
50 साल पुराने कोसी बराज पर इन दिनों खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. बरसात का मौसम होने के कारण कोशी के जलस्तर में बढ़ोत्तरी तो ही रही है, इसके अलावा कोशी बराज आंतकवादियों के निशाने पर भी है. आतंकी संगठनों ने भरात-नेपाल सीमा पर बने कोसी बराज को उड़ा देने की धमकी दी है. आतंकियों से मिली इस धमकी के बाद से कोसी बराज की सुरक्षा को बढ़ा दिया गया है.
कोसी बराज को आतंकियों ने दी उड़ाने की धमकी
कोसी बराज को उड़ाने की धमकी आतंकियों से मिलने के बाद भारत और नेपाल के अधिकारियों की नींद हराम हो गई है. कोसी बराज की सुरक्षा में नेपाल के सुरक्षा गार्ड के अलावा सेना के जवानों को भी लगा दिया गया है. कोसी बराज से निकलने वाले वाहनों की कड़ी जांच भी की जा रही है. सुरक्षाकर्मी काफी सजग होने के साथ-साथ काफी एहतियात भी बरत रहे हैं ताकि किसी भी अनहोनी से निपटा जा सके.
सुरक्षा कारणों की वजह से भारत और नेपाल का कोई भी आला अधिकारी आतंकी संगठनों का नाम नहीं ले रहा है. सुनहरी, नेपाल के सीडीओ मोहन चापागई ने कहा कि कोसी बराज को उड़ाने की मिली धमकी के बाद से प्रशासन काफी सजग है. सुनहरी जिला प्रशासन के साथ-साथ एपीएफ की एक टुकड़ी को भी बराज की सुरक्षा में लगाई गई है. उन्होंने कहा कि कोसी बराज पर आने-जाने वाले वाहनों की सघन जांच भी की जा रही है. सुनहरी के सीडीओ मोहन चापागई ने कहा कि कोसी बराज काफी गंभीर मुद्दा है और इसकी सुरक्षा के लिए प्रशासन को सजग रहने का निर्देश दिया गया है।
जल स्तर में हुई रिकॉर्ड बढ़ोतरी
1965 में बने कोसी बराज की दशा से भी नेपाल जिला प्रशासन परेशान है. पिछले 72 घंटों में कोसी के जलस्तर में रिकार्ड बढ़ोतरी हुई है. शनिवार शाम को बीरपुर बराज का जलस्तर दो लाख पचास हजार 125 घनमीटर प्रति सेकेंड दर्ज किया गया था. इससे पहले तीन सितंबर 2015 को जलस्तर दो लाख 47 हजार 830 घनमीटर प्रति सेकंड दर्ज किया गया था. इस कारण बराज पर लगातार इंजीनियर निगरानी रख रहे हैं. इंजीनियरों का मानना है कि इसमें और वृद्धि हो सकती है. कोसी के जल स्तर ने पिछले साल के रिकार्ड को भी पीछे छोड़ दिया है.
कोसी बराज के पुनर्निमाण की जरूरत
नेपाल के इंजीनियरों का मानना है कि कोसी बराज के पुनर्निमाण की जरुरत है. कोसी के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि से नेपाल के साथ-साथ भारत के लोग भी सहमे हुए हैं. सुनहरी, नेपाल के सीडीओ मोहन चापागई ने कहा कि चूंकि कोसी बराज 51वें साल में प्रवेश कर चुका है जिसकी वजह से बराज कमजोर हो चुका है. समय-समय पर कोसी बराज में मरम्मत और रख-रखाव के काम तो होते हैं लेकिन अब इसके पूरी तरह से मरम्मत करने की जरुरत है. उन्होंने कहा कि कोसी के तेज धार से बराज हिलने लगता है.
सैंकड़ों जिंदगियों पर मंडरा रहा है खतरा
साल 1965 में नेपाल के राजा महेंद्र और भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने इस बराज का इसका निर्माण कार्य पूरा कराया था. कोसी ने साल 2008 में काफी कहर बरपाया था. 2008 जैसी बाढ़ कोसी में पिछले 50 सालों में नहीं आई थी. 2008 में कोसी ने अपना रौद्र रुप दिखलाया था तो सैंकड़ों लोग मारे गए थे. लाखों लोग बेघर हुए करीब 3 लाख घरों और 8 लाख 40 हजार एकड़ जमीन में लगी फसल को कोसी के बाढ़ से तबाह हो गए थे.
तराई इलाकों में मंडरा रहा है खतरा
कोसी बराज पर खतरा आने से बिहार के अररिया, पूर्णिया, किशनगंज, मधेपुरा, सहरसा और सुपौल जिला काफी प्रभावित होगा. नेपाल के तराई इलाकों में हो रही लगातार बारिश से कोसी के साथ-साथ छोटी-छोटी नदियों में उफान आ गया है. शनिवार को सुपौल की तिलयुगा नदी की उफन मारती धारा ने इंडो-नेपाल पिलर नंबर संख्या 223 के पास बांध को ध्वस्त कर दिया. पानी का दबाव इतना तेज था कि बांध तकरीबन 30 फुट तक कट गया.