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छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी का अजीबोगरीब फरमान

छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी रविशंकर शुक्ल विश्विद्यालय रायपुर का ये आदेश है जो किसी तुगलकी फरमान से कम नहीं है. इस आदेश में विश्विद्यालय परिसर में निवास करने वाले प्रोफेसर, डॉक्टर और कर्मचारियों से कहा गया है कि यदि उन्होंने गाय या भैंस पाली तो उनकी खैर नहीं.

रविशंकर शुक्ल विश्विद्यालय रविशंकर शुक्ल विश्विद्यालय
सुनील नामदेव
  • रायपुर,
  • 19 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 12:12 AM IST

छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी रविशंकर शुक्ल विश्विद्यालय के कैंपस में गायों की आवाजाही से लेकर उन्हें पालने तक में पाबंदी लगा दी गई है. गायों के संरक्षण को लेकर केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार का जो भी दावा हो लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि पशुपालन से विभिन्न बीमारियों के संक्रमण की संभावना बनी रहती है. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अपने कैंपस में रहने वाले प्रोफेसरों और कर्मचारियों को चेतावनी दी है कि यदि उन्होंने गाय भैंस पाली तो उनका सरकारी आवास खाली करा दिया जायेगा. इस आदेश के खुलासे के बाद कांग्रेस ने बीजेपी पर तीखा हमला बोला है.

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छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी रविशंकर शुक्ल विश्विद्यालय रायपुर का ये आदेश है जो किसी तुगलकी फरमान से कम नहीं है. इस आदेश में विश्विद्यालय परिसर में निवास करने वाले प्रोफेसर, डॉक्टर और कर्मचारियों से कहा गया है कि यदि उन्होंने गाय या भैंस पाली तो उनकी खैर नहीं. आदेश के मुताबिक यूनिवर्सिटी परिसर में गाय, भैंस की आवाजाही के कारण छात्रों और शिक्षकों को अवरोध पैदा हो रहा है. इस आदेश में यह भी कहा गया है कि यूनिवर्सिटी परिसर में रहने वाले कर्मियों ने यदि किसी प्रकार का पशुपालन किया हो तो वे संख्या बताते हुए लिखित में सहमति दें कि वे अपने पशुओं को निवास में ही बांधकर रखेंगे. इसके साथ ही पशुओं के गले में पहचान हेतु टैग भी लगवाएंगे. अन्यथा निर्देश की अवहेलना पाए जाने पर आवंटित आवास गृह निरस्त कर दिया जायेगा. इस आदेश के बाद यूनिवर्सिटी परिसर में खलबली मच गई है. क्योंकि कई कर्मियों ने गाय पाल रखी है. आदेश के खुलासे के बाद कांग्रेस ने राज्य की बीजेपी सरकार पर करारा वार किया है. कांग्रेस की दलील है कि बीजेपी गायों के संरक्षण के लिए सिर्फ राजनीति कर रही है.

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कांग्रेस प्रवक्ता एस.पी सिंह के मुताबिक एक तरफ ये बड़े-बड़े दावे करते हैं गौ रक्षक के नाम पर दूसरी तरफ उनके ही अधिकारी जो IAS अधिकारी हैं वो आदेश निकालते हैं कि गाय और भैंस पालने से संक्रामक बीमारियों का खतरा है. एक तरफ संघ और बीजेपी के लोग कहते हैं कि गौ मूत्र में बीमारी का इलाज है और इसी सरकार का अधिकारी कहता है कि गाय, भैंस पालने से संक्रामक बीमारी होगी, जो अधिकारी पालेगा उसे परिसर से सरकारी आवास छोड़कर जाना पड़ेगा. ये भारतीय जनता पार्टी का चेहरा है.

उधर आदेश जारी होने के बाद कई ऐसे कर्मचारी लोगों की निगाह से बचते हुए अपनी गाय अन्यत्र इलाकों में स्थांतरित कर रहे हैं जो इस यूनिवर्सिटी परिसर में रहते हैं. हालांकि सरकारी  नियम कायदों के चलते ये कर्मी मीडिया के सामने आने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. इस आदेश को लेकर कांग्रेस राज्य की बीजेपी सरकार पर ताना कस रही है. वहीं बीजेपी ने भी माना है कि ये आदेश विवादित है.

एक तरफ छत्तीसगढ़ सरकार गौ पालन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं संचालित कर रही है. वहीं दूसरी ओर इस तरह के आदेश यह बताने के लिए काफी हैं कि सरकारी परिसरों में पशुपालन से किस तरह की परेशानियां सामने आ रही हैं.

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