
छत्तीसगढ़ में सिर्फ सुकमा की 56 किलोमीटर लम्बी सिर्फ दोरनापाल सड़क ही मौत की सड़क नहीं है बल्कि पूरे बस्तर की ज्यादातर सड़कें मौत की राह बन गई हैं. ये ज्यादातर सड़कें कच्ची हैं, नक्सली जब चाहें तब उन पर IED, प्रेशर बम और बारूदी सुरंगें बिछाते हैं. पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों पर हमले करने के लिए कच्ची सड़क नक्सलियों के लिए कारगर होती है. लिहाजा नक्सली नहीं चाहते की इन सड़कों को पक्की करने के लिए कोई प्रयास हो. इसके लिए नक्सली कभी सड़क निर्माण में लगे वाहनों, मशीनों और सामग्रियों को आग के हवाले कर देते हैं तो कभी सरकारी अफसरों को मौत के घाट उतारने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ते. दर्जनों बार बस्तर में सड़कों के नवनिर्माण के लिए PWD विभाग ने टेंडर निकाला. लेकिन ना तो कोई सड़क बनाने के लिए ठेकेदार सामने आया और ना ही संस्थाएं. आखिरकर CRPF और स्थानीय पुलिस की देख-रेख में पुलिस हाउसिंग सोसायटी ने सड़कों के निर्माण का बीड़ा उठाया. उनके इस कदम से नक्सली इतने बौखलाए की उन्होंने सुरक्षा बलों पर हमले तेज कर दिए.
बस्तर में दाखिल होते ही कई कच्ची और पक्की सड़को में या फिर निर्माणाधीन सड़कों में ट्रक, हाइवा, ट्रैक्टर, JCB मशीनों के अलावा निर्माण कार्य में लगने वाली कंस्ट्रक्शन मशीनों को नक्सली आग के हवाले कर देते हैं. वाहनों और मशीनों के धूं-धूं के जलने के कई नजारे यहां की सड़कों पर देखे जा सकते हैं. नक्सली किसी भी सूरत में नहीं चाहते की सड़कों का निर्माण हो. इसके लिए वो आम ग्रामीणों और सुरक्षा बलों पर दबाव बनाते हैं. सुकमा के अलावा दंतेवाड़ा, नारायणपुर, बीजापुर और अभुझमाड वो इलाका है जहां नक्सलियों की समानंतर सरकार चलती है. इन इलाकों में राज्य और केंद्र सरकार संयुक्त विकास फंड से सड़कें बनाना चाहती है, वो भी पक्की. इन इलाकों की कई कच्ची सड़कों को पक्की करने की कार्यवाही की जा रही है. जबकि दो दर्जन वो जंगली मार्ग हैं, जहां आवाजाही का रास्ता ही नहीं है. ऐसे पकडंडीनुमा मार्गों को भी पक्की सड़कों में तब्दील करने के लिए चिन्हित किया गया है. ये सड़कें करीब 25 सालों से नक्सलियों के कब्जे में रही है. इनमें से ज्यादातर सड़कों के निर्माण के लिए छत्तीसगढ़ के PWD विभाग ने 18 से ज्यादा बार टेंडर निकाले. लेकिन, किसी भी ठेकेदार ने और ना ही किसी कंपनी ने सड़क निर्माण के लिए हिम्मत नहीं जुटाई. सुकमा में हुए नक्सली हमले के एक दिन पहले ही गरियाबंद के मैनपुर में सुरक्षा बलों ने भारीभरकम बारूदी सुरंग को डिफ्यूज किया. इस मार्ग पर CRPF का कारवां गुजरने वाला था. लेकिन, उसके पहले ही सड़क में बिछी बारूदी सुरंग खोज ली गई. बीजापुर, नारायणपुर और दंतेवाड़ा में भी बीते तीन दिनों में आठ से ज्यादा बारूदी सुरंगे डिफ्यूज की गई है.
छत्तीसगढ़ में केन्द्रीय सुरक्षा बलों के जवान हों या फिर पुलिस के उनके लिए सड़कों पर बिछी बारूदी सुरंगें एक बड़ी चुनौती बन गई है. नक्सलियों के साथ आमने-सामने की लड़ाई हो या फिर जंगल के भीतर सर्चिंग, बारूदी सुरंगें उनके लिए मौत का पैगाम लेकर आ रही है. बस्तर में नक्सलियों ने सड़कों के चप्पे-चप्पे पर लैंड माइन बिछा रखी है. जंगल का शायद ही ऐसा कोई भू-भाग हो जहां बारूदी सुरंगें या प्रेशर बम ना लगा हो. इनकी चपेट में आने से सुरक्षा बलों को जान-माल का जबरदस्त नुकसान होता है. पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवान हों या फिर बस्तर के आम बाशिंदे वो अक्सर सड़कों में बिछी बारूदी सुरंगों के शिकार हो रहे हैं. गरियाबंद जिले से लेकर कांकेर, जगदलपुर, सुकमा, बीजापुर, कोंटा, कोंडागांव और अंताहगढ तक सड़क मार्ग जानलेवा साबित होता है. इन सड़कों के कई हिस्सों में लैंड माइन बिछी हुई है. चाहे जंगल के भीतर दाखिल होने वाले कच्चे-पक्के रास्ते हों या फिर पक्की सड़कें कोई भी राह आसान नहीं है. DGP नक्सल ऑपरेशन डी.एम अवस्थी के मुताबिक ये बहुत ज्यादा जोखिम भरा इलाका है IED के लिए क्योंकि पिछले चार-पांच महीने में जो भी हमारे सिक्योरिटी फोर्सेस ने किया है और सरकार के विकास काम भी चल रहा है, सड़कें बन रही हैं इसलिए नक्सलियों ने बहुत ज्यादा IED लगाए हैं. वो बताते हैं कि इससे काफी लोगों की मृत्यु हो गई है. उनके मुताबिक पुलिस के सामने बड़ी चुनौती है ये IED ही है.
बस्तर में आम ग्रामीण हो या फिर पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवान किसी की भी सड़कों पर चहल-कदमी जोखिम भरी हुई है. इन सड़कों पर पैदल चलना तक दूभर हो गया है. बेफिक्री से जमीन पर रखा गया कोई भी कदम जानलेवा साबित हो सकता है. बुलेट प्रूफ वाहन हो या एंटी लैंड माइन व्हिकल, या फिर आम मोटर गाड़ियां किसी की भी राह सड़कों पर आसान नहीं है. इन दिनों बस्तर में सड़कों और जमीन के इर्दगिर्द छिपी बारूदी सुरंगों को खोज निकालने का काम जोर-शोर से चल रहा है. बकायदा ऑपरेशन चला कर पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवान बारूदी सुरंगों और कई तरह के प्रेशर बम व IED को नष्ट करने में जुटे हुए हैं. इस दौरान इस तरह के विस्फोट से आये दिन छत्तीसगढ़ के बस्तर की धरती थर्रा उठती है.