Advertisement

अंधविश्वास का कहर: दो मासूमों को लोहे की गर्म तार से दागा

राजस्थान में बीमारी के इलाज के नाम पर कुछ जगह गर्म लोहे के तार और चिमटों से दागने का अंधविश्वास अभी भी जारी है. भीलवाड़ा जिला अस्पताल में रविवार को दो मासूम बच्चियों को भर्ती कराया गया है. दोनों निमोनिया से पीड़ित थीं. लेकिन इलाज के नाम पर इनके शरीर को गर्म लोहे के तार से दाग दिया गया. इस कुप्रथा को डाम लगाना कहा जाता है.

बीमारी के इलाज के नाम पर अत्याचार बीमारी के इलाज के नाम पर अत्याचार
मुकेश कुमार
  • भीलवाड़ा,
  • 26 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 3:53 PM IST

राजस्थान में बीमारी के इलाज के नाम पर कुछ जगह गर्म लोहे के तार और चिमटों से दागने का अंधविश्वास अभी भी जारी है. भीलवाड़ा जिला अस्पताल में रविवार को दो मासूम बच्चियों को भर्ती कराया गया है. दोनों निमोनिया से पीड़ित थीं. लेकिन इलाज के नाम पर इनके शरीर को गर्म लोहे के तार से दाग दिया गया. इस कुप्रथा को डाम लगाना कहा जाता है.

पहला केस आसींद तहसील के निम्बाहेड़ा गांव की 3 वर्षीय सुंदर से जुड़ा है. उसे सांस की तकलीफ और बुखार होने पर घरवालों ने गर्म लोहे के तार से दगवाया. लहसुन की माला पहना कर ठीक होने का इंतजार करने लगे, लेकिन बच्ची की हालत बहुत ज्यादा बिगड़ गई, तब उसे अस्पताल लेकर पहुंचे. दूसरा केस गंगराल तहसील के जवासिया गांव से जुड़ा है.

तड़पती रही मासूम, दागते रहे लोग
यहां नौ माह की बच्ची लाड खटीक मौसमी बीमारी की चपेट में आ गई. लेकिन घरवालों ने बच्ची पर दैवीय प्रकोप मान लिया. इसी के चलते मासूम के पेट पर तीन जगह डाम लगवा दिए गए. नन्ही बच्ची के तड़पने का भी कोई असर नहीं पड़ा. इस बच्ची की हालत भी काफी खराब हो गई तब ही उसे अस्पताल लाया गया, जहां उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई है.

देर होती तो हो सकती थी अनहोनी
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. ओपी आगीवाल का कहना है कि बच्चियों की हालत नाजुक है. उन्हें खून चढ़ाया जा रहा है. यदि दोनों को अस्पताल लाने में थोड़ी भी देर होती तो अनहोनी हो सकती थी. शिशु वार्ड में हर महीने तीन से चार ऐसे केस आते जिनमें बच्चे गंभीर रूप से झुलसे होते हैं. इतनी जागरूकता के बाद भी ऐसे अंधविश्वास समाज को खोखला कर रहे हैं.

मासूमों पर जुल्म, खामोश है पुलिस

ऐसी घटनाओं पर पुलिस ने कुछ समय पहले कहा था कि जो भी बच्चों के साथ ऐसा करेगा उसके खिलाफ हत्या की कोशिश का मुकदमा दर्ज किया जाएगा. अस्पतालों को भी निर्देश है कि ऐसा कोई भी केस सामने आने पर पुलिस को तत्काल सूचना दी जाए. ये भी देखा गया है कि पुलिस को सूचना दिए जाने का पता लगने पर घरवाले मरीज को बिना बताए ही वहां से ले जाते हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement