बिहार में भी लागू हो क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगलों में नहीं रहना चाहिए.

गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते राबड़ी देवी और लालू प्रसाद दोनों को आजीवन अलग-अलग सरकारी बंगलों में रहने का प्रावधान है मगर इसके बावजूद भी राबड़ी देवी और लालू प्रसाद अपने पूरे परिवार के साथ एक ही बंगले 10, सर्कुलर रोड में रहते हैं. 2005 में सत्ता से बेदखल होने के बाद से ही राबड़ी देवी के नाम पर इस बंगले को आवंटित किया गया था. राबड़ी देवी 1997 से लेकर 1999 और फिर 1999 से लेकर 2000 तथा 2000 से लेकर 2005 के बीच तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रहीं और लालू प्रसाद यादव 1990 से 1995 और 1995 से लेकर 1997 के बीच दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे थे.

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इन दोनों के साथ-साथ जीतन राम मांझी, जगन्नाथ मिश्र और सतीश प्रसाद सिंह भी पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते सरकारी बंगले में रह रहे हैं. सतीश प्रसाद सिंह 1968 में केवल 3 दिनों के लिए मुख्यमंत्री बने थे.

आजतक से बातचीत करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद सिंह ने कहा कि राजनीति से अलग होने के बाद तकरीबन 20 साल तक उन्हें कोई भी सरकारी सुविधा नहीं मिली लेकिन 2010 में नीतीश कुमार सरकार द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास का प्रावधान का कानून बनाने के बाद ही उन्हें 33A, हार्डिंग रोड बंगला आवंटित किया गया था. हालांकि, सतीश प्रसाद सिंह ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट का आदेश होगा या फिर बिहार सरकार चाहेगी तो वह इस बंगले को तुरंत खाली कर देंगे.

पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र जिन्हें 41, क्रांति मार्ग सरकारी बंगला आवंटित किया गया है उन्होंने भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश होने पर सरकारी बंगले को खाली करने की बात कही. घोटाले के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद जगन्नाथ मिश्र फिलहाल रांची जेल में बंद हैं मगर इस बंगले में उनका परिवार रह रहा है और उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट चाहेगी या फिर बिहार सरकार का आदेश होगा तो वह इस बंगले को छोड़ देंगे. जगन्नाथ मिश्र 1975 से लेकर 1977 और फिर 1980 से लेकर 1983 तथा 1989 से लेकर 1990 तक तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे.

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मगर इन सब से इधर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अलग ही बात कह रहे हैं. 'आजतक' से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर आवंटित सरकारी बंगला अगर उन्हें छोड़ना पड़ा तो इससे उनके खुद के और परिवार की जान को खतरा होगा. जीतन राम मांझी 2014 से 2015 के बीच 9 महीनों के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. उन्हें 12A, स्ट्रैंड रोड पर बंगला आवंटित किया गया है.

सरकारी बंगलों के साथ-साथ इन सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन 10 पुलिसकर्मी हाउस गार्ड और बॉडीगार्ड का रूप में मिलते रहेंगे. इसके साथ ही इन्हें पायलट और एस्कॉर्ट के साथ एक बुलेट प्रूफ गाड़ी भी दी गई है. इन पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन अपने सरकारी बंगले पर मुफ्त बिजली की सुविधा भी मिल रही है. सरकार की तरफ से इन पूर्व मुख्यमंत्रियों को 8 कर्मचारियों की सुविधा भी दी गई है जिनमें से एक आप्त सचिव रैंक का अफसर शामिल है, एक प्राइवेट सेक्रेटरी, दो स्टेनों, तीन अर्दली और एक ड्राइवर.

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