
30 जनवरी को जामिया में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ मार्च के दौरान गोली चलाने वाले नाबालिग को कथित तौर पर हथियार बेचने वाले शख्स अजीत को 14 दिनों के लिए जेल भेज दिया. इस मामले में मंगलवार को साकेत कोर्ट में सुनवाई हुई जिसके बाद अदालत ने अजीत को 14 दिनों की हिरासत में भेजने का आदेश दिया.
अभी हाल में जमिया यूनिवर्सिटी के बाहर फायरिंग करने वाले नाबालिग ने जिस शख्स से हथियार खरीदा था, उसे दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया था. हथियार सप्लायर का नाम अजीत है और वह जेवर का रहने वाला है. अजीत से उस नाबालिग ने 10 हजार रुपये में हथियार खरीदा था. शख्स की फायरिंग के बाद पूरे जामिया इलाके में सनसनी फैल गई थी.
गिरफ्तारी के बाद दिल्ली पुलिस ने सोमवार को कहा था कि अजीत ही वह शख्स है, जिसने नाबालिग को 10 हजार रुपये में देसी पिस्तौल बेची थी. नाबालिग ने इसी पिस्तौल से सीएए विरोधी मार्च में पुलिस की मौजूदगी में गोली चला दी थी. गोली लगने से एक कश्मीरी छात्र जख्मी हो गया था. उस मामले में हत्या की कोशिश और शस्त्र अधिनियम के तहत न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी थाने में आपराधिक मामला दर्ज किया गया.
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पेशेवर पहलवान है हथियार बेचने वाला शख्स
समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक गिरफ्तार अजीत पेशेवर पहलवान है. वो मूलत: शहजपुरा गांव, जिला अलीगढ़ का रहने वाला है. पुलिस कमिश्नर ने उसी दिन गोलीकांड की जांच थाने से हटाकर दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के हवाले कर दी थी.
गौरतलब है कि दोपहर के वक्त घटी गोलीकांड की उस घटना ने दिल्ली पुलिस को ही सीधे-सीधे कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया था. दिल्ली पुलिस को कटघरे में इसलिए किया गया था, क्योंकि गोलीकांड को अंजाम देने वाला नाबालिग काफी देर से फेसबुक पर लाइव था. इसके बाद भी दिल्ली पुलिस की साइबर शाखा सोती रही.
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कश्मीरी छात्र को लगी थी गोली
पुलिस के खुफिया तंत्र की इसी लापरवाही का फायदा उठाकर नाबालिग ने हथियार को हवा में लहराने के बाद एक शख्स को गोली मार दी. गोली कश्मीरी छात्र के हाथ में जा घुसी. सब कुछ चूंकि पुलिस की मौजूदगी में हुआ था. इसलिए लोगों ने सीधे-सीधे इस घटना में दिल्ली पुलिस की संदिग्ध भूमिका का शक खुलेआम जाहिर कर दिया था. हालांकि, दिल्ली पुलिस के आला-अफसरान पूरे मामले में जिम्मेदारी से बचते ही नजर आए हैं.