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आज भी बिजली को तरस रहे हैं छत्तीसगढ़ के साढ़े चार लाख घर

आमतौर पर तमाम राज्य बिजली उत्पादन और खपत के मामले में केंद्र सरकार के पावर ग्रिड और NTPC पर निर्भर हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार के खुद पावर जनरेशन के चार मेगा प्लांट हैं. दिल्ली , उत्तरप्रदेश , कर्णाटक , आंधप्रदेश , मध्यप्रदेश , तेलंगाना समेत कई राज्यों को छत्तीसगढ़ की सरकार बिजली बेचती है.

छत्तीसगढ़ के 27 जिलों में आज भी बिजली नहीं छत्तीसगढ़ के 27 जिलों में आज भी बिजली नहीं
सुनील नामदेव
  • रायपुर,
  • 07 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 6:37 AM IST

छत्तीसगढ़ देश में बिजली उत्पादन के मामले में अव्वल नंबर पर है. यहां रोजाना लगभग साढ़े ग्यारह हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. राज्य में एक सैकड़ों छोटे-बड़े बिजली घर हैं, यहां थर्मल और हाइड्राल दोनों ही सिस्टम से बिजली पैदा होती है. छत्तीसगढ़, देश का एक मात्र ऐसा राज्य है जहां सरप्लस बिजली है. मतलब खपत से ज्यादा. राज्य में रोजाना  पांच हजार मेगावाट से ज्यादा बिजली का उत्पादन होता है.

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आमतौर पर तमाम राज्य बिजली उत्पादन और खपत के मामले में केंद्र सरकार के पावर ग्रिड और NTPC पर निर्भर हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार के खुद पावर जनरेशन के चार मेगा प्लांट हैं. दिल्ली , उत्तरप्रदेश , कर्णाटक , आंधप्रदेश , मध्यप्रदेश , तेलंगाना समेत कई राज्यों को छत्तीसगढ़ की सरकार बिजली बेचती है. लेकिन इस राज्य के 27 जिलों में साढ़े चार लाख घर ऐसे हैं, जिन्हें आज भी बिजली नसीब नहीं हुई है. ना तो गांव में आजादी के पहले बिजली थी और ना ही आजादी के बाद. बिजली कब मुहैया होगी इस बारे में कुछ पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता. हालांकि राज्य की बीजेपी सरकार दावा करती है कि मार्च 2019 तक सभी गांव में बिजली पहुंचा दी जाएगी.

देश के एक मात्र पावर हब का दर्जा वाले छत्तीसगढ़ राज्य के जिस जिले में भी जाइए वहां आपको कई छोटे-बड़े बिजली घर दिखाई देंगे. कहीं कोयले से बिजली बन रही है तो कहीं पानी से. यही नहीं सैकड़ो की तादाद में ऐसे बिजली घर हैं जो धान के छिलके और भूसे को जलाकर बिजली पैदा करते है. इस तरह के अमूमन दो दर्जन प्लांट है. रायपुर के अलावा कोरबा, रायगढ़, जांजगीर चांपा, बिलासपुर, अंबिकापुर, जशपुर और बैकुंठपुर कोरिया वो जिले है जहां रोजाना हजारों मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. इन्हीं जिलों से सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश के कई राज्य रोशन होते हैं.

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राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह के मुताबिक नक्सली इस मामले में रोड़ा अटकाते हैं. वे बिजली पोल उखाड़ देते हैं. सर्विस लाइन  नष्ट कर देते हैं. बिजली लगाने के काम में जुटे मजदूरों को डरा धमका कर काम बंद करवा देते हैं. हालांकि उन्होंने आश्वस्त किया है कि आने वाले दो सालो में राज्य के सभी गांव में बिजली पहुंचा दी जाएगी. उन्होंने बताया कि इसके लिए DPR बना कर केंद्र सरकार को भेजा गया है. इस पर होने वाला साठ फीसदी व्यय केंद्र, दस फीसदी राज्य सरकार और तीस फीसदी पावर जनरेशन कंपनी वहन करेगी.

