
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में चल रहे ऑपरेशन को फर्जी बताने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता नारायण राव को कड़ी चेतावनी दी है. कोर्ट ने कहा कि मुठभेड़ को फर्जी बताने तस्वीरें अगर गलत निकलीं तो याचिकार्ता सज़ा भुगतने को भी तैयार रहे.
दरअलव सुकमा में नक्सल हिंसा के खिलाफ चले बड़े ऑपरेशन के मामले में सुप्रीम कोर्ट से मुठभेड़ को फ़र्ज़ी बताते हुए इसकी SIT से जांच कराने की मांग वाली याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता ने मुठभेड़ से जुड़े कुछ फोटोग्राफ पेश किए जिसपर राज्य सरकार ने आपत्ति जताई है.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता ने मुठभेड़ को लेकर तस्वीरें लगाई हैं जिसमें महिला की तस्वीर भी है. जबकि मुठभेड़ में कोई महिला शामिल नहीं थी, लिहाज़ा तस्वीरें सही नहीं हैं.
कोर्ट ने आपत्ति पर लिया संज्ञान
कोर्ट ने राज्य सरकार की आपत्ति पर संज्ञान लेते हुए मामले में याचिकाकर्ता से हलफ़नामा दाखिल करने के लिए कहा है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह कोर्ट में कोई अलग तस्वीर नहीं पेश की जा सकती. अगर सरकार की ये दलील सही पाई गई तो याचिकाकर्ता परिणाम भुगतने को तैयार रहे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर याचिका में किए ये दावे सही हैं तो कोर्ट मामले में आगे बढ़ने को तैयार है. कोर्ट ने राज्य सरकार से भी अपना पक्ष रखने के लिए हलफनामा देने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट अब 29 अगस्त को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.
सुकमा में इसी छह अगस्त को हुई मुठभेड़ को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है. सिविल लिबर्टी कमेटी के नारायण राव ने इस मामले में याचिका दायर की है. राव ने कहा है कि इसमें निर्दोष महिलाओं को भी निशाना बनाया गया. याचिका में कहा गया है कि सुरक्षाबलों ने अंधाधुंध फायरिंग कर करीब 80 आदिवासियों की जान ले ली.
राव का कहना है कि इस केस को लेकर वो हाईकोर्ट नहीं जा सकते क्योंकि उन्हें धमकी दी गई है. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से इस संबंध में SIT का गठन कर मामले की जांच कराने की मांग की है.