
बिहार में महागठबंधन टूटने से खफा लालू यादव नीतीश कुमार पर जमकर बरसे हैं. लालू ने नीतीश कई गंभीर आरोप भी लगाए. लालू ने नीतीश पर हमला करते हुए कहा कि इस्तीफा पूरा तरह सेट था. नीतीश पर भी 302 का मुकदमा दर्ज है और उनके खिलाफ संज्ञान लिया जा चुका है. देश का कोई भी मुख्यमंत्री नहीं है जिस पर हत्या का मुकदमा दर्ज हो. उन पर जो मुकदमा दर्ज है उसमें फांसी की सजा है. यह बयान मेरा नहीं है बल्कि उनके हलफनामे में इस मामले का जिक्र है, तो वह सीएम के पद पर कैसे बैठ थे. ईमानदारी और भ्रष्टाचार से बड़ा है अत्याचार और नीतीश कुमार उसी हत्या के आरोपी हैं. यही जीरो टोलरेंस पॉलिसी है मेरे छोटे भाई नीतीश कुमार की. उनको यह मालूम था कि अब इस मामले में हम बचने वाले नहीं है इसलिए उन्होंने तेजस्वी से इस्तीफा न मांगकर खुद इस्तीफा दे दिया.
इसके अलावा लालू ने एक के बाद एक ट्वीट करके भी नीतीश पर निशाना साधा. लालू ने नीतीश को चुनाव में आने की भी चुनौती दी है. लालू ने ट्वीट कर कहा कि नैतिकता और भ्रष्टाचार की दुहाई देने वाले नीतीश को चुनाव में आना चाहिए. पता लग जाएगा जनता भ्रष्टाचार/नैतिकता की लड़ाई में कितना उनके साथ है?
लालू ने कहा कि बिहार के गरीब, वंचित और आरक्षण समर्थित वर्गों ने महागठबंधन को BJP के खिलाफ ऐतिहासिक बहुमत दिया था. महागठबंधन की भ्रूणहत्या की जा रही है. आरोप नीतीश और तेजस्वी दोनों पर है. महागठबंधन दलों के विधायको को बैठकर नया नेता चुनना चाहिए. बिहार की सामाजिक न्यायपसंद जनता की यही अपेक्षा है. बिहार में रिकॉर्ड तोड़ बहुमत BJP के विरुद्ध मिला था. अब उसी BJP के समर्थन से नीतीश सरकार चलाकर नैतिकता का रिकॉर्ड स्थापित करेंगे.
आरजेडी प्रमुख ने ट्वीट कर कहा कि हमारे ऊपर भ्रष्टाचार के तथाकथित आरोप पहले से ही थे. क्या गठबंधन करते और सरकार बनाते वक्त नीतीश कुमार नहीं जानते थे?
लालू ने नीतीश पर लगाए संगीन आरोप
वहीं नीतीश के इस कदम के बाद आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव भी मीडिया के सामने आए और नीतीश कुमार पर कई संगीन आरोप लगाए. लालू यादव ने नीतीश कुमार पर विभिन्न धाराओं के तहत लगे आरोपों की फेहरिस्त बताई. आरजेडी सुप्रीमो ने कहा, नीतीश कुमार के खिलाफ मर्डर केस दर्ज है, जिसमें उन्हें उम्र कैद की सजा भी हो सकती है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने खुद चुनावी हलफनामे में 302 और 307 की धारा के तहत केस की बात स्वीकारी थी. नीतीश को पता था कि वे बचेंगे नहीं, वह उम्रकैद और फांसी की सजा से डर गए, इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया.