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छत्तीसगढ़: टिकट की मांग को लेकर कांग्रेस की पुरुष और महिला उम्मीदवार आमने सामने

चुनावी अखाड़े में उतरने के इच्चुक कार्यकर्ता अपने पूरे बायोडाटा के साथ कायदे कानूनों और पार्टी की रणनीति की दुहाई दे रहे हैं. महिलाओं की दलील है कि कायदे से उन्हें 50 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए. 50 नहीं तो कम से कम 33 फीसदी आरक्षण तो जरूर देना ही चाहिए.

50 फीसदी आरक्षण की मांग करती महिलाएं 50 फीसदी आरक्षण की मांग करती महिलाएं
सुनील नामदेव/देवांग दुबे गौतम
  • रायपुर,
  • 28 जून 2018,
  • अपडेटेड 9:51 PM IST

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे जोर पकड़ रहा है वैसे-वैसे राजनैतिक दलों के कार्यकर्ताओं के बीच चुनाव लड़ने में दिलचस्पी भी बढ़ती जा रही है. कांग्रेस में तो विधायक की टिकट की दावेदारी को लेकर महिला और पुरुष दावेदार ताल ठोक कर आमने-सामने आ गए हैं. टिकट पाने के लिए दोनों के बीच जोर आजमाइश ऐसी चल रही है कि पार्टी के नेता सोचने पर मजबूर हो गए हैं.

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चुनावी अखाड़े में उतरने के इच्छुक कार्यकर्ता अपने पूरे बायोडाटा के साथ कायदे कानूनों और पार्टी की रणनीति की दुहाई दे रहे हैं. महिलाओं की दलील है कि कायदे से उन्हें 50 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए. 50 नहीं तो कम से कम 33 फीसदी आरक्षण तो जरूर देना ही चाहिए.

आरक्षण में बढ़ोतरी की मांग को लेकर महिला आरक्षण बिल के प्रावधानों से भी ये महिलाएं अपने नेताओं को अवगत करा रही हैं. पूरे तर्कों और दांवपेंचों के साथ  महिलाएं कांग्रेस मुख्यालय में डटी हुई हैं. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से लेकर पार्टी प्रभारी पी.एल पुनिया से मिलकर महिला दावेदारों ने अपना मांग पत्र सौंपा है.  

उधर महिला आरक्षण में बढ़ोतरी की मांग से पुरुष दावेदार सकते में आ गए हैं. वो भी अपनी-अपनी दलीलों के साथ महिला आरक्षण में कटौती की मांग कर अपनी दावेदारी पुख्ता कर रहे हैं. उनकी दलील है कि राजनैतिक कामकाज हो या फिर दूसरे , ज्यादातर कार्य उन्हें ही करने होते हैं. ऐसे में महिलाओं की आरक्षण में बढ़ोतरी की मांग गैरवाजिब है. पुरुषों ने भी अपना मांग पत्र दलीलों के साथ पार्टी के नेताओं को सौंपा हैं.

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छत्तीसगढ़ में विधानसभा में कुल 90 सीट है. यदि कांग्रेस ने महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया तो पुरुषों के लिए 50 फीसदी सीट ही रिक्त रह जाएंगी. जबकि 33 फीसदी आरक्षण का पालन किया गया तो महिलाओं को 27 सीट में ही संतोष करना होगा.

हालांकि राज्य में पंचायती राज अधिनियम के तहत ग्राम पंचायत और नगर पंचायतों के चुनाव में महिलाओं को कानूनन पचास फीसदी आरक्षण दिया जाता है. इसके चलते महिलाओं के हौसले बुलंद हैं. वो दलील दे रही हैं कि अब विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में भी इसी तर्ज पर आरक्षण में बढ़ोतरी की जानी चाहिए. हालांकि महिलाओं और पुरुषों की तमाम दलीलों को सुनने के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी ने आरक्षण की मांग के गणित को सुलझाने के लिए पार्टी आलाकमान को दोनों ही खेमो का मांग पत्र भेज दिया है.

इस साल के आखिर में होने हैं विधानसभा चुनाव

छत्तीसगढ़ में इसी साल अक्टूबर-नवंबर माह में विधानसभा चुनाव होने हैं. लिहाजा तमाम राजनैतिक दलों ने उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया अभी से शुरू कर दी है. लेकिन महिला आरक्षण का मामला सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, दूसरे दलों के लिए भी चुनौती बन गया है. राज्य में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही है. लेकिन दोनों ही पार्टियां गिनी चुनी महिलाओं को ही चुनावी अखाड़े में उतारती हैं. ऐसे में महिला आरक्षण में बढ़ोतरी की मांग कितनी रंग लाएगी यह तो वक्त ही बताएगा.

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