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स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व सांसद केयूर भूषण का देहांत, रमन सिंह ने जताया शोक

केयूर भूषण ने 90 साल की उम्र में रायपुर के एक निजी अस्पताल में शुक्रवार की रात अंतिम सांस ली.  वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. राज्य सरकार ने उन्हें पहला पंडित रविशंकर शुक्ल संप्रादायिक सद्भाव सम्मान से नवाजा था. केयूर भूषण का जन्म 1 मार्च 1928 को बेमेतरा के नजदीक जांता गांव में हुआ था.

स्वतंत्रता सेनानी केयर भूषण का देहांत स्वतंत्रता सेनानी केयर भूषण का देहांत
परमीता शर्मा/सुनील नामदेव
  • नई दिल्ली,
  • 04 मई 2018,
  • अपडेटेड 9:50 PM IST

छत्तीसगढ़ के गांधीवादी नेता और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी केयूर भूषण को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. रायपुर के महादेव घाट में बड़ी तादाद में लोगों ने उनके अंतिम संस्कार में हिस्सा लिया. आखिरी समय तक केयूर भूषण छत्तीसगढ़ के हितों को लेकर चिंतित रहे. वे एक ऐसे नेता थे जिन्होंने 1942 के असहयोग आंदोलन में हिस्सा लेकर महात्मा गांधी के दिल में जगह बनाई थी. महात्मा गांधी उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानते पहचानते और पसंद करते थे. अंग्रजी हुकूमत के दौरान वर्ष 1942 में वे रायपुर के सेंट्रल जेल में सबसे कम उम्र के राजनीतिक बंदी थे. उन्होंने अपना पूरा जीवन गांधीवादी तरीके से बिताया. जीवन के आखिरी वर्षों भी वे साइकिल चलाना ही पसंद करते थे.  

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केयूर भूषण ने जेल में बिताए 9 वर्ष

केयूर भूषण ने 90 वर्ष की उम्र में रायपुर के एक निजी अस्पताल में शुक्रवार की रात अंतिम सांस ली.  वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. राज्य सरकार ने उन्हें पहला पंडित रविशंकर शुक्ल संप्रादायिक सद्भाव सम्मान से नवाजा था. केयूर भूषण का जन्म 1 मार्च 1928 को बेमेतरा के नजदीक जांता गांव में हुआ था. देश की आजादी की लड़ाई में महज 14 वर्ष की उम्र में कूदने वाले केयूर भूषण ने अपनी जिंदगी के 9 वर्ष जेल में बिताए. उस समय वे रायपुर केंद्रीय जेल में सबसे कम उम्र के राजनीतिक बंदी थे. भारत छोड़ो आंदोलन समेत कई बार वे जेल भी गए. देश आजाद होने के बाद उन्होंने गोवा की आजादी के लिए भी संघर्ष किया.

दो बार रायपुर संसदीय सीट से रहे सांसद

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इसके बाद 1960 से वे पृथक छत्तीसगढ़ राज्य के लिए संघर्ष कर रहे थे. वो दो बार वर्ष 1980 से 1984 और फिर 1984 से 1989 तक रायपुर संसदीय सीट से सांसद भी रहे. केयूर को छत्तीसगढ़ से ऐसा गहरा लगाव था कि कालांतर में वे खुद इस प्रदेश की संस्कृति और साहित्य की पहचान बन गए. केयूर भूषण समाजिक और राजनीतिक जीवन में सक्रिय रहने के साथ ही बड़े साहित्यकार भी रहे. उन्होंने छत्तीसगढ़ में कई कविता संग्रह और उपन्यास की रचना की इनमें 'कुल के मरजाद' और 'कहां बिलागे मोर धान के कटोरा' बेहद चर्चित उपन्यास रहे.      

मुख्यमंत्री रमन सिंह ने जताया शोक   

रायपुर के महादेव घाट में केयूर भूषण को श्रद्धांजलि देने के लिए लोगों का तांता लगा रहा. तमाम राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता, नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, कला और संस्कृति से जुड़े लोगों के अलावा सैकड़ों ऐसे लोग भी मौजूद थे जो आजादी के बाद उनके गांधीवादी दर्शन से प्रभावित होकर उनके जैसी जीवनशैली में अपने को ढाल रहे थे. केयूर भूषण को अंतिम विदाई देने महादेव घाट पहुंचे मुख्यमंत्री रमन सिंह ने शोक व्यक्त किया. साथ ही उन्होंने कहा कि केयूर भूषण के निधन से न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश ने सच्चाई और सादगी पर आधारित गांधीवादी दर्शन और विनोबा जी की सर्वोदय विचारधारा के एक महान चिंतक को हमेशा के लिए खो दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा स्वर्गीय श्री केयूर भूषण छत्तीसगढ़ राज्य के सच्चे हितैषी थे.

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