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नक्सली इलाके में नहीं रुकते डॉक्टर, अब कलेक्टर ने खोजी नई तरकीब

बीजापुर नक्सलिओं का गढ़ है. यहां उनकी इजाजत के बिना पत्ता भी नहीं हिलता. लिहाजा नक्सली खौफ के चलते सरकारी मशीनरी का बुरा हाल है. डॉक्टर अस्पताल नहीं आते.

नक्सली इलाका है बीजापुर नक्सली इलाका है बीजापुर
सुनील नामदेव
  • बीजापुर,
  • 07 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 7:12 PM IST

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के कलेक्टर ने इलाके की सूरत और सीरत बदलने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है. यहां के कलेक्टर ने वाट्स एप और फेसबुक के माध्यम से इलाके में डॉक्टरों की नियुक्ति करने का फैसला किया है.

दरअसल बीजापुर नक्सलिओं का गढ़ है. यहां उनकी इजाजत के बिना पत्ता भी नहीं हिलता. लिहाजा नक्सली खौफ के चलते सरकारी मशीनरी का बुरा हाल है. डॉक्टर अस्पताल नहीं आते. आते हैं तो रजिस्टर में साइन कर उलटे पांव लौट जाते हैं.

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कोई नहीं करना चाहता यहां नौकरी
सरकार या स्थानीय अधिकारी उन्हें अस्पताल में रहने के लिए जोर देते हैं तो डॉक्टर नौकरी छोड़ने के लिए तैयार रहते हैं. स्वास्थ सेवाओं का बुरा हाल है. यही नहीं अन्य सरकारी दफ्तरों का भी यही हाल है. शिक्षक हो या बाबू या फिर इंजीनियर बीजापुर उनके लिए काले पानी की सजा के बतौर देखा जाता है. लेकिन अब इस इलाके की तस्वीर बदलने वाली है. इसके लिए जिले के कलेक्टर ने कमर कस ली है. वर्ष 2009 के आईएएस अधिकारी डॉ. अयाज तम्बोली ने बीजापुर के लिए ऐसा मास्टर प्लान तैयार किया है जो कामियाब हुआ तो इलाके की तस्वीर ही बदल जाएगी.

इस तरह निकाली वैकेंसी
बीजापुर के प्राथमिक और जिला चिकित्सालय में डॉक्टरों की भर्ती का विज्ञापन जब अखबारों में जारी हुआ तो किसी ने भी वहां नौकरी के लिए रूचि नहीं दिखाई. कई प्रयास हुए लेकिन डॉक्टरों ने वहां हफ्ते में दो दिन भी काम करने से इनकार कर दिया. तम्बोली ने इसका उपाय खोज निकाला. उन्होंने वाट्स एप और फेसबुक में बड़े ही प्रभावशाली अंदाज में अपने इलाके की खासियत बताई. यह कहते हुए की बीजापुर आदिवासी बाहुल्य घने जंगलो और नक्सल गतिविधियों से लैस इलाका है. यह इलाका महाराष्ट्र और आंधप्रदेश की सरहद पर स्थित है. बीजापुर पहुचने में रायपुर से 8 घंटे और विशाखापट्नम से 6 घंटे लगते हैं. इसके बावजूद यहां डॉक्टर नहीं आना चाहते, जबकि प्रशासन उन्हें अच्छी तनख्वाह, सुविधा, सुरक्षा और बच्चों की पढ़ाई के लिए अच्छा स्कूल और तो और वाहन सुविधा तक मुहैया कराना चाहता है.

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अच्छी सैलरी देने का ऐलान
यही नहीं डॉक्टर की पत्नी भी नौकरी करना चाहती है तो उसे भी रोजगार मुहैया कराया जाएगा. कलेक्टर तम्बोली ने यह भी लिखा की एमबीबीएस डॉक्टर को 80 से 90 हजार जबकि स्पेशलिस्ट डॉक्टर को डेढ़ से तीन लाख रुपये तक सैलरी देने का प्लान है.

16 डॉक्टरों की आवश्यकता
कलेक्टर की इस पहल ने रंग दिखाना शुरू कर दिया है. अब तक लगभग 40 डॉक्टरों ने अपने आवेदन उन तक पहुंचाए हैं. जल्द ही वो नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने वाले हैं. बीजापुर के सरकारी जिला अस्पताल में 16 डॉक्टरों की जरूरत है, जबकि 5 ब्लॉक और 8 प्राथमिक स्वास्थ केंद्रों में 14 डॉक्टरों की आवश्यकता है. फिलहाल इलाके में मात्र चार डॉक्टर ही हैं वो भी अक्सर छुट्टी में रहते हैं.

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