
छत्तीसगढ के बस्तर में यह महीना आम जनता और पुलिस के लिए अगस्त क्रांति की तरह साबित हुआ है, जिस तरह से स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अंग्रेजों के चंगुल से छूटने के लिए देश में अभियान छेड़ा गया था, उसी तर्ज पर बस्तर के कई इलाकों में नक्सलवाद के सफाए के लिए गांव-गांव में बिगुल फूंका जा रहा है. नक्सलवाद की जड़े इस तरह से हिल रही है कि आधा दर्जन कुख्यात नक्सली पुलिस के हत्थे चढ़ गए हैं. यही नहीं, इस माह नक्सली विचारधारा से जुड़े 34 लोगों ने पुलिस और CRPF के सामने आत्मसमर्पण कर दिया.
कई इनामी नक्सली ढेर
सुकमा, दंतेवाड़ा, कोंटा, कांकेर, कोंडागांव और दोरनापाल में आत्मसर्पण के लिए रोजाना नक्सली पुलिस और CRPF के संपर्क सूत्रों से घिरे रहे. इसका असर यह हुआ कि अकेले अगस्त महीने में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच बस्तर के अलग-अलग इलाकों में 14 मुठभेड़ हुई, इसमें आठ नक्सली मारे गए, जबकि दो पुलिसकर्मी शहीद हुए. सालों बाद बस्तर में ग्रमीणों का जत्था नक्सलियों से भयमुक्त होकर हिंसा के खिलाफ सड़कों पर उतर रहा है. हालांकि मुखबिरी के शक में नक्सलियों ने 5 ग्रामीणों को भी मौत के घाट उतार दिया.
स्वतंत्रता दिवस पर लोगों में दिखा जोश
आमतौर पर 15 अगस्त पर नक्सली बहिष्कार के चलते उन्हीं इलाकों में झंडा तोलन हो पाता है, जहां पर्याप्त सुरक्षा बल मौजूद होते हैं. लेकिन इस बार इलाके लोगों ने हिम्मत दिखाई और कई जगहों पर झंडा फहराने के साथ-साथ कई कार्यक्रम भी हुए. नक्सलवाद के प्रति जनता के मोहभंग होने से बस्तर की फिजा बदलने लगी है. कुख्यात नक्सली भीमा, महिला नक्सली सोनी, सोनाय और पीलाजी की गिरफ्तारी से नक्सली दलम में उहापोह की स्थिति बन गई है. वहीं अगस्त महीने के पहले हफ्ते में ओडिशा और छत्तीसगढ़ की सरहद पर हुई मुठभेड़ में कुख्यात नक्सली आयतु मारा गया था.
सुरक्षाबलों की मुहिम जारी
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का शहरी नेटवर्क संभालने वाला कुख्यात नक्सली आकाश उर्फ भीमा पुलिस के हत्थे चढ़ गया. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सरहद पर चल रहे नक्सली ऑपरेशन के दौरान भीमा को जंगल के एक खास हिस्से से गिरफ्तार किया गया. सुकमा के तत्कालीन कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन के अपहरण से लेकर कई बड़ी वारदातों में भीमा पुलिस के लिए वॉन्टेड था. यही नहीं, 2004 से लेकर 2014 के बीच भीमा ने कई बड़ी नक्सली वारदातों को अंजाम दिया. अप्रैल 2006 ने उसने CRPF पर हमला कर 7 जवानों को मौत के घाट उतार दिया था. इसी दौरान शहीद जवानों का शव लेने के लिए निकली सर्चिंग पार्टी पर दोबारा हमला कर 14 जवानों को बुरी तरह से जख्मी कर दिया था. इस घटना में तीन जवान शहीद हुए थे. 5 जून 2008 को उसने सुकमा कोंटा मार्ग पर लैंड माइन विस्फोट किया था, इस घटना में छत्तीसगढ़ पुलिस के 9 जवान शहीद हुए थे. 3 जून 2010 को सुकमा कोंटा हाइवे पर बोरकुड़ा के पास 60 किलो के दो लैंडमाइन लगाकर उसने CRPF पर हमला किया था, इस घटना में CRPF के 13 जवान शहीद हुए थे.
भीमा की गिरफ्तारी बड़ी कामयाबी
बताया जा रहा है कि शीर्ष नक्सली नेता किसान जी और उनकी पत्नी सुजाता के साथ भीमा का करीबी रिश्ता है. इसी के चलते नक्सली दल में उसकी जबरदस्त पैठ है. राज्य के DGP नक्सल ऑपरेशन डीएम अवस्थी खुद भीमा से पूछताछ कर रहे हैं. भीमा जंगल के कई इलाकों में नक्सलियों के लिए डिस्पेंसरी खोल रखी है. भीमा ने चार साल पहले शादी की थी और बच्चे पैदा ना हो इसके लिए रायपुर में आकर नसबंदी कराई थी. रायपुर, बिलासपुर, भिलाई, दुर्ग और महासमुंद में उसने समय समय पर अपना ठिकाना बनाया हुआ था, ताकि इन इलाकों में नक्सलियों का शहरी नेटवर्क मजबूत किया जा सके.
दो महिला कमांडर भी पुलिस की गिरफ्त में
उधर, सुकमा और दंतेवाड़ा की सरहद से सटे दंड़वन और मातला के जंगलों में सर्चिंग के दौरान CRPF को एक ग्रामीण के घर में संदिग्ध लोगों की सूचना मिली थी. सुरक्षा बलों की दबिश में दो महिला नक्सली कमांडर पकड़ी गई थीं. नक्सली कमांडर सोनी और सोनाय के फोटो नहीं होने के चलते अक्सर पुलिस को बैरंग लौटना होता था. इनके पास से दो एक 47 समेत भारी मात्रा में गोलियां बरामद की गई. फिलहाल लंबे अरसे बाद बस्तर का माहौल अगस्त क्रांति की तरह गरमाया हुआ है, यहां यह देखना लाजमी है कि नक्सलवाद और कमजोर होगा या फिर नक्सली अपनी खोई हुई जमीन फिर पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाएंगे.