
आमतौर पर पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ की खबरें आती रहती हैं. लेकिन कई मोर्चों पर पुलिस महकमा अपनी दरियादिली दिखाने से पीछे नहीं रहता. ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में सामने आया है. यहां जिला पुलिस ने मानवता का परिचय देते हुए आत्मसमर्पित नाबालिग महिला नक्सली के बालिग होने पर उसका परम्परागत रीति रिवाज से विवाह कराया. इतना ही नहीं उपहार स्वरूप नवविवाहिता के पति सोहन को पुलिस पेट्रोल पंप में नौकरी भी दी है.
सावित्री उर्फ़ रेशमा ने कई नक्सली वारदातों में हिस्सा लिया. पहाड़ी आदिवासी होने के चलते वो सभी मामलो में चुस्त दुरुस्त थी. मात्र 13 साल की उम्र में उसने ऑटोमेटिक हथियारों के अलावा लाइट मशीन गन चलाना भी सीखा. नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की सरहद पर कई आपराधिक वारदातों को अंजाम दिया, जिसमें सावित्री भी शामिल रही. वो राजनांदगांव जिले के खड़गांव थाना क्षेत्र के पल्लेमाड़ी दलम में बतौर सदस्य के रूप में सक्रिय थी.
पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल के मुताबिक, सावित्री मूलतः कांकेर जिले के गांव तमोड़ा की रहने वाली है. 13 साल की उम्र में सावित्री विश्वकर्मा को नक्सली जोर जबरदस्ती उसके घर से उठा ले गए थे. उन्होंने उसे हथियार चलाने की ट्रेनिंग देकर अपने दल में शामिल कर लिया था. लेकिन उसने 2014 में आत्मसमर्पण कर दिया.
आत्मसमर्पण किए जाने के बाद सावित्री को संरक्षण देते हुए पुलिस ने उसके पालन-पोषण की जिम्मेदारी उठाई. उसकी शिक्षा की भी व्यवस्था की. इस बीच सावित्री के आत्मसमर्पण किए जाने से खफा नक्सलियों ने उसके पिता की हत्या कर दी. लेकिन पुलिस ने स्नेह और प्यार से सावित्री की देखभाल की. और अब बालिग होने पर अच्छा लड़का देखकर उसकी शादी भी करा दी. इस शादी में पुलिस कर्मी और उनके परिजन शामिल हुए.