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इसलिए अहम है राहुल गांधी का बस्तर दौरा, आदिवासी वोटरों पर है नज़र

छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल के मुताबिक राहुल गांधी का यह दौरा बेहद महत्वपूर्ण है. इस दौरे से बस्तर में बीजेपी की असलियत सामने आएगी.

28 जुलाई को बस्तर पहुंचेंगे राहुल गांधी 28 जुलाई को बस्तर पहुंचेंगे राहुल गांधी
सुनील नामदेव
  • बस्तर ,
  • 24 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 11:44 PM IST

आदिवासी वोट बैंक को पुख्ता करने के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाधी एक दिन के लिए छत्तीसगढ़ के बस्तर जा रहे हैं. प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक राहुल गांधी विशेष विमान से 28 जुलाई को बस्तर पहुंचेंगे. दिन भर कोंग्रेसी कार्यकर्ताओं से मुलाकात के अलावा वो नक्सल प्रभावित इलाको के ग्रामीणों के साथ भी बैठक करेंगे.

बस्तर में लेंगे विकास कार्यों का जायजा

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कांग्रेस उपाध्यक्ष बस्तर में विकास कार्यों का जायजा लेंगे. साथ ही उन लोगों से मुलाकात भी कर सकते हैं, जिनके साथ पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों ने जोर जबरदस्ती की. इसके अलावा नगरनार में राहुल गांधी आदिवासियों की एक सभा को सम्बोधित करेंगे.

 

छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल के मुताबिक राहुल गांधी का यह दौरा बेहद महत्वपूर्ण है. इस दौरे से बस्तर में बीजेपी की असलियत सामने आएगी.

 

बता दें कि राहुल गांधी का यह दौरा उस वक्त हो रहा है, जब कांग्रेस के पूर्व नेता अजित जोगी को राज्य हाई पावर कमेटी ने गैर-आदिवासी करार दिया है. इस फैसले को चुनौती देने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री जोगी दिन रात किये हुए हैं. हालांकि उन्हें कहीं से भी राहत नहीं मिल पा रही है. इस बीच राहुल गांधी के बस्तर दौरे से आदिवासियों के ध्रुवीकरण की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता. बस्तर में जोगी अपनी पार्टी का विस्तार करने में जुटे थे. इस बीच उनकी जाति के विवाद का कटाक्षेप हो गया और वह गैर-आदिवासी हो गए. इससे जोगी की पार्टी को तगड़ा झटका लगा है. यहां तक कि कई आदिवासी नेताओं ने उनसे दूरियां बना ली है. ऐसे ही कई आदिवासी नेताओं से राहुल गांधी की मुलाकात को अंतिम रूप दिया जा रहा है.

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आदिवासियों की अहम भूमिका

छत्तीसगढ़ की राजनीती में आदिवासियों की अहम भूमिका रही है. आदिवासी बाहुल्य राज्य होने के चलते सन 2001 में मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ के विभाजन के बाद अजित जोगी को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बनाया था. हालांकि गैर आदिवासी को मुख्यमंत्री बना कर बीजेपी ने 2003 के विधानसभा चुनाव में इस परंपरा को तोड़ दिया. राज्य विधानसभा की कुल 90 सीटों में से 29 सीट आदिवासियों के लिए रिजर्व हैं. जबकि 10 सीट अनुसूचित जाति और शेष 50 सीटों पर सामान्य प्रत्याशियों के बीच मुकाबला होता है. आदिवासी वोट बैंक में सेंधमारी के चलते ही बीजेपी लगातार तीन बार सत्ता पर काबिज होने में कामयाब रही है. जबकि परंपरागत रूप से आदिवासी वोट बैंक पर कांग्रेस का कब्जा रहा है.  

 

पिछले विधान सभा चुनाव में आदिवासियों की कुल 29 रिजर्व सीटों में से कांग्रेस को सर्वाधिक 18 सीट हासिल हुईं थीं. जबकि बीजेपी को महज 11 सीटों पर जीत मिली थी. जिसके बाद बीजेपी ने बस्तर में आदिवासियों को अपने पक्ष में करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी. कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में सत्ता की कुर्सी बस्तर से हो कर गुजरती है. पिछले विधान सभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच मात्र एक फीसदी वोट बैंक का अंतर रहा. लिहाजा राहुल गांधी की टीम इस बार इस अंतर को खत्म करने के लिए आदिवासियों पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित कर रही है.

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