
छत्तीसगढ़ में स्काई योजना सवालों के घेरे में है. वोटरों को खुश करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार लगभग एक हजार करोड़ की लागत से मोबाइल टावर लगाने जा रही थी. यही नहीं 55 लाख से ज्यादा लोगों को राज्य की बीजेपी सरकार मुफ्त स्मार्ट फोन भी बांटेती. लेकिन विपक्ष के इस मुद्दे पर हंगामे के बाद सरकार को अब यू-टर्न लेना पड़ा है.
हालांकि मोबाइल नेटवर्क का संचालन निजी कंपनी करेगी. इस योजना का सीधा फायदा निजी कंपनी को ही होगा. ग्रामीणों को सिर्फ मुफ्त कॉल करने की सुविधा होगी. इस अजीबो-गरीब योजना को लेकर कांग्रेस समेत कई विरोधी दल बीजेपी पर अपव्यय का आरोप लगा रहे है. उनके मुताबिक यह सरकारी धन का बेजा इस्तेमाल है.
लोगों के विरोध के चलते अपनी इस मंशा पर सामान्य तब्दीली करते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने स्काई योजना के तहत पंचायतों की रकम से मोबाइल टावर लगाने की योजना में यू टर्न ले लिया है. राज्य की बीजेपी सरकार ने गांव-गांव में फ्री में स्मार्ट फोन देने का वायदा किया है. विधानसभा चुनाव के पहले ग्रामीणों के हाथ में स्मार्ट फोन आ जाएगा. वो व्यवधान रहित बातचीत कर सकें इसके लिए मोबाइल टॉवर लगाए जा रहे हैं. लेकिन मोबाइल टॉवर लगाने का खर्च पंचायतों की विकास निधि से व्यय किए जाने का फैसला लिया गया था.
इस योजना के तहत सभी पंचायतों में मोबाइल टावर लगाने के लिए राशि निजी कंपनियों को देना था. इसका प्रदेश भर में विरोध शुरू हो गया. कांग्रेस ने सरकार पर भ्रष्ट्राचार का आरोप लगाया है. कांग्रेस ने कहा कि मोबाइल टावर पंचायतों के खर्च पर लगेंगे, लेकिन फायदा मोबाइल नेटवर्क मुहैया कराने वाली कंपनियों को होगा. क्योंकि सरकार ने मोबाइल टॉवर के किराए का कोई बंदोस्बस्त नहीं किया है. जबकि टावर निर्माण का खर्च पंचायतें उठाएंगी. इसके बाद कई पंचायतों ने इस मामले में सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. आखिरकर पंचायतकर्मियों से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री रमन सिंह ने अपना फैसला वापस लेने की घोषणा कर दी है. उन्होंने कहा कि अब मोबाइल टावर निर्माण का खर्च खुद राज्य सरकार वहन करेगी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस संबंध में अपना पिछला आदेश एक दो दिन में वापस ले लेगी.
छत्तीसगढ़ में राज्य की बीजेपी सरकार पहली खेप में 55 लाख स्मार्ट मोबाइल फोन मुफ्त में देगी. सरकार का मानना है कि इससे राज्य में संचार क्रांति आएगी. सरकार इस योजना में लगभग एक हजार करोड़ व्यय करने वाली है. बीजेपी की यह योजना राजनैतिक तकाजे पर कसी जा रही है. माना जा रहा है कि मुफ्त मोबाइल फोन बांटकर राज्य की बीजेपी सरकार एक बड़ा वोट बैंक हासिल करने वाली है.
इसी साल राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके मद्देनजर ही सरकार ने एक बड़ी आबादी को मोबाइल देकर खुश करने की कोशिश की. लेकिन कांग्रेस ने सरकार की मंशा पर ही पानी फेरने का काम किया. कांग्रेस ने पंचायतों की रकम को लेकर राज्य भर में बीजेपी के खिलाफ अच्छा खासा बखेड़ा खड़ा कर दिया. कांग्रेस ने दलील दी कि पंचायतों की रकम गांव के मुलभूत विकास के लिए है. इससे सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य जैसी मुलभूत सुविधाओं को जुटाना चाहिए, न कि इसे मोबाइल टॉवर बनाने में. ये मुद्दा बीजेपी पर भारी पड़ा.
इस फैसले को लेकर बीजेपी समर्थक पंचायतें भी सरकार के खिलाफ खड़ी हो गई. पंचायतों के विरोध के चलते आखिरकर मुख्यमंत्री रमन सिंह सरकार को यू टर्न लेना पड़ा. विधानसभा सत्र के शुरुवाती दौर में ही बीजेपी सरकार ने अपने विरोधियों के आगे घुटने टेक दिए. सरकार के अचानक यू टर्न लेने से विरोधियों के स्वर बुलंद हुए हैं. जबकि बीजेपी सरकार अपने फेस सेविंग में जुटी है.