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बवाना अग्निकांड: एक मां की तड़प- 17 नहीं 18 जानें गईं, मेरी बेटी गर्भवती थी...

अग्निकांड में 21 वर्षीय सोनी का परिवार उनके पहले बच्चे के जन्म का बेसब्री से इंतजार कर रहा था लेकिन बच्चे की शक्ल देखने के बजाय उन्हें इस हादसे में मारी गई गर्भवती कामगार के शव की पहचान करने के लिए कहा गया.

बवाना हादसे की एक पीड़िता बवाना हादसे की एक पीड़िता
अनुग्रह मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 21 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 8:31 AM IST

दिल्ली के बवाना हादसे में मृतक सोनी की मां अधिकारियों की इस बात से सहमत नहीं है कि शनिवार को हुए अग्निकांड में 17 लोग मारे गए, उनका कहना है कि इस हादसे में 18 लोगों की मौत हो गई जिसमें उनकी बेटी का अजन्मा बच्चा भी शामिल है.

अग्निकांड में 21 वर्षीय सोनी का परिवार उनके पहले बच्चे के जन्म का बेसब्री से इंतजार कर रहा था लेकिन बच्चे की शक्ल देखने के बजाय उन्हें इस हादसे में मारी गई गर्भवती कामगार के शव की पहचान करने के लिए कहा गया. जो परिवार घर में बच्चे की किलकारियों सुनना चाह रहा था उसे एक अधजले शव के रूप में अपनी गर्भवती बेटी मिली.

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एक अन्य फैक्ट्री की मजदूर सोनी की मां ने बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल के शवगृह के बाहर रोते हुए बताया, ‘कल आग की घटना में मेरे नाती समेत 18 लोगों की मौत हुई. हम सोनी के पहले बच्चे का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे लेकिन सबकुछ खत्म हो गया.’

सोनी के भाई बाबू राम ने बताया कि सोनी का पति अपने गांव सीतापुर गया हुआ था और इस खबर की सूचना देने के बाद वह वापस दिल्ली लौट रहा है. बाबू राम ने कहा, ‘उसे 6000 रुपये के वेतन पर काम करते हुए महज 2 दिन ही हुए थे, हमें यह भी नहीं पता था कि यह पटाखों की फैक्ट्री है.’

मालिक को सजा की मांग

बाबू राम ने कहा, ‘वह पांच माह की गर्भवती थी और उसे इस समय आराम करना चाहिए था लेकिन गरीबी ने उसे काम करने के लिए मजबूर किया.’ बाबू राम भी एक फैक्ट्री में काम करता है और वह चाहता है कि फैक्ट्री के मालिक को सजा मिले.

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राम ने बताया, ‘हम पैसा नहीं चाहते, हम ऐसी जगह चाहते हैं जहां हम सुरक्षित काम कर सकें. हमारा परिवार बर्बाद हो गया है क्योंकि हमने इस हादसे में एक अन्य रिश्तेदार को भी खो दिया.’इस हादसे में सोनी की ननद सुखदा (42) की भी मौत हो गई.

शवगृह के बाहर कई मृतकों के परिवारों को देखा जा सकता है जो अपने प्रियजनों के अंतिम दर्शन को तरस रहे हैं. जो लोग रोज घर से कुछ पैसे कमाने के लिए यहां काम के लिए आते थे आज उनके परिजन अपनों के जले हुए शव लेने के लिए इंतजार कर रहे हैं.

'बेटे को 2 साल से नहीं देखा था...'

इस हादसे में मारे गए 7 पुरुषों में से एक सूरज सिंह (22) का परिवार उन्नाव से उसका शव लेने आया हुआ था. मृतक सूरज की मां ने बताया कि उन्होंने करीब दो साल से अपने बेटे को नहीं देखा था जब से वह यहां काम कर रहा था. उन्होंने कहा, ‘मैं उसे फिर कभी नहीं देखूंगी’ और रोते-रोते यह कहते हुए वह गिर पड़ी.

बवाना अग्निकांड के बाद दिल दहला देने वाली कई तस्वीरें सामने आईं. एक तस्वीर में तो साथ काम करने वाली दो महिला मजदूर एक-दूसरे के गले में हाथ डाले हुए हुी काल के मुंह में समा गईं.

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इस हादसे में 10 महिलाओं समेत 17 लोगों की मौत हो गई. अभी तक 14 मृतकों की पहचान - रोहित, संजीत, सुखदा, खुसना, सोनी, सूरज, रवि कांत, बेबी देवी, अफसाना, सोनम, रीता, मदीना, रज्जो और निरीक्षक अजीत रंजन के रूप में हुई है. दो पुरुष और एक महिला के शव की अभी तक पहचान नहीं की जा सकी है. पुलिस आग लगने के कारणों की जांच कर रही है.

(भाषा के इनपुट के साथ)

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