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छत्तीसगढ़: सरोज पांडेय के पक्ष में वोटिंग को तैयार नहीं बीजेपी विधायक

बीजेपी के भीतर मची घमासान में प्रदेश अध्यक्ष धर्मलाल कौशिक का गुट काफी मजबूत है. उन्हें सीएम रमन सिंह का वरद-हस्त प्राप्त है.

सरोज पांडेय सरोज पांडेय
सुनील नामदेव
  • छत्तीसगढ़,
  • 13 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 3:46 AM IST

छत्तीसगढ़ में बीजेपी के पास 50 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास 39 विधायक हैं और एक विधायक है बसपा का. इसलिए बीजेपी कैंडिडेट की जीत तय मानी जा रही है, लेकिन पेंच फंसा है सरोज पांडेय को लेकर. पार्टी के भीतर ज्यादातर विधायक सरोज के पक्ष में मतदान के लिए तैयार नहीं हैं. वो उन्हें पार्टी आलाकमान से थोपा गया कैंडिडेट मानकर चल रहे हैं.

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बीजेपी के भीतर मची घमासान में प्रदेश अध्यक्ष धर्मलाल कौशिक का गुट काफी मजबूत है. उन्हें सीएम रमन सिंह का वरद-हस्त प्राप्त है. दूसरी ओर राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा भी खूब है कि सरोज पांडेय सीएम की दौड़ में सबसे आगे हैं. उन्हें उम्मीद है कि साल 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी उन्हें राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री के तौर पर नवाजेगी.

राज्यसभा का दिया गया टिकट भविष्य की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है. ये बात भी सामने आई है कि बतौर महामंत्री सरोज पांडेय ने कई नेताओं, पूर्व विधायकों और वर्तमान विधायकों में से कुछ को टिकट दिलाने का वादा भी किया है. वो भी ऐसे समय, जब पार्टी के आंतरिक सर्वे में कई मौजूदा विधायकों की टिकट खतरे में हैं. उनके जीतने की उम्मीद भी ना के बराबर है. लिहाजा ऐसे कई विधायक मानकर चल रहे हैं कि उन्हें 2018 के विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलेगी. इसके चलते उन्हें सरोज पांडेय से काफी सहानभूति मिली है.

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पार्टी सूत्रों के मुताबिक कई मौजूदा विधायकों को सरोज पांडेय ने टिकट दिलवाने का वादा भी कर दिया है, ताकि जरूरत पड़ने पर ऐसे विधायक बतौर मुख्यमंत्री उनका नाम आगे बढ़ा सकें और उसे स्वीकार भी करा सकें. फिलहाल देखना होगा कि बीजेपी के भीतर क्रॉसवोटिंग होती भी है या नहीं. दरअसल क्रॉस वोटिंग की संभावनाओं के मद्देनजर ही कांग्रेस ने अपना कैंडिडेट उतारा है.

हालांकि, पार्टी में क्रॉस वोटिंग की संभावनाओं को बीजेपी ने ना तो खारिज किया है और ना ही स्वीकार किया है. इस बीच पार्टी आलाकमान ने राज्य के सभी मंत्रियों और नेताओं को राजनीतिक गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए हैं. दिल्ली से लेकर रायपुर तक के कई नेता पार्टी विधायकों को निष्ठा का पाठ भी पढ़ा रहे हैं, ताकि किसी भी सूरत में ऐसी स्थिति ना बने जिससे कि चुनाव के पहले पार्टी में फूट का संदेश विरोधियों तक पहुंचे.

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