
गरियाबंद में रिश्वतखोर अफसर को आखिरकर अदालत ने दो साल की सजा सुनाई है. मामला स्कूली बच्चों को मिलने वाली छात्रवृत्ति से जुड़ा है. सरकार आदिवासी इलाकों में आर्थिक रूप से कमजोर और गरीब बच्चों को छात्रवृत्ति देती है, ताकि वो पढ़ने के लिए किताबें और जरूरी चीजें खरीद सकें. लेकिन सरकारी दफ्तरों में हालत ये है कि अफसर इसके लिए भी रिश्वत मांगने से बाज नहीं आते.
ऐसे ही एक मामले में पीड़ित ने चार साल पहले एंटी करप्शन ब्यूरो को रिश्वतखोरी की शिकायत की थी. इस पर कार्रवाई करते हुए एंटीकरप्शन की टीम ने आरोपी अफसर को रंगे हाथों धर दबोचा था. करीब चार साल तक चली सुनवाई के बाद आखिरकर आरोपी अफसर को अदालत ने रिश्वतखोरी का दोषी पाया.
रिश्वत लेने वाले गरियाबंद शिक्षा विभाग के मंडल संयोजक लवण सिंह को 2 वर्ष की सजा और 40000 रुपए के अर्थदंड से दण्डित किया गया है. आरोपी ने छत्रवृत्ति स्वीकृत कराने के एवज में पीड़ित से आठ हजार रुपए मांगे थे. शिकायत पर एंटीकरप्शन ब्यूरो की टीम ने उसे रंगे हाथों पकड़ा था. गरियाबंद जिला अदालत में जीतेन्द्र कुमार जैन ने मामले की सुनवाई की. अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से 11 गवाह और 46 दस्तावेज पेश किए गए थे.
लोक अभियोजक योगेंद्र ताम्रकार के मुताबिक गरियाबंद स्थित ग्राम मदनपुर प्री-मैट्रिक छात्रावास प्रभारी बैजनाथ नेताम छात्रवृत्ति निकालने के लिए पहुंचा था. इस दौरान विकासखंड शिखा अधिकारी कार्यालय के आदिमजाति कल्याण विभाग में पदस्थ लवण सिंह से उसकी मुलाक़ात हुई. उसने छात्रवृत्ति की राशि अनुमोदन करने के एवज में रिश्वत मांगी थी.
रकम नहीं देने पर पूरी फाइल रोक देने की धमकी दी. छत्रावास प्रभारी ने 22 जनवरी 2013 को इसकी शिकायत एसीबी एसपी से की. इसकी जांच करने के बाद एसीबी ने योजनानुसार आरोपी को रिश्वत लेते हुए 1 फरवरी को पकड़ा लिया. तलाशी में उसके जेब से 8 हजार रुपए बरामद किए गए थे.