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स्वास्थ्य सेवाओं में दिल्ली वालों की केजरीवाल सरकार से 10 डिमांड

दिल्ली सरकार का बजट सत्र शुरु हो चुका है. 8 मार्च को केजरीवाल सरकार अपना तीसरा बजट पेश करेगी. सवाल है कि आखिर मनीष सिसोदिया के पिटारे से इस साल दिल्ली को क्या मिलेगा?

अरविंद केजरीवाल अरविंद केजरीवाल
रोशनी ठोकने
  • नई दिल्ली,
  • 06 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 11:15 PM IST

दिल्ली सरकार का बजट सत्र शुरू हो चुका है. 8 मार्च को केजरीवाल सरकार अपना तीसरा बजट पेश करेगी. सवाल है कि आखिर मनीष सिसोदिया के पिटारे से इस साल दिल्ली को क्या मिलेगा?

पिछले दोनों बजट की तरह इस बार भी उम्मीद है कि सरकार का फोकस शिक्षा और स्वास्थ्य पर होगा. अपने पिछले बजट में दिल्ली सरकार ने कुल बजट का 16 फीसदी निवेश स्वास्थ्य सेवाओं पर किया था. सरकारी अस्पतालों के बेड बढ़ाने से लेकर, 24 घंटे नि:शुल्क दवा की सुविधा और फ्री टेस्ट, मोहल्ला क्लिनिक के जरिए आम आदमी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने की कोशिश जैसे तमाम दावों के बीच अभी भी आम आदमी हर मर्ज की दवा के लिए अस्पतालों के चक्कर लगाने को मजबूर है. ऐसे में लोगों को सरकार से बजट के नाम पर सिर्फ बजट आवंटन नहीं बल्कि काम चाहिए.

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दिल्ली वालों की 10 मांगे...
1. सरकारी अस्पतालों की सबसे बड़ी चुनौती भीड़ को मैनेज करने की है. दरअसल, अस्पतालों में लगातार बढ़ती मरीजों की संख्या को मैनेज करते हुए सरकार को चाहिए कि मरीज और उनके तीमारदारों को सही जानकारी उपलब्ध कराने के लिए अस्पतालों में सेंटर बनाए जाएं.
2. दिल्ली सरकार अस्पतालों में 24 घंटे अनिवार्य दवाएं मुफ्त में उपलब्ध करा रही है. लेकिन, लोगों की शिकायतें हैं कि उनमें से भी ज्यादातर दवाएं अस्पताल के दवा वितरण केन्द्र से नहीं मिलतीं. डॉक्टर जो दवा लिखते हैं, वो अक्सर महंगी होती है और बाहर से मिलती है. कुछ लोगों ने ये भी मांग की कि सरकारी अस्पतालों में ऐसी दवाएं उपलब्ध कराई जाएं, जिनसे मरीज को तुरंत राहत मिले.
3. सरकार को अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या और बढ़ानी चाहिए ताकि एक-एक बिस्तर पर तीन-तीन मरीजों को ना रहना पड़े.
4. सरकारी अस्पतालों में ईसीजी से लेकर एक्स-रे जैसे कई मामूली टेस्ट के लिए भी महीनों बाद का नम्बर दिया जाता है, इस पर सरकार को काम करने की जरूरत है.
5. साफ-सफाई के मामले में अभी भी सरकारी अस्पतालों का स्तर काफी खराब है. लिहाजा सरकार को अस्पतालों में सफाई पर खास जोर देना चाहिए.
6. सरकारी अस्पतालों के ही डॉक्टर मोहल्ला क्लीनिक और पॉली क्लीनिक में ड्यूटी पर जाते हैं. ऐसे में मरीजों का बैकलॉग अस्पतालों में बढ़ जाता है. सरकार को चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की भर्ती को प्राथमिकता दे.
7. गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को बिस्तरों की कमी के चलते कई बार डिस्चार्ज करके घर भेज दिया जाता है. ऐसे मरीजों की देखभाल के लिए सरकार को स्पेशल यूनिट तैयार करना चाहिए.
8. दवाओं के साथ-साथ किसी सर्जरी में इस्तेमाल आने वाले मेडिकल डिवाइसेस भी सरकार को अस्पताल में मुफ्त उपलब्ध कराना चाहिए.
9. राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल और जनकपुरी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल को जल्द से जल्द पूरी तरह चालू किया जाए ताकि दूसरे सरकारी अस्पतालों से मरीजों का बोझ कम हो सके.
10. मोहल्ला क्लीनिक या पॉली क्लीनिक में अभी भी जांच मशीनें नहीं हैं. ऐसे में किसी भी टेस्ट के लिए मरीजों को बड़े सरकारी अस्पतालों के ही चक्कर काटने पड़ते हैं. लिहाजा सरकार मोहल्ला क्लीनिक को भी मिनी हॉस्पिटल की तरह तैयार करे. ताकि छोटे-मोटे टेस्ट के लिए अस्पतालों के चक्कर ना काटने पड़ें.

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