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छत्तीसगढ़ सरकार की आंखों में धूल झोंक कर नेको इंडस्ट्री ने किया MoU

छत्तीसगढ़ स्थित नेको जायसवाल इंडस्ट्री 3853 करोड़ के कर्ज में डूबी है. इस कंपनी से लोन की वसूली के लिए बैंकों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.

नेको जायसवाल इंडस्ट्री 3853 करोड़ के कर्ज में डूबी है नेको जायसवाल इंडस्ट्री 3853 करोड़ के कर्ज में डूबी है
रणविजय सिंह/सुनील नामदेव
  • रायपुर,
  • 21 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 7:08 PM IST

छत्तीसगढ़ स्थित नेको जायसवाल इंडस्ट्री 3853 करोड़ के कर्ज में डूबी है. इस कंपनी से लोन की वसूली के लिए बैंकों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. भारतीय बैंको का अरबों रुपये डकारने वाली इस कंपनी ने देश में हुए नुकसान का हवाला देकर खुद को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. वहीं, दूसरी ओर अमेरिका के टेक्सास में नेको ग्लोबल नाम की एक नई कंपनी खोल ली है.

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जानकारी के मुताबिक, जनवरी 2016 में यह कंपनी देशी बैंकों, केंद्र और राज्य सरकार की आंखों में धूल झोंककर खोली गई. इस कंपनी ने छत्तीसगढ़ में अपने इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट का आधुनिकीकरण व ऑपरेशन शुरू करने और खुद का बिजलीघर लगाने के नाम पर बैंको को जबरदस्त चूना लगाया. बैंको से करोड़ों की रकम लेने के बाद कंपनी ने उस रकम को विदेशों में ट्रांसफर कर दिया और नुकसान का हवाला देकर राज्य से अपना कारोबार समेटना शुरू कर दिया है. इससे छत्तीसगढ़ सरकार को तगड़ा झटका लगा है.

देश की टॉप 28 डिफॉल्टर कंपनियों में शामिल छत्तीसगढ़ की नेको जायसवाल इंडस्ट्री ने राज्य की बीजेपी सरकार को भी अंधरे में रखकर अपने नए प्रोजेक्ट के लिए MOU किया था. यह कंपनी लगभग आधा दर्जन बैंको का 3853 करोड़ का भारी भरकम लोन दबा बैठी है.

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इसके कर्ता धर्ता नुकसान का हवाला देकर दिवालिया होने की तैयारी में है. बताया जा रहा है कि खुद को दिवालिया घोषित करने से पहले बड़े पैमाने पर सरकारी रकम की हेरा-फेरी की गई है.  

वर्ष 2016 में नेको जायसवाल इंडस्ट्रीज ने छत्तीसगढ़ सरकार के साथ एक MOU साइन किया था. इसके तहत बलौदा बाजार जिले में तीन MTPA का सीमेंट प्लांट और 50 मेगावॉट का बिजली घर लगाने के लिए लगभग दो हजार करोड़ का MOU साइन किया था. नेको जायसवाल का रायपुर और भिलाई में कास्ट आयरन का बड़ा कारखाना है. जनवरी 2016 में RBI ने 28 कॉर्पोरेट डिफॉल्टर की सूचि में इस कंपनी को शामिल किया है.

पिछले वित्तीय वर्ष में इस कंपनी ने 459 करोड़ रुपए के घाटे का एलान किया था. इसके पीछे गिरते हुए शेयर का हवाला दिया गया. इसी माह के दूसरे हफ्ते में नेको की बोर्ड मीटिंग में दिसंबर की खत्म हुई तिमाही का लेखा जोखा पेश किया गया. इसमें 174.56 करोड़ के नुकशान का दावा किया गया.

बैंको को अरबों का चूना लगाने वाली इस कंपनी से कर्ज की वसूली को लेकर न तो बैंको ने गंभीरता दिखाई और न सरकार ने. नतीजतन जनता की रकम को बड़े पैमाने पर गोलमाल किया गया. 24 सिंतबर 2014 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नेको के तीन कोल ब्लॉक सील किए गए थे.

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इनमें से दो कोल ब्लॉक छत्तीसगढ़ में है. जून 2017 में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में ED ने नेको इंडस्ट्री का पूरा प्लांट भी जब्‍त कर लिया था. इस मामले में हुई जांच में ED ने पाया था कि नेको इंडस्ट्री ने तमाम नियमों की धज्जियां उड़ाकर कोल ब्लॉक से तय सीमा से काफी अधिक कोयला निकला.

इस कोयले को अपने ही स्टील प्लांटों में उपयोग कर लगभग 206 करोड़ की अवैध कमाई की. महत्वपूर्ण बात यह है कि नेको को कुल 435.26 करोड़ का लेटर ऑफ़ क्रेडिट बैंको द्वारा दिया गया. ऐसा ही लेटर ऑफ़ क्रेडिट PNB ने नीरव मोदी को दिया था. इस मामले को लेकर स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक के आला अफसर जांच के घेरे में हैं. उधर इस कंपनी की आर्थिक स्थिति को जाने बिना छत्तीसगढ़ सरकार ने आखिर कैसे MOU कर लिया यह भी जाँच का विषय है. फिलहाल इस मामले को लेकर छत्तीसगढ़ के उद्द्योग विभाग से जुड़े अफसरों और विभागीय मंत्री ने चुप्पी साध रखी है.

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