छत्तीसगढ़ के 27 जिलों में साढ़े चार लाख घर ऐसे हैं, जहां आज भी बिजली नहीं है. कई इलाको में तो सालो से बिजली के पोल लगे हैं, लेकिन बिजली नहीं पहुंची. छत्तीसगढ़ के इन्हीं 27 जिलों के 164 गांव ऐसे है जहां बसे लोग आज भी रात में मशाल और लालटेन व मोमबत्ती जला कर गुजारा करते हैं. इन ग्रामीणों ने अब रोशनी की आस छोड़ दी है. चुंकि वर्ष 2001 में जब मध्यप्रदेश से विभक्त हो कर छत्तीसगढ़ नया राज्य बना था, तब यहां के लोगों को बताया गया था कि अब उनके गांव में ही नहीं बल्कि घर-घर में बिजली आएगी लेकिन इतने सालों बाद भी बिजली नहीं आई.

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छत्तीसगढ़ के गठन को 17 बीत गए लेकिन इन गांव में बिजली का दूर-दूर तक अता-पता नहीं है. यहां के लोग आदिम युग की तरह आज भी रह रहे हैं. जशपुर जिला मुख्यालय से मात्र 5 किलोमीटर दूर जशपुर ब्लॉक का टिमरमा गांव, अंबिकापुर से मात्र 15 किलोमीटर दूर कुबेरपुर और डांगबंधी का ये नजारा है जहां लोग अंधेरे में रहने को मजबूर हैं. सूरज निकलते ही इन गांव में चहल पहल शुरू हो जाती है. और सूर्यास्त होते ही लोग घरो का रुख कर लेते हैं. कारण, इन गांवो में कई किलोमीटर तक बिजली नहीं है.   

छत्तीसगढ़ में रोजाना कम से कम साढ़े ग्यारह हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. इसमें छत्तीसगढ़ सरकार का हिस्सा लगभग 3500 मेगावाट रोजाना, एन.टी.पी.सी. का लगभग 4 हजार मेगावाट और प्राइवेट बिजली घर रोजाना लगभग 3500 मेगावाट बिजली का उत्पादन करते हैं. वर्ष 2001 में इस राज्य में कांग्रेस की सरकार आई. बतौर मुख्यमंत्री अजित जोगी ने तीन साल तक राज किया. इसके बाद 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी सत्ता में आई, तब से लगातार तीसरी बार  मुख्यमंत्री रमन सिंह ने सत्ता की बागडोर संभाली हुई है. वे बीजेपी के एक मात्र ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो सर्वाधिक दिनों तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज रहने वाले नेता बने हैं. 12 दिसंबर को वो 14 साल पुरे कर लेंगे. वर्ष 2018 में राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं, जाहिर है बतौर मुख्यमंत्री वे 15 साल पूरे करेंगे. इस सब के बावजूद यह राज्य रोशन होने वाला नहीं है क्योंकि उन सैकड़ो गांवों में बिजली पहुंचना टेढ़ी खीर है. वैसे भी अभी तक उन गांवों में बिजली पहुंचाने का ब्लू प्रिंट ही तैयार नहीं हुआ है. राज्य के मुख्यमंत्री की दलील है कि नक्सली गांव में बिजली पहुंचने नहीं दे रहे हैं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था कि 2022 तक देश के तमाम राज्यों में बिजली पहुंचा दी जाएगी. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार ने लक्ष्य तय किया है कि मार्च 2019 तक प्रदेश के हर घर को रोशन किया जाएगा. इसके लिए पहले पहले खेप में केंद्र सरकार की सौभाग्य योजना के तहत 4 लाख 65 हजार घरों में बिजली पहुंचाने का डीपीआर केंद्र सरकार को भेजा गया है. लेकिन इसे साल भर बाद भी मंजूरी नहीं मिल पाई है. जाहिर है 2019 में भी इस राज्य के सैकड़ों गांवों में बिजली नहीं पहुंचेगी. आखिर इन गांव में दिया तले अन्धेरा कब और कैसे दूर होगा, सरकार को ये देखने वाली बात होगी.

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