
सेंट्रल और साउथ दिल्ली में सिविक एजेंसियां स्ट्रीट वेंडरों को नियमों को ताक पर रखकर जबरन हटा रही हैं. यहां तक की जिन इलाको में इन वेंडरों को खड़े होने की इजाजत है वहां से भी इन्हें हटाया जा रहा है.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन और दो अन्य एनजीओ ने हाईकोर्ट में ये जनहित याचिका दायर की है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने तर्क रखा कि वेंडरों को अजीविका से वंचित किया जा रहा है. हाईकोर्ट ने मामले में तुंरत कोई आदेश देने से तो इनकार कर दिया लेकिन मामले की अगली सुनवाई 19 अक्टूबर को तय कर दी गई.
याचिका में बताया गया है कि अदालत ने 9 सितंबर व 5 अक्टूबर को दिए अपने आदेश में साफ कर दिया है कि किसी भी वेंडर को जरूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना नहीं हटाया जाएगा. इसके अलावा हाईकोर्ट का आदेश साफ करता है कि उनका आदेश नो वेंडर जोन पर लागू नहीं होगा.
याचिका मे एनडीएमसी और एसडीएमसी के बारे में कहा गया है कि अदालत के आदेश की गलत तरीके से व्याख्या कर वेंडर्स को पालिका बाजार, राजीव चौक, इंदिरा चौक, लाजपत नगर जैसे इलाकों से हटा रही है. जबकि यहां पर ये लोग अपना सामान बेच सकते हैं. एनडीएमसी की तरफ से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के आदेश के बाद सिर्फ 60 लोगों को हटाया गया है. ये सब नो वेंडिंग जोन में अपना सामान बेच रहे थे.