
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 127वीं जयंती के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पासवान जाति के लिए बड़ा ऐलान किया. नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य सरकार की जिन विकास योजनाओं का लाभ सिर्फ महादलितों को मिल रहा था, उनका फायदा अब पासवान जाति को भी मिलेगा.
नीतीश कुमार ने यह ऐलान केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष राम विलास पासवान द्वारा पटना में आयोजित भीमराव अंबेडकर जयंती के मौके पर किया. गौरतलब है कि अब तक बिहार में दलित समुदाय की सभी जातियों को नीतीश कुमार ने महादलित वर्ग में शामिल कर दिया था. इन जातियों के लिए अलग से योजनाएं और विकास के कार्य किए जा रहे थे.
पिछले कई वर्षों से रामविलास पासवान की यह मांग रही थी कि जब नीतीश सरकार ने दलित समुदाय की सभी जातियों को महादलित वर्ग में शामिल कर दिया है तो फिर पासवान जाति को क्यों इससे अलग रखा गया है? इसका जवाब यह है कि कुछ वर्ष पहले तक नीतीश कुमार और रामविलास पासवान के रास्ते अलग अलग थे और राजनीतिक वजहों के चलते नीतीश सरकार ने पासवान जाति को महादलित वर्ग से अलग रखा था. मगर अब जब दोनों देता NDA में साथ हो गए हैं तो रामविलास पासवान ने एक बार फिर नीतीश कुमार से यह मांग रखी कि पासवान जाति को महादलित वर्ग में शामिल किया जाना चाहिए और उसे भी सभी प्रकार के लाभ मिलने चाहिए.
रामविलास पासवान की इसी मांग को मानते हुए नीतीश कुमार ने शनिवार को ऐलान किया कि अब पासवान जाति भी महादलित वर्ग में शामिल होगी और उसे भी महादलितों के लिए चलाई जा रहीं विशेष सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि जो जातियां पिछले कई वर्षों से हाशिये पर चली गई थीं, उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए महादलित वर्ग का गठन किया गया था.
नीतीश के इस ऐलान का फायदा तकरीबन 4 फीसदी पासवान जाति को मिलेगा. बता दें कि राजनीतिक तौर पर नीतीश कुमार का यह फैसला काफी अहम माना जा रहा है. दरअसल, बीजेपी के खिलाफ दलित विरोधी माहौल के बीच नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में रामविलास पासवान जैसे बड़े दलित नेता को साधकर अपनी राह आसान बनाना चाहते हैं. नीतीश कुमार और राम विलास पासवान के बीच बढ़ती करीबी से बिहार बीजेपी नेताओं में बेचैनी की भी अटकलें हैं. दोनों दलों के बीच एक मोर्चो बन सकने की अटकलों से बीजेपी पर दबाव बढ़ने लगा है. ऐसे में नीतीश कुमार यह फैसला इन आशंकाओं को और बल देगा.