
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने अपनी पैठ और मजबूत करने के लिए प्रोटेक्शन मनी की रकम में जबरदस्त इजाफा किया है. खासतौर पर नोटबंदी की मार से हुई नुकसान की भरपाई के लिए नक्सलियों ने उगाही के नए रास्ते खोजने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. सेंट्रल कमेटी ने अकेले छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का सालाना बजट इस बार 15 सौ करोड़ से बढ़ा कर दो हजार करोड़ तक कर दिया है. इसके लिए नक्सली आय के नए स्त्रोत तलाश कर रहे हैं. हालांकि सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के मंसूबों पर पानी फेरने के लिए उनकी आय के मुख्य स्त्रोत गांजे की खेती और तेंदू पत्ता से होने वाली आमदनी पर रोक लगानी शुरू कर दी है. सुरक्षा बलों के जवान अब उस ओर कदम बढ़ा रहे हैं जहां नक्सली नशे के कारोबार की पौध लगाते हैं.
छत्तीसगढ़ में पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ जबरदस्त हल्ला बोला है. एक सिरे से सुरक्षा बलों का दस्ता एंटी नक्सल ऑपरेशन को अंजाम दे रहा है तो दूसरे सिरे से पुलिस और सुरक्षा बलों के जवान नक्सलियों के आर्थिक स्त्रोतों को तोड़ने में जुटे हुए हैं. इसके लिए नक्सलियों को सबसे अधिक आमदनी देने वाली नशे की पैदावार नष्ट की जा रही है.
छत्तीसगढ़ और ओडिशा की सरहद के करीब के सांत गांव में सुरक्षा बलों ने एक साथ कार्यवाही शुरू की है. इसके तहत वो जंगलों के भीतर के उन खेत खलियानों में दाखिल होने में कामयाब रहे हैं जहां नक्सली गांजे और अफीम की पैदावार कर रहे हैं. अपने खेत-खलियानों की हिफाजत के लिए उन्होंने उसे चारों ओर से बारूदी सुरंगों और प्रेशर बमों से घेराबंदी कर रखी है. बावजूद इसके सुरक्षा बलों के जवान पूरी सूझबूझ के साथ उन खेतों में दाखिल होने में कामयाब रहे हैं जहां बड़े पैमाने पर गांजे और अफीम की खेती की जा रही थी. कई खेत खलियानों को सुरक्षा बलों ने नष्ट कर नक्सलियों को तगड़ा झटका दिया है. बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ और ओडिशा की सरहद के जंगलों के भीतर नक्सलियों के निर्देश पर बड़े पैमाने पर गांजे की पैदावार की जा रही है. इसके अलावा तेंदू पत्ता संग्रहणकर्ताओं और ठेकेदारों से भी पहले की तुलना में अधिक रकम वसूली करने के लिए नक्सलियों ने दबाव बनाया हुआ है.
अफीम और गांजे की पैदावार पर रोक लगाने के साथ-साथ पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों ने तेंदू पत्ता इकठ्ठा करने वाले ग्रामीणों और ठेकेदारों पर भी लगाम लगाना शुरू कर दिया है. दोनों पर कड़ी नजर रखी जा रही है. अब तेंदू पत्ता संग्रहण करने वाले ग्रामीणों को नगद भुगतान करने के बजाए उनके जनधन अथवा सामान्य खातों में जमा कराने के निर्देश वन विभाग को दिए गए हैं.
दरअसल अप्रैल, मई और जून माह के पहले हफ्ते तक जंगलों से तेंदू पत्ता संग्रहण करने वाले ग्रामीण हजारों रूपये कमाते हैं. उन्हें प्रत्येक तेंदू पत्ता के मानक बोरे के एवज में 18 सौ रूपये मिलते हैं. इस दौरान प्रत्येक ग्रामीण परिवार रोजाना एक से दो बोरा तेंदू पत्ता इकठ्ठा कर लेता है. उन्हें मिलने वाली रकम में प्रत्येक मानक बोरा के हिसाब से नक्सलियों को दो सौ रूपये तक चुकाने होते हैं. इससे करोड़ों की रकम नक्सलियों की झोली में आ जाती है, वो भी नगद में.
इसके अलावा फारेस्ट प्रोडक्ट, बांस और इमारती लकड़ियों के ठेकेदारों से भी नक्सली मोटी रकम वसूलते हैं. बस्तर के ट्रांसपोर्टर, बस संचालकों, उद्योगपतियों और आम व्यापारियों से भी प्रोटेक्शन मनी के नाम पर हर माह लाखों की उगाही होती है. इस तरह से मिलने वाली रकम से नक्सली ना केवल अपना कैडर चलाते हैं बल्कि असलहा और बारूद भी खरीदते हैं. नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य में अपनी शक्ति मजबूत करने के लिए सालाना बजट में 500 करोड़ की बढ़ोतरी कर दी है. पहले यह बजट 15 सौ करोड़ सालाना था.
नोट बंदी के दौरान दावा किया जा रहा था कि इससे नक्सलियों के हौसले पस्त होंगे. उनकी उगाही पर रोक लगेगी और नक्सलियों के पास मौजूद काला धन किसी काम का नहीं रहेगा. नोटबंदी के बाद ये दावे सच भी साबित हुए हैं. लेकिन, नक्सलियों ने भी अपने आर्थिक मोर्चे को मजबूत बनाने में पूरी ताकत झोंक दी है. उन्होंने पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों पर लगातार हमले किये और उनके हथियार भी लूट कर ले गए. वहीं नक्सलियों ने ना केवल अपने कैडर का विस्तार शुरू कर दिया है. बल्कि लेवी के रूप में वसूली जाने वाली प्रोटेक्शन मनी में भी अच्छी खासी बढ़ोतरी कर दी. इससे सरकार की चिंता बढ़ गई है. हालांकि नक्सलियों के नशे के जमे-जमाये कारोबार में सुरक्षा बलों के सेंध लगाने से सरकार ने राहत की सांस ली है.
सुरक्षा बलों के जवान जान हथेली में लेकर नशे की इस फसल को नष्ट करने में जुटे हैं. यह काम बेहद जोखिम भरा है क्योंकि इसकी हिफाजत के लिए नक्सलियों ने खेत खलियानों के इर्द-गिर्द प्रेशर बम और बारूदी सुरंगें तक बिछा रखी है. नई रणनीति के तहत जंगल में दाखिल हुई पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों की टीम के हौसले इस बार पहले से कहीं ज्यादा बुलंद हैं. वो ग्रामीणों को अपने साथ लेकर नक्सलियों के हर उन ठिकानों की ओर कदम बढ़ा रहे हैं जहां की फसलें नक्सलियों के लिए सोना उगलती थीं.
DGP नक्सल ऑपरेशन डी.एम. अवस्थी के मुताबिक नक्सलियों के आर्थिक तंत्र पर कड़ी निगाहें रखी गई हैं. ठेकेदारों से लेकर उद्योगपतियों पर भी जाल बिछाया गया है.