Advertisement

बंदरों के आतंक से AIIMS में डॉक्टर भी परेशान, जल्द होगा एक्शन

एम्स प्रशासन की तरफ से बंदरों और कुत्तों को पकड़ने के लिए हैंडलर्स नियुक्त गए थे जिसका टेंडर दिसंबर 2016 में खत्म हो गया था. फिलहाल पिछले कई दिनों से बंदरों और कुत्तों के आतंक की खबर के बाद दोबारा डायरेक्टर को फाइल भेजी गई है.

AIIMS में बंदरों का आतंक AIIMS में बंदरों का आतंक
पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 19 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 9:41 PM IST

राजधानी स्थित देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स (ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) में बंदरों का आतंक जगजाहिर है. एम्स के अंदर बंदरों से परेशान होने वालों में सिर्फ डॉक्टर या मरीज ही नही हैं. रेजिडेंट डॉक्टर्स के लिए बनाए गए अपार्टमेंट के आसपास कई दुकानों में बंदरों का खौफ है. जूनियर से लेकर सीनियर डॉक्टर्स को सफेद कोट सिलकर देने वाले इरशाद पिछले 1 साल से एम्स के भीतर दर्जी का काम कर रहे हैं. इरशाद बंदरों के आतंक से बेहद घबराए हुए हैं.

Advertisement

इरशाद ने बताया कि दुकान की छत और आसपास के शेड पर अचानक बंदर आ जाते हैं. बंदर छत पर कूदते हुए उन लोगों पर अटैक करते हैं जो हाथ में फ्रूट या जूस लेकर निकल रहे होते हैं. बंदर को देखकर लोग डर जाते हैं और बंदर भी खाने-पीने की चीज देखकर झपटते हैं.

एम्स प्रशासन की बड़ी लापरवाही आई सामने

सूत्रों के मुताबिक एम्स प्रशासन की तरफ से बंदरों और कुत्तों को पकड़ने के लिए हैंडलर्स नियुक्त गए थे जिसका टेंडर दिसंबर 2016 में खत्म हो गया था. फिलहाल पिछले कई दिनों से बंदरों और कुत्तों के आतंक की खबर के बाद दोबारा डायरेक्टर को फाइल भेजी गई है. नई फाइल में हैंडलर्स की संख्या बढ़ाने का प्रपोजल भी रखा गया है.

बंदरों के आतंक और हैंडलर्स ना नियुक्त करने की लापरवाही पर 'आज तक' ने एम्स प्रशासन में डॉ अमित से बातचीत की. डॉ अमित का कहना है कि बंदर और कुत्तों की समस्या ना सिर्फ एम्स कैंपस बल्कि पूरी दिल्ली में है. इसके पहले एम्स ने बंदर और कुत्तों के हैंडलर्स को नियुक्त किया था जिन्हें एम्स प्रशासन दोबारा नियुक्त करेगा. इससे पहले भी आवारा कुत्तों को एजेंसी पकड़कर ले जा चुकी है. लेकिन इनके बढ़ने की वजह ये भी है कि रोजाना एम्स में बहुत भीड़ आती है. मरीज और परिजन जो खाना लेकर आते हैं उसका बचा हुआ हिस्सा कुत्तों और बंदर को मिलता है.

Advertisement

उन्होंने आगे कहा कि ये सिर्फ हैंडलर्स न होने की समस्या नहीं है. आपके चैनल के माध्यम से अस्पताल आने वाले लोगों से अपील है कि रेडीमेड खाने से बंदर आकर्षित होते हैं फिर वो अपना घर बना लेते हैं. साथ ही एजेंसी को भी इस तरफ ध्यान देना होगा. एनडीएमसी को लगातार सूचना दी जाती है. अभी कैंपस के लिए 8 हैंडलर्स हैं जिन्हें बढ़ाकर 12 करने का प्रस्ताव भी दिया है. लेकिन सिर्फ हैंडलर्स से काम नहीं चलेगा, जनता को भी सहयोग करना होगा.

डॉ अमित ने बताया कि अस्पताल के डॉक्टर्स और सुरक्षा गार्ड के जरिए उन्हें अक्सर बंदरों के आतंक की जानकारी मिलती रहती है. एम्स प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि शिकायत आने के बाद बंदरों को हटाने की पूरी कोशिश की जा रही है.

डॉक्टर्स का मानना है कि बंदर या कुत्ता काट दे या चोट पहुंचा दे तो इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. एम्स के एक्सपर्ट डॉ वेद प्रकाश ने बताया कि-

1. किसी भी जानवर के काटने के बाद अगर चमड़ी निकल गयी है और खून निकल रहा है तो चोट को काफी गंभीर माना जाना चाहिए. बंदर या कुत्ते का सलाइवा अगर आपके खून से मिल जाए तो सबसे खतरनाक वायरस रेबीज आपके शरीर में पहुंच सकता है. इसका इलाज होना बेहद मुश्किल हो जाता है. बंदर या कुत्ते के काटने के बाद अगर चोट को नजरअंदाज किया तो उस अंग के हिस्से में इंफेक्शन हो सकता है या उस हिस्से को काटकर हटाना भी पड़ सकता है.

Advertisement

2. बंदर या कुत्ता काट दे तो तुरन्त डॉक्टर के पास जाएं या घर पर साबुन और पानी से अच्छी तरह साफ करें ताकि सलाइवा ज्यादा से ज्यादा हट सके. पहले 14 इंजेक्शन लगते थे अब 5 इंजेक्शन में काम हो जाता है. 5 इंजेक्शन का कोर्स करना बेहद जरूरी है इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement