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दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र शुरू, 4 दिनों के सत्र में GST बिल होगा पास

दिल्ली में मानसून अपने आखिरी चरण में है. इसी बीच विधानसभा में हर साल की तर्ज पर इस साल भी मानसून सत्र बुलाया गया है. कुल मिलाकर सिर्फ 4 दिनों का ही सत्र रहेगा. वो भी तब जबकि विधानसभा में दिल्ली से जुड़े जीएसटी बिल की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया जाना है.

विधानसभा में पेश होंगे तीन विधेयक विधानसभा में पेश होंगे तीन विधेयक
केशव कुमार/कुमार कुणाल
  • नई दिल्ली,
  • 22 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 11:29 AM IST

दिल्ली में मानसून अपने आखिरी चरण में है. इसी बीच विधानसभा में हर साल की तर्ज पर इस साल भी मानसून सत्र बुलाया गया है. कुल मिलाकर सिर्फ 4 दिनों का ही सत्र रहेगा. वो भी तब जबकि विधानसभा में दिल्ली से जुड़े जीएसटी बिल की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया जाना है.

विधानसभा में पेश होगा तीन बिल
सोमवार से शुरू होने वाले इस सत्र में सरकार के पास तीन बिल हैं. इनमें सबसे अहम जीएसटी बिल पर मंगलवार को मुहर लगने की उम्मीद है. गौरतलब है कि देश भर में एक टैक्स दर को लेकर इस बिल की अहमियत काफी ज्यादा है. केजरीवाल सरकार केंद्र की मोदी सरकार से कम मामलों पर ही सहमत दिखती है, लेकिन जीएसटी के मामले में वो केंद्र के साथ है.

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नए बिल से दिल्ली सरकार को सीधा फायदा
नए बिल के आने के बाद दिल्ली को राजस्व का फायदा होना तय है. वजह ये कि दिल्ली में निर्माण या मैन्युफैक्चरिंग का काम कम होता है और बिक्री ज्यादा होती है. लिहाजा टैक्स भी ज्यादा आएगा. इसके अलावा सोमवार को ही लग्जरी टैक्स से जुड़ा एक बिल पास होने की उम्मीद है. इसमें सस्ते होटलों को इस टैक्स के दायरे से बाहर किया जाएगा. अब तक 750 रुपये प्रतिदिन से अधिक किराया वसूलने वाले होटलों पर यह टैक्स लगता था. अब इस सीमा को बढ़ा कर 1500 रुपये प्रतिदिन करने का प्रस्ताव है.

हंगामेदार रहेगा 4 दिवसीय सत्र
हालांकि दिल्ली विधानसभा के भीतर विपक्ष की संख्या काफी कम है. बावजूद इसके बीजेपी ने सरकार को घेरने की रणनीति बना ली है. विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता सरकार के तानाशाही कामकाज के रवैये को मुद्दा बनाएंगे. वह ये मसला भी उठाएंगे कि किस तरह केजरीवाल सरकार तमाम नियमों की अनदेखी कर रही है. हंगामा सत्तासीन आम आदमी पार्टी भी करेगी.

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हाई कोर्ट के फैसले पर आ सकता है प्रस्ताव
हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले को लेकर भी बवाल होने की संभावना है जिसमें दिल्ली के उपराज्यपाल को राजधानी का कार्यकारी मुखिया बताया गया था. हालांकि दिल्ली सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी है, लेकिन विधानसभा के अधिकारों को लेकर इस सत्र में एक प्रस्ताव पारित किया जा सकता है. यानी सत्र बेशक 4 दिनों का ही हो, लेकिन सियासी सरगर्मी बढ़ाने वाला तो होगा ही.

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