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अमित शाह का बिहार प्लान, नीतीश के साथ लंच और डिनर से सुलझेगा सीट बंटवारे का मसला?

अमित शाह नीतीश कुमार की मुलाकात तब हो रही है जब पिछले कुछ वक्त से दोनों दलों के नेताओं में लोकसभा चुनाव में सीटों के तालमेल को लेकर ताबड़तोड़ बयानबाजी हो रही है. इस बात को लेकर विवाद है कि आखिर एनडीए बंधन में बड़ा भाई कौन है जदयू या भाजपा?

नीतीश कुमार और अमित शाह (फाइल फोटो) नीतीश कुमार और अमित शाह (फाइल फोटो)
सना जैदी/रोहित कुमार सिंह
  • पटना,
  • 11 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 8:27 PM IST

2019 लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन के साथियों के गिले-शिकवे को दूर करने के इरादे से बीजेपी ने संपर्क फॉर समर्थन कार्यक्रम चला रखा है, जिसके तहत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह कल यानी गुरुवार को पटना पहुंचेंगे और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात करेंगे.

अमित शाह नीतीश कुमार की मुलाकात तब हो रही है जब पिछले कुछ वक्त से दोनों दलों के नेताओं में लोकसभा चुनाव में सीटों के तालमेल को लेकर ताबड़तोड़ बयानबाजी हो रही है. इस बात को लेकर विवाद है कि आखिर एनडीए बंधन में बड़ा भाई कौन है जदयू या भाजपा?

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एक दिन में दो बार मिलेंगे शाह-नीतीश

अमित शाह और नीतीश कुमार की होने वाली मुलाकात में सबसे दिलचस्प बात यह है कि एक ही दिन में यह दोनों बड़े नेता एक बार नहीं बल्कि 2 बार मुलाकात करेंगे. पहली बार सुबह के नाश्ते पर और दूसरी बार रात के भोजन पर. तय कार्यक्रम के मुताबिक अमित शाह सुबह 10:00 बजे पटना एयरपोर्ट पहुंचेंगे जिसके बाद वह सीधे स्टेट गेस्ट हाउस जाएंगे जहां पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पहुंचेंगे और दोनों नेता साथ में नाश्ता करेंगे.

11:30 से 12:30 के बीच पार्टी की सोशल मीडिया टीम के साथ ज्ञान भवन में बैठक करेंगे. 12:45 से 1:45 के बीच वह पार्टी के विस्तारकों की बैठक में हिस्सा लेंगे. 2:30 से 3:30 तक शाह शक्ति केंद्र के प्रभारियों के साथ बापू सभागार में बैठक करेंगे. शाम 4:00 बजे से 7:00 बजे तक वह चुनाव तैयारी समिति के साथ स्टेट गेस्ट हाउस में बैठक करेंगे. इस बैठक के बाद वह एक अन्य मार्ग जाएंगे जहां पर वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ रात्रि भोज करेंगे.

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इससे पहले संपर्क फॉर समर्थन कार्यक्रम के तहत अमित शाह ने मुंबई में पिछले महीने शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से भी मुलाकात की थी. लेकिन वहां उनसे केवल एक मुलाकात हुई थी जबकि पटना दौरे के दौरान शाह की नीतीश से दो बार मुलाकात होनी है.

खास बात यह है कि अमित शाह और नीतीश कुमार की मुलाकात उस वक्त हो रही है जब दोनों दलों के नेताओं के बीच ना केवल सीटों के तालमेल को लेकर मामला फंसा हुआ है बल्कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने को लेकर और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह द्वारा नीतीश सरकार को हिंदुओं पर अत्याचार करने के गंभीर आरोप लगाने को लेकर विवाद चरम पर है. पिछले दिनों नीतीश कुमार ने नोटबंदी के फैसले पर भी यू-टर्न लिया था और इससे होने वाले फायदे पर सवाल उठाए थे.

जहां तक सीटों के तालमेल का सवाल है, पिछले कुछ वक्त के दौरान जदयू ने साफ कह दिया है कि उन्हें 40 में से 25 लोकसभा सीटें कम से कम लड़ने के लिए मिलनी चाहिए. जदयू का मानना है कि 2009 में जदयू और भाजपा के बीच सीटों का जो तालमेल का फार्मूला था, उसी को 2019 में भी दोहरा जाना चाहिए यानी जदयू 25 सीटों पर चुनाव लड़े और भाजपा 15 सीटों पर. जदयू ने यह भी मांग की है कि बिहार में लोकसभा चुनाव नीतीश कुमार के चेहरे को आगे रखकर लड़ा जाए क्योंकि प्रदेश में जदयू ही बड़ा भाई है.

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वहीं दूसरी तरफ बीजेपी का मानना है कि 2014 लोकसभा चुनाव में जदयू ने केवल 2 सीटें जीती थी और इसी को आधार मानकर 2019 चुनाव में भी जदयू को कम सीटें दी जानी चाहिए. भाजपा के इस रुख से नाराज जदयू ने यहां तक कह दिया है कि अगर उन्हें 25 सीटें लड़ने को नहीं मिली तो भाजपा सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र है. जाहिर सी बात है भाजपा के ऊपर जदयू की दबाव की राजनीति है.

जहां तक विशेष राज्य के दर्जे का सवाल है तो नीतीश ने साफ कह दिया है कि यह मुद्दा जदयू के लिए काफी अहम है यानी पार्टी केंद्र सरकार के ऊपर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने का मुद्दा उठाती रहेगी. विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने को लेकर भी जदयू और भाजपा के बीच टकराव की स्थिति है. लेकिन हाल के दिनों में जिस वजह से नीतीश कुमार भाजपा से नाराज है वह है केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का बयान जहां उन्होंने नीतीश सरकार पर हिंदुओं पर अत्याचार करने और निर्दोषों को झूठे दंगों के केस में फंसा कर जेल भेजने का आरोप लगाया है.

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