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मोहल्ला क्लीनिक में अड़चन पैदा करने वाले अधिकारियों के खिलाफ लेंगे एक्शन: सत्येंद्र जैन

दिल्ली सरकार ने योजना की शुरुआत में 1000 मोहल्ला क्लीनिक खोलने का ऐलान किया था. फिलहाल पूरी दिल्ली में 164 मोहल्ला क्लीनिक हैं. 30 नए मोहल्ला क्लीनिक शुरू होने के बाद कुल मोहल्ला क्लीनिक की संख्या 194 तक पहुंच जाएगी.

AAP नेता सत्येंद्र जैन (फाइल फोटो) AAP नेता सत्येंद्र जैन (फाइल फोटो)
सना जैदी/पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 22 जून 2018,
  • अपडेटेड 12:57 PM IST

राजधानी में सीएम दफ़्तर और एलजी दफ़्तर के बीच तनाव खत्म होता नजर आ रहा है. दिल्ली सरकार ने दावा किया है कि एक जुलाई से 30 नए आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक शुरू हो जाएंगे. स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने गुरुवार को मोहल्ला क्लीनिक का दौरा किया और अधिकारियों को आदेश जारी किए हैं.

सत्येंद्र जैन ने कहा है कि अगर एक जुलाई तक पहले से बने 30 मोहल्ला क्लीनिक शुरू करने में किसी अधिकारी ने अड़चन डाली तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. जैन के मुताबिक अधिकारियों की स्ट्राइक की वजह से कई मोहल्ला क्लीनिक शुरू नहीं हो पाए, जिन्हें जल्द शुरू करने का आदेश दिया गया है.

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बता दें कि दिल्ली सरकार ने योजना की शुरुआत में 1000 मोहल्ला क्लीनिक खोलने का ऐलान किया था. फिलहाल पूरी दिल्ली में 164 मोहल्ला क्लीनिक हैं. 30 नए मोहल्ला क्लीनिक शुरू होने के बाद कुल मोहल्ला क्लीनिक की संख्या 194 तक पहुंच जाएगी.

गुरुवार को सत्येंद्र जैन ने अपने अधिकारियों के साथ आजादपुर मंडी में बने मोहल्ला क्लीनिक का औचक निरीक्षण किया. इस दौरान जैन ने कहा कि 30 मोहल्ला क्लीनिक करीब डेढ़ साल से बन कर तैयार हैं. पहले उपराज्यपाल ने इसे शुरू नहीं होने दिया, बाद में अधिकारियों ने स्ट्राइक कर दी, जिसकी वजह से यह शुरू नहीं हो पा रहा था. अब ऑफिसर ने काम शुरू कर दिया है और एलजी ने भी हामी भर दी है. इसलिए हमने डीजीएचएस को नए सिरे से ऑर्डर जारी किया है कि एक जुलाई तक इसे हर हाल में शुरू किया जाए.

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मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि अगर इस काम में किसी भी अधिकारी ने अड़चन डालने की कोशिश की तो पर्सनली मुझे बताएं, उन अधिकारी के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा. मंत्री ने कहा कि हर जगह क्लीनिक में मरीजों को अच्छे से इलाज मिल रहा है, लोग खुश हैं. लेकिन इसके बाद भी उपराज्यपाल इसे शुरू नहीं होने देना चाह रहे थे.

एलजी की तरफ इशारा करते हुए जैन ने कहा कि काम तीन तरह से होता है, या तुम कर लो, या मुझे करने या या फिर दोनों मिलकर कर लेते हैं. लेकिन यहां तो मामला ही दूसरा था, काम करने ही नहीं दिया जा रहा था, अधिकारियों पर काम नहीं करने का दबाव बनाया जा रहा था. जबकि होना यह चाहिए था कि काम करने के लिए दबाव बनाया जाए.

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