Advertisement

नोटबंदी के शोर से दूर आराम की जिंदगी जी रहे आदिवासी

बस्तर के हॉट बाजार नोटबंदी से बेअसर दिखाई दे रहा है, आमतौर पर छत्तीसगढ़ के दूसरे जिलों के छोटे-बड़े हाट बाजारों में नोटबंदी से कही आंशिक तो कही अच्छा-खासा असर डाला है. लेकिन बस्तर के बाजारों में पहले की तरह रौनक बरकरार है.

हाट बाजारों पर अब भी रोनक हाट बाजारों पर अब भी रोनक
सुनील नामदेव
  • बक्सर,
  • 25 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 6:26 PM IST

नोटबंदी को लेकर देश में भले ही कोहराम मचा हो लेकिन छत्तीसगढ़ में बस्तर के आदिवासी अपनी मौज मस्ती में है. वो हाट बाजारों में हर वो सामान खरीद रहे है जिनकी उन्हें रोजाना आवश्यकता होती है. ना तो उनके पास 500 और एक हजार का नोट है और ना ही काला धन. जिसके चलते नोटबंदी का असर इन आदिवासियों पर नहीं हुआ है.

Advertisement

बस्तर के हॉट बाजार नोटबंदी से बेअसर दिखाई दे रहा है, आमतौर पर छत्तीसगढ़ के दूसरे जिलों के छोटे-बड़े हाट बाजारों में नोटबंदी से कही आंशिक तो कही अच्छा-खासा असर डाला है. लेकिन बस्तर के बाजारों में पहले की तरह रौनक बरकरार है.

सल्फी की है मांग

यहां के हाट बाजारों की पहचान सल्फी है, इसे आदिवासियों का देसी बीयर कहा जाता है. पेड़ पौधों से निकलने वाले इस पेय पदार्थ की बाजार में पहले की तरह मांग बनी हुई है. यही हाल सागसब्जियों का भी है, बाजार में ना तो खुले पैसों की कोई दिक्कत है, और ना ही बड़े नोटों की. आदिवासियों के इस बाजार में आज भी सौ का नोट सबसे बड़ा माना जाता है, व्यापारी इसे हाथों हाथ ले रहे है.

नहीं हुई दिनचर्या प्रभावित

इन हाट बाजार को देख कर नहीं लगता की नोटबंदी में आदिवासियों की दिनचर्या को जरा भी प्रभावित किया है. आधुनिकता के इस दौर में ये आदिवासी आज भी परंपरागत चीजों को ही महत्व देते है. लिहाजा हाट बाजारों में हिस्सा लेने वाले व्यापारी इनकी जरुरतों का सामान लाना नहीं भूलते. इन बाजारों में महिलाओं की श्रृंगार सामग्री से लेकर पुरुषों के दैनिक उपयोग में आने वाली हर वस्तुएं शुमार होती है. पहले ये आदिवासी नमक और मिर्ची के बदले में चिरौंजी, काजू और कई कीमती जड़ीबूटियां व्यापारियों को दे दिया करते थे. क्योंकि इनके हाथों में नगदी नहीं हुआ करती थी.

Advertisement

लेकिन मौजूदा दौर में आदिवासियों की आय भी बड़ी है, लिहाजा बस्तर के तमाम हाट बाजारों में 100,50 दैसे नोटों का चलन है.

बस्तर के हाट बाजारों पर नक्सलियों की भी निगाहें लगी रहती है. चूंकि इन दिनों नक्सली अपने पास मौजूद 500 और 1000 के नोटों को खपाने की जुगत बिठा रहे है. लिहाजा सादी वर्दी में पुलिस के जवानों की तैनाती इन हाट बाजारों में है. वो खरीददारों से लेकर व्यापारियों तक के आपसी लेनदेन पर नजर रखे हुए है.

पुलिस को अंदेशा है कि ज्यादा से ज्यादा 500 और 1000 के नोटों को खपाने के लिए नक्सली कहीं आदिवासियों के पास मौजूद 50 और 100 के नोटों को ही छीन लें.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement