
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शराब की नित नई दुकानें खोलने का आरोप झेल रही आम आदमी पार्टी की सरकार को इस ओर एक और आरोप का सामना करना पड़ रहा है. दिल्ली सरकार के एक्साइज विभाग को ये जानकारी नहीं है कि पिछले डेढ़ साल में दिल्ली में कितने नए पब और बार को लाइसेंस दिए गए हैं. यह बात सरकार ने खुद एक आरटीआई के जवाब में कही है.
यह आरटीआई दिल्ली बीजेपी के मीडिया प्रभारी प्रवीण शंकर कपूर ने दाखिल की थी. इसमें उन्होंने पूछा था कि अरविंद केजरीवाल के सत्ता में आने के बाद कितने नए पब को एक्साइज विभाग ने लाइसेंस दिए हैं. कूपर के मुताबिक, विभाग ने इस सवाल के जवाब में लिखा है कि उसके पास इसका कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है.
बॉर्डर के बाहर सीमित है AAP का नशा विरोध
शंकर कपूर का आरोप है कि सरकार ने पिछले डेढ़ साल में दिल्ली मे शराब की बिक्री खुद बढ़ाई है, जबकि राजनीतिक तौर पर खुद केजरीवाल नशे का विरोध करते रहे हैं. ऐसे में साफ है कि केजरीवाल और उनकी पार्टी का नशा विरोध सिर्फ दिल्ली के बॉर्डर के बाहर तक ही सीमित है. यानी पंजाब में नशे को मुद्दा बनाने के पीछे की मंशा सिर्फ सियासी फायदा हासिल करने के लिए है.
सरकार की शराब नीति पर उठ रहे सवाल
बीजेपी ने आरोप लगाया है कि 'आप' की सत्ता में हर रोज दिल्ली में शराब की नई दुकान खुली है. इससे लोग तेजी से नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं. इससे पहले योगेंद्र यादव की अगुआई वाले स्वराज अभियान ने भी दिल्ली सरकार पर शराब की दुकानें बढ़ाने का आरोप लगाया था. यही नहीं, सरकार की शराब नीति के हवाले से केजरीवाल पर नशे को लेकर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगया गया.
दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन ने भी अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगया है. माकन ने कहा कि एक तरफ तो केजरीवाल पंजाब में जाकर शराब और नशे का विरोध करते हैं, वहीं डेढ़ साल में दिल्ली में शराब की 58 नई दुकानें खोल देते हैं.