
छत्तीसगढ़ समेत देश के कई राज्यों में SC/ST एक्ट में संशोधन को लेकर बवाल मचा हुआ है. इस बीच छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल महरा, माहारा, महारा समुदाय के लोगों के जाति प्रमाण पत्र जारी करने पर रोक लगा दी है.
बिलासपुर हाईकोर्ट के एक अंतरिम आदेश के बाद, छत्तीसगढ़ राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग ने आगामी आदेश तक जाति प्रमाण पत्र ना जारी करने का आदेश दिया है. सामान्य प्रशासन विभाग ने इस मामले पर राज्य के सभी 27 जिलों के कलेक्टरों को भी निर्देश जारी कर जाति प्रमाण पत्र ना जारी करने और इस निर्देश का सख्ती से पालन करने को कहा है.
बता दें, अनुसूचित जाति समुदाय के एक वर्ग ने बिलासपुर हाईकोर्ट में एक रिट पिटीशन दायर कर छत्तीसगढ़ सरकार के एक फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी. दरअसल हिंदी अक्षरों में उच्चारण भेद की गड़बड़ी के कारण अनुसूचित जाति वर्ग के तीन समुदायों को ना तो आरक्षण का लाभ मिल पा रहा है और ना ही संविधान प्रदत्त सुविधाएं. इसमें महरा, माहारा, महारा जाति शामिल है.
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इन तीनों समुदायों की एक बड़ी आबादी बस्तर और उससे सटे इलाकों में निवास करती है. राज्य सरकार ने इन्हें आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए उनके उच्चारण भेद को मान्य किया और इस समुदाय को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल कर लिया. सामाजिक प्रतिस्पर्धा के चलते SC समुदाय के एक वर्ग ने इसका सीधा विरोध किया और अदालत में एक रिट पिटीशन दायर कर दी. नतीजतन विवाद की स्थिति निर्मित हो गई.
रिट पिटीशन दायर करने वाली पार्टी संयुक्त महरा समाज छत्तीसगढ़ एवं अन्य विरुद्ध छत्तीसगढ़ शासन मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अंतिरम आदेश पारित कर यथास्थिति के निर्देश दिए. इसके बाद माना जा रहा है कि इस समुदाय को फिलहाल आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाएगा.
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अदालत के इस निर्देश के बाद सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव रोहित यादव ने राज्य के तमाम कलेक्टरों और जाति प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारियों को स्पष्ट किया है कि वे महरा, माहारा, महारा समुदाय के लोगों को आगामी आदेश तक जाति प्रमाण पत्र जारी ना करे.
सरकार के इस फैसले के बाद इन तीनों वर्गों के लोगों में नाराजगी साफ दिखाई दे रही है. इस समुदाय के सामाजिक नेता विद्वेष माहारा ने आंदोलन की चेतावनी दी है. उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार से रिट पिटीशन की जल्द सुनवाई और समाज का पक्ष रखने के साथ-साथ सामाजिक स्थिति का ब्यौरा भी अदालत के समक्ष पेश करने की मांग की है